मिठाई दुकानों में हो रहा है खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम का पालन? दीपावली जैसे बड़े त्यौहार में मिठाईयों की शुद्धता बेजांच

बालाघाट. कहते है कि यदि मनुष्य का खान-पान सुरक्षित नहीं होगा तो वह असुरक्षित हो जाएगा अर्थात मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है, अक्सर त्यौहार में पूजा हो या त्यौहार के दौरान पहुंचने वाले दोस्त, रिश्तेदार और परिजन, उनका मुंह मिठाई से मीठा कराया जाता है. खाद्य पदार्थ में शुद्धता की सुरक्षा को निर्धारित करिने के लिए सरकार ने 2006 में भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण का गठन किया था. जिसमें खान पान की चीजों का मैन्युफैक्चर, स्टोरेज, डिस्ट्रीब्यूशन, सेल, आयत और यह मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है या नहीं इन चीजों की पुष्टि करने का भी जिम्मा, जिम्मेदारो को दिया है, जिसके तहत उत्पाद बनाने वाले उत्पादक को उसके मैनुफेक्चरिंग डेट लिखनी अनिवार्य है, हालांकि कालांतर में जब तत्कालीन महिला प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कार्यवाही की गई तो यह नजर भी आता था. चूंकि अक्सर यह शिकायत आती है कि मिठाई में उपयोग होने वाले खाद्य सामग्री में मिलावट की जाती है और पहले त्यौहार से पूर्व, प्रशासन की जिम्मेदार खाद्य विभाग की टीम, मिलावट को लेकर जांच अभियान भी चलाती थी लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. कहा जाता है कि अधिकारी चुनाव में है, लेकिन चुनाव के लिए व्यक्ति के स्वास्थ्य से खिलवाड़ा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बालाघाट में खाद्य विभाग के जिम्मेदारों की गैर जिम्मेदारी का ही परिणाम है कि कभी मिठाईयों को लेकर दुकानदार, निर्माण अवधि लिखा करते थे लेकिन अब वह भी नजर आनी बंद हो गई है अर्थात यह कब बनी और कब तक यह खाने के लिए उपयुक्त है, इसे देखने वाला कोई नहीं है और ग्राहक भी त्यौहार की आपाधापी में इतना सब नहीं देख पाता है.  

गौरतलब हो कि इस एक्ट में ऐसे नियमो है, जो खाने पीने के मामले से जुड़े हुए हैं, लेकिन इस अधिनियम का जिले में कितना पालन हो रहा है, इस पर किसी का ध्यान नहीं है, जबकि इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी, संबंधित विभाग की है, लेकिन उन्होंने या तो आंखो में पट्टी बांध ली है या फिर वह किसी किसी अहसान में दबे है. दूसरी बात कि सत्ता हो या फिर नौकरी, लंबे समय तक एक ही के हाथो में होने से वह बेलगाम हो जाती है, क्योंकि उसके इतने पर्सनल और अंदरूनी संबंध हो जाते है कि वह उन संबंधों के कारण कर्तव्य से विमुख हो जाता है.

गौरतलब हो कि बालाघाट में डुप्लीकेटिंग और मिलावटी के मामले कालांतर में खाद्य विभाग के सामने आते रहे है. तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में शुद्ध के लिए युद्ध कार्यक्रम के तहत जो कार्यवाहियां हुई थी, वह किसी से छिपी नहीं है. फिर वह खाने-पीने की सामग्री हो या नकली गुटखा उत्पाद का मामला हो, बालाघाट मंे डुप्लीकेटिंग के मामले पकड़ाए है, जो अधिकारियों की दृढ़ इच्छाशक्ति से ही संभव हो सका है, तत्कालीन महिला प्रशासनिक अधिकारी ने खाद्य में मिलावट के बड़े मामले पकड़े थे, लेकिन सरकार जाने और महिला प्रशासनिक अधिकारी से यह जिम्मेदारी वापस ले लिए जाने के बाद वर्षो से जमे अधिकारी भी बेखौफ हो गए और उन्होंने फिर वैसा ध्यान नहीं दिया, जिसकी अपेक्षा होती है और फिर खाद्य विभाग की जांच मनमर्जी से होने लगी और विगत कुछ महिनों से तो यह अमला तो बिलकुल ही खामोश नजर आने लगा है, ऐसा लगता है कि यह विभाग, यहां है या नहीं.


Web Title : ARE SWEET SHOPS COMPLYING WITH THE FOOD SAFETY AND STANDARDS ACT? IN A BIG FESTIVAL LIKE DEEPAWALI, THE PURITY OF SWEETS IS UNCHECKED.