बालाघाट. गणेशोत्सव के दौरान प्रवाहित जल में प्रतिमा के विसर्जन के सनातन परंपरा के निर्वहन के दौरान भक्तों और प्रशासन के बीच टकराहट की स्थिति देखी गई थी, जिसकी परिणति में क्या कुछ घटा, यह सभी ने देखा. नवरात्र और अन्य आने वाले पर्वो में पुनः ऐसी टकराव के हालत न हो, ऐसा सामंजस्य स्थापित हो, इसके लिए प्रशासन और आयोजकों को शांति समिति की बैठक के साथ ही एक और बैठक करने की आवश्यकता जानकार बता रहे है. जानकार बताते है कि आग लगने के बाद कुंआ खोदने की कहावत को चरितार्थ करने से अच्छा है कि हम स्थिति को देखते संभल जायें.
राज्य शासन और प्रशासन के लिए एक बार फिर कोविड की बढ़ते मामले चिंता का कारण बने हुए है, हालांकि कोरोना वेक्सीन और नियमों के पालन से बीमारी में जरूर अंकुश लगा है, लेकिन अक्सर देखने मंे आया है कि भीड़भाड़ से इस बीमारी का संक्रमण बढ़ा है, जिसके भविष्य के कई ऐसे उदाहरण हमारे सामने है. कोरोना बीमारी मंे कमी के कारण प्रशासन ने नियमों के तहत नवरात्र पर्व सहित अन्य धर्मावलंबियों के पर्व मनाने की इजाजत तो दी है लेकिन धार्मिक पर्वो में अक्सर भीड़ को रोकना मुश्किलों भरा होता है. जिसे देखते हुए राज्य शासन ने धार्मिक पर्वो पर आयोजनो को लेकर निर्देश जारी किये गये है, जिसे जिला प्रशासन द्वारा भी जारी किया गया है, जिसमें चल समारोह और कमर्शियल गरबा आयोजन को लेकर सख्त निर्देश है, बावजूद एक जागरूक संगठन द्वारा गरबा आयोजन को कोविड की चिंता से इस वर्ष एक बार फिर नहीं करने का निर्णय लिया गया है लेकिन क्लब और कुछ संस्थाओं ने गरबा आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है, वहीं दशहरा पर बीते सालो में चल समारोह आयोजन नहीं किये जाने के बाद इस वर्ष महावीर सेवादल समिति ने चल समारोह की तैयारियां प्रारंभ कर दी है. चूंकि बालाघाट का दशहरा पर निकलने वाला चल दशहरा समारोह पूरे जिले में अपनी एक अलग पहचान रखता है, जिससे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है. जिससे इस बड़ी संख्या में पहंुचने वाले लोग, कोविड नियमों का पालन कर पायेंगे, यह एक यक्ष प्रश्न है, हालांकि महावीर सेवादल समिति का कहना है कि सरकार ने चल समारोह को लेकर आदेश जारी कर दिये है, जिसके तहत वह तैयारी कर रहे है, वहीं प्रशासन का कहना है कि चल समारोह प्रतिकात्मक रूप से होगा. आयोजकों और प्रशासन के बयानों में ही विरोधाभाष, भविष्य में आयोजन को लेकर टकराहट की आशंका को जन्म दे रहा है, वहीं शहर की जनता यह नहीं समझ पा रही है कि दशहरा चल समारोह और गरबा के कमर्शियल आयोजन पर प्रतिबंध होने के बावजूद तैयारियों का दौर आखिर किस तरह के आयोजन को लेकर हो रहा है.
शहर में लगे क्लब और संस्थाओं के गरबा आयोजन के फ्लेक्स
नवरात्र धार्मिक पर्व पर गरबा आयोजन को कॉलोनी तक की छुट मिली है मसलन कॉलोनी स्तर पर छोटे स्वरूप में गरबा आयोजन को छूट दी गई है लेकिन जिस प्रकार से सार्वजनिक भवनों और हॉटल में गरबा आयोजन को लेकर शहर में फ्लेक्स नजर आ रहे है, उससे लगता नहीं है कि गरबा आयोजन को लेकर राज्य शासन और प्रशासन के निर्देशों की कोई परवाह आयोजकों को है. शहर के प्रमुख चौक, चौराहों और भवनों में गरबा आयोजन को लेकर की जा रही तैयारियों से लगता है कि आयोजकों ने प्रशासन से टकराहट की मंशा बना ली है, अन्यथा एक वर्ष और कोविड की स्थिति थमने और संपूर्ण टीकाकरण के बाद भी आगामी वर्ष में बीमारी के डर से दूर आयोजन किये जाते तो सार्थक लगता. बहरहाल अब देखना है कि नियमों के तहत आयोजन करवाने के निर्देश जारी करने के बाद प्रशासन गरबा आयोजन को लेकर क्या रूख अपनाता है.
महावीर सेवादल समिति कर रही दशहरा चल समारोह की तैयारी
कोविड महामारी को रोकने टीकाकरण और शासन, प्रशासन के प्रयासों से कोरोना पर काफी हद तक अंकुश लग पाया है हालांकि अभी स्थिति चिंतनीय है, यह तो मातारानी का आशीर्वाद है कि अब तक संभावित कोरोना की तीसरी लहर नहीं आई है, जिसको लेकर काफी समय से जानकार आशंका व्यक्त कर रहे है लेकिन मरीजों की बढ़ती स्थिति शासन और प्रशासन के लिए चिंतनीय है, जिसके चलते एक बार फिर नवरात्र हो या अन्य धर्मावलंबियों के आने वाले पर्व सभी को लेकर शासन, प्रशासन ने कुछ छूट के साथ प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये है. जिसमें दशहरा चल समारोह से लेकर दुर्गा विसर्जन पर निकलने वाले विसर्जन चल समारोह भी शामिल है, दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान भी निर्धारित संख्या का पालन किया जाना प्रशासनिक अधिकारियों को सुनिश्चित करना है, जिसको लेकर सारे निर्देश दुर्गोत्सव के पूर्व शांति समिति की बैठक के माध्यम से प्रशासन ने आयोजकों को अवगत करा दिये है. लेकिन जिस तरह से जिले में तैयारियां चल रही है, उससे लगता है कि शासनिक और प्रशासनिक निर्देशों से आयोजकों को सरोकार नहीं है. चूंकि दशहरा चल समारोह को लेकर महावीर सेवादल समिति से जुड़े कुलदीप गांधी ने कहा कि बीते साल कोरोना के कारण महावीर सेवादल समिति ने भी बीमारी से जनहानि को दृष्टिगत रखते हुए दशहरा चल समारोह नहीं निकाला, लेकिन इस वर्ष कलेक्टर डॉ. मिश्रा और एसडीएम श्री बोपचे के साथ हुई मीटिंग में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कार्यक्रम किये जाने की चर्चा हुई है. इस दौरान श्री गांधी ने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि अब तो सरकार ने भी दशहरा चल समारोह के आदेश जारी कर दिये है, प्रशासन के निर्देशो के तहत ही दशहरा चल समारोह निकाला जायेगा. हमारा प्रयास होगा कि चल समारोह मंे कोविड नियमों का पालन हो, लेकिन इससे पहले कई राजनेताओं और अन्य लोगों के कार्यक्रम आयोजित हुए, जिस प्रशासन ने कभी रोकने का काम नहीं किया. हालांकि हमारा मानना है कि दो साल से चल समारोह आयोजित नहीं होने से इस वर्ष भीड़ कम होगी लेकिन हमारा उद्देश्य है कि यह जिले का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसमें कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने जितनी ज्यादा संख्या में लोग उपस्थित हो.
निर्देशांे का उल्लंघन होता है तो कार्यवाही की जायेगी-रामबाबु देवांगन
प्रशासनिक अधिकारी रामबाबु देवांगन ने कहा कि नवरात्र, गरबा आयोजन, दशहरा चल समारोह को लेकर राज्य शासन द्वारा 6 अक्टूबर को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये है, जिसकी जानकारी दुर्गोत्सव और गरबा आयोजकों से लेकर दशहरा चल समारोह आयोजन समिति को बैठककर दे दी गई है. जिसके तहत दुर्गोत्सव समिति के लिए निर्देश है कि वह सड़क मार्ग को बाधित करते हुए पंडाल न बनाये, सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखे, अस्थायी विद्युत कनेक्शन से ही लाईटिंग की व्यवस्था करें और अपने 10 वांलिटियर के नाम प्रशासन को दे, ताकि नवरात्र पर्व में किसी प्रकार का कोई व्यवधान हो. वहीं गरबा आयोजन केवल कॉलोनी या मोहल्ले में किया जायेगा. इसके कमर्शियल आयोजन पर प्रतिबंध है. कोविड के दृष्टिगत राजनीतिक और धार्मिक चल समारोह पर भी प्रतिबंध है, रावण दहन के दिन भी प्रतिकात्मक रूप से दशहरा चल समारोह निकाला जायेगा. वहीं कोर्ट के आदेशानुसार रात्रि 10 बजे तक ही साउंड सिस्टम को अनुमति होगी. इन सब निर्देशों का पालन कोविड नियमों के तहत होगा. बावजूद इसके यदि कोई नियम, निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी.