एक बार फिर पंवार कार्ड खेलने की तैयारी में भाजपा, जातीय गणित को साधेगी पार्टी, फिर दो सीटो वाली सिवनी क्षेत्र से मिलेगा प्रत्याशी?

बालाघाट. 15 वे बालाघाट-सिवनी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का भाजपा प्रत्याशी कौन होगा, इस पर संगठन और पार्टी के बीच गहन मंथन के बाद लगभग निर्णय ले लिया है. जो खबरे भाजपा सूत्रों से मिल रही है, उसके अनुसार लंबे समय तक संसदीय क्षेत्र में राज करने वाली पंवार जाति पर ही एक बार फिर भाजपा ने 2023 के चुनाव में दांव खेलने का मन बनाया है. गहन चिंतन के बाद भाजपा के मन की बात में पंवार जाति के अलावा कोई अन्य जाति का दमदार प्रत्याशी, उस वक्त पार्टी को नहीं मिल रहा है, जब मोदी लहर में किसी के भी प्रत्याशी के चुनाव जीतने की संभावना 80 प्रतिशत तक है. यह हाल है विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का है.

भाजपा भले ही जातीय आधार को प्रत्याशी का पैमाना नहीं मानती हो लेकिन जातीय आधार पर टिकिट का वितरण, इस बात का द्योतक है कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र में पंवार जाति की, पार्टी अनदेखी नहीं कर सकती है, यही कारण है कि भाजपा ने 2023 मंे इस संसदीय क्षेत्र से पंवार जाति के प्रत्याशी को लड़ाने का पूरा मन बना लिया है. भाजपा सूत्रों की मानें तो इस बार फिर संसदीय क्षेत्र के बालाघाट जिले की 06 विधानसभा से अलग सिवनी संसदीय क्षेत्र की 02 विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी दिए जाने पर संगठन और पार्टी विचार कर रही है.

भाजपा सूत्रों की मानें तो बालाघाट के दामाद को पार्टी, संसदीय क्षेत्र का प्रत्याशी बनाने जा रही है. जिसको लेकर संगठनात्मक तौर से स्वयं प्रदेश अध्यक्ष के लॉबिंग कर रहे थे. यही नहीं बल्कि उसे संसदीय क्षेत्र का प्रत्याशी बनाए जाने की भूमिका जिला संगठनात्मक तौर से भी बनाने रची गई.  बालाघाट संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर गौर करें तो इस संसदीय क्षेत्र में 07 बार कांग्रेस के सांसद में 4 बार पंवार जाति से सांसद रहे. जबकि 6 बार भाजपा के सांसद में 5 बार पंवार जाति से ही सांसद रहे है. एक तरह से संसदीय क्षेत्र पंवार जाति का गढ़ रहा है. यही कारण है कि यहां पूर्व के संसदीय इतिहास को लेकर ही पार्टी ने पंवार जाति कार्ड खेला है. हालांकि इसमें कई महिला दावेदार भी थी लेकिन लिंगानुपात में अव्वल बालाघाट जिले में नारी प्रतिनिधित्व को पार्टी ने लगभग नकार दिया है.  भाजपा के वरिष्ठ नेता की मानें तो पार्टी ने तय कर लिया है कि इस बार पार्टी पंवार जाति के पुरूष प्रतिनिधि को प्रत्याशी बनाएगी. जिसमें पार्टी ने लगभग नाम पर तय कर लिया, अब केवल घोषणा होना बाकी है.

1952 से लेकर 2019 तक बने सांसदो का इतिहास

जिले के संसदीय इतिहास पर नजर डाले तो 1952 और 1957 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से चिंतामण राव गौतम सांसद रहे. जिसके बाद 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से भोलाराम पारधी, 1967 और 1971 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से चिंतामन धिवरूजी, 1977 में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (के) से कचरूलाल हेमराज जैन, 1980 और 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से नंदकिशोर शर्मा, 1989 में निर्दलीय कंकर मुंजारे, 1991 और 1996 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विश्वेश्वर भगत सांसद रहे. जिसके बाद फिर कांग्रेस का संसदीय क्षेत्र में खाता नहीं खुला और लगभग 25 वर्षाे से संसदीय क्षेत्र में भाजपा काबिज है. जिसकी शुरूआत 1998 में गौरीशंकर बिसेन ने पहली बार सांसद बनकर की. जिसके बाद 1998 में प्रहलाद पटेल, 2004 में गौरीशंकर बिसेन, 2009 में के. डी. देशमुख, 2014 में बोधसिंह भगत और 2019 में ढालसिंह बिसेन सांसद बने, जो अभी रनिंग सांसद है.  


Web Title : BJP PREPARING TO PLAY THE PANWAR CARD ONCE AGAIN, PARTY WILL TRY CASTE ARITHMETIC, THEN GET CANDIDATE FROM SEONI REGION WITH TWO SEATS?