बायपास : ऑक्सीजन जोन से पेड़ो की कटाई पर खामोशी, 442 पेड़ो की कटाई का कार्य प्रगति पर, कब और कहां होगी इसकी पूर्ति

बालाघाट. बायपास, जिले के लिए ऐसा नाम, जिसके नाम से राजनीति चमकाने और मनमानी का दौर जिले ने खुब देखा, लेकिन बायपास के नाम पर ऑक्सीजन जोन कहे जाने वाले पेड़ो की कटाई में जितनी खामोशी दिखाई दे रही है, उतनी ही खामोशी इन्हें जाने नहीं देंगे और सेव डेंजर जोन की बात करने वालो में दिखाई दे रही है. डेंजर जोन को लेकर न केवल नेताओं ने खुब सुर्खियां बटोरी बल्कि कथित वन्यप्रेमियों और सामाजिक संस्थाओं ने भी जमकर वाहवाही लूटी, लेकिन लंबी चली कवायद के बाद डेंजर रोड पर बायपास बनाने वालों का सपना धीरे-धीरे साकार होते जा रहा है और घूमने के लिए प्राकृतिक वातावरण के इस क्षेत्र को बचाने में नेताओं और समाजसेवियों की ओर टकटकी निगाहे लगाये बैठे लोगों का सपना चकनाचूर.  

साढ़े तीन फिट के इस मार्ग को बायपास के लिए साढ़े 5 फीट में बदलने का काम पर्यावरण अधिनियम के तहत विधिवत अनुमति मिलने के बाद 450 पेड़ो का काटा जाना है, जो पूर्व अनुमानित पेड़ो की करीब-करीब संख्या के बराबर है, यह और बात है कि तत्कालीन जिम्मेदारो ने जरूरत के ही पेड़ काटे जाने की बात कही थी, जिनकी संख्या काटे जाने वाले पेड़ो की तुलना में काफी कम बताई थी, यही नहीं बल्कि इसके स्थान पर गायखुरी या गोंगलई में इसकी पूर्ति के लिए पेड़ो को लगाये जाने की बात भी कही थी, लेकिन पेड़ो को काटे जाने की पूर्ति के लिए पेड़ो को लगाये जाने के पहले ही पेड़ो की कटाई जिस खामोशी से की जा रही है, उससे उन लोगों की रूहे, जरूर परेशान हो रही थी, जिन्होंने इसे ऑक्सीजन जोन के रूप में संवारते हुए देखा था.  

हालांकि इस बायपास का कितना लाभ मिलेगा या फिर एक बार फिर बायपास के नाम से बड़ी राशि खर्च कर मार्ग औचित्यहीन हो जायेगा, यह तो भविष्य में तय होगा, लेकिन मोटी-मोटी जानकारी को लेकर जानकार इस बायपास को औचित्यहीन बताते है. जानकारों की मानें तो बारिश में यह मार्ग अतिवर्षा के कारण जलभराव से कोई काम का नहीं रहेगा. वहीं सबसे बड़ी इस मार्ग के शुरूआत और अंत में लगे रेलवे पुल की उंचाई और लगाये गये बेरिकेट बड़े वाहनों को यहां से गुजरने में बड़ी अड़चन पैदा करेगी. जिससे बायपास केवल छोटी गाड़ियों के लिए उचित और लाभदायक कहा जा सकता है, जिससे शहर से गुजरते बड़े वाहनों के यातायात को कैसा रोका जायेगा? यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है.  

जिले में रिंगरोड की वादे वर्षो से हो रहे है लेकिन रिंगरोड का सपना भी आज की परिस्थिति को देखते हुए काल्पनिक लगने लगा है. फिलहाल बायपास को लेकर जो सबसे बड़ी और गर्म चर्चा यह है कि ऑक्सीजन जोन के पेड़ो की कटाई बदस्तूर जारी है और वन अधिकारी की मानें तो जल्द ही चिन्हित किये गये पेड़ो को काटने का काम पूरा कर लिया जायेगा. एक जानकारी के अनुसार बायपास पर लगभग 442 पेड़ो को काटा जाना है और समाचार लिखे जाने तक लगभग आधा सैकड़ा पेड़ काटे जा चुके है. जितने पेड़ काटे जाने है, उसमें चिन्हित किये गये पेड़ो की संख्या में सागौन के 343, धावड़ा के 16, आलपाल के 43, जलाऊ के 40 पेड़ो को काटा जाना है.


इनका कहना है 

डेंजर रोड का कार्य होना है, विधिवत प्रकरण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत स्वीकृति लेकर करीब 400 से 450 अनुमानित संख्या में पेड़ों को काटकर रोड का चौड़ीकरण होना है, जो कार्य प्रगति पर है, अब तक 40 से 50 पेड़ काटे जा चुके है, आगामी एक सप्ताह में पूरे पेड़ काट दिये जायेंगे. डेंजर रोड में पेड़ो को काटने की स्वीकृति के बाद ही पेड़ो को काटा जा रहा है.

श्री सनोडिया, सीसीएफ


Web Title : BYPASS: SILENCE ON FELLING OF TREES FROM OXYGEN ZONE, 442 TREE FELLING IN PROGRESS, WHEN AND WHERE IT WILL BE COMPLETED