ढीमर मछुआ समाज का सम्मेलन, मछुआ समितियों ने रखी समस्याए, आरक्षण, राहत राशि और भवन की उठी मांग, शासन तक पहुंचाई गई मांगे

बालाघाट. ढीमर मछुआ समाज का सम्मेलन 22 जनवरी को नगर के कमला नेहरू हॉल में आयोजित किया गया. जिसमें जिले से मछुआ सहकारी समिति के लोग, बालाघाट पहुंचे थे. जहां उन्होंने, मत्स्य पालन और मत्स्याखेट में आ रही समस्याओं रखी. इस दौरान जिले के सामाजिक संगठन और समिति के प्रतिनिधि मौजूद थे.

ढीमर मछुआ समाज के प्रदेश पदाधिकारी देवराम बर्वे ने बताया कि समाज के सम्मेलन के माध्यम से समाज को एकजुट करने के साथ ही मत्स्यपालन और मत्स्याखेट में आ रही मछुआ सहकारी समितियों ने अपनी-अपनी समस्याओं को रखा. उन्होंने बताया कि मछुआ समिति सदस्यों को, बचत राहत राशि, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की राशि मिलाकर उस समय दी जाती है, जब मछली मारने पर लगभग 2 माह तक प्रतिबंध लगा रहता है. इस दौरान मछुआरों के सामने आर्थिक संकट रहता हैं. जिसमें मछुआरों का भी अंशदान रहता है. ऐसे में बचत राहत राशि की अति आवश्यकता मछुआरों को होती है, लेकिन शासन की ओर से मछुआरों को उनके अंशदान पर शासन से मिलने वाली राशि भी समय पर नहीं मिल पा रही है, वहीं यह इतनी कम है, कि इस महंगाई में उससे पूर्ति नहीं हो सकती है. हमारी मांग है कि शासन कम से कम 10 हजार रूपए की राशि दी जाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मत्स्य संपदा योजना का लाभ भी गैर मछुआरों को मिल रहा है. जो पहले से ही धनाढ्य और रोजगार से जुड़े है, समिति सदस्यों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होने समाज के बहुप्रतिक्षित भवन की मांग भी रखी. उन्होंने कहा कि सामाजिक गतिविधियों के लिए मुख्यालय में कोई सामाजिक भवन नहीं है, जिसे देखते हुए बूढ़ी ढीमरटोला में निषादराज सामुदायिक भवन बनाया जाए. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मांझी मछुआ की उपजाति ढीमर, केवट और मल्लाह, भोई, आदिवासी है, बावजूद इसके आजादी के बाद अब तक इन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से लेकर शिवराजसिंह चौहान ने मछुआ मांझी समाज की इन उपजातियों को शामिल किए जाने की घोषणा की थी लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका और घोषणा, केवल घोषणा बनकर रह गई.


Web Title : CONFERENCE OF DHIMAR MACHHUA SAMAJ, FISHERMEN COMMITTEES PUT FORTH PROBLEMS, RESERVATION, RELIEF FUNDS AND BUILDING DEMANDS, DEMANDS CONVEYED TO THE GOVERNMENT