बालाघाट. जिले के चरेगांव चौकी अंतर्गत तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष मिथलेश जायसवाल के खिलाफ पुलिस ने आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत प्रकरण दर्ज किया था. जिसमें कांग्रेसी नेता मिथलेश जायसवाल की गिरफ्तारी के साथ ही वाहन को बरामद किया गया था. हालांकि कालांतर में वह जमानत पर बाहर थे और मामला न्यायालय मंे विचाराधीन था. जिसमंे आये माननीय न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेसी नेता मिथलेश जायसवाल ने, उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने वाले तत्कालीन चौकी प्रभारी मोहनसिंह के सहित अन्य के खिलाफ, कानून अनुसार अपराध दर्ज किये जाने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि मेरे बढ़ते राजनीतिक कैरियर और विधानसभा के दावेदारी को देखते हुए पक्ष और विपक्ष पार्टियांे के नेता, व्यापारी और शराब ठेकेदार ने मेरे खिलाफ कार्यवाही कर मुझ पर झूठा मामला बनाया था. जिसके माननीय न्यायालय के आये फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया.
गौरतलब हो कि नाबालिग उम्र से सामाजिक सेवा में आने वाले युवा मिथलेश जायसवाल लगातार 21 वर्षो से कांग्रेस की राजनीति से जुड़े है, कालांतर में वे युवक कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष, फिर विधानसभा अध्यक्ष चुने गये थे. इस दौरान ही उन पर अवैध शराब का प्रकरण चरेगांव चौकी में वर्ष 2014 में दर्ज किया गया था, जो मामला काफी हाईलाईट रहा था. आज वे वर्तमान में असंगठित कामगार कांग्रेस के प्रदेश महासचिव है, जिन्होंने अपने खिलाफ तत्कालीन समय में हुए शराब के अवैध परिवहन के मामले, राजनीतिक जीवन और आज दर्ज हुए मामले मंे माननीय न्यायालय के आये फैसले के बाद प्रेस कांग्रेस मंे विस्तृत जानकारी दी. उन्होने बताया कि तत्कालीन समय में रक्तदान, सामूहिक विवाह जैसे कार्यक्रमों और लगातार क्षेत्र में सक्रियता के कारण, उनका विधानसभा चुनाव के दावेदारों में नाम आते रहा है. जिसके कारण उनसे ईर्ष्या रखने वाले लोगों ने उनकी राजनीतिक हत्या का प्रयास किया, लेकिन वह कभी डगमगाये नहीं और मानव अधिकार आयोग दिल्ली तक अपनी बात पहुंचाकर मामले की जांच करवाई. जिसके बाद आज माननीय न्यायालय के फैसले ने सच को सच और झूठ को झूठ साबित कर दिया है, लेकिन उनका मानना है कि माननीय न्यायालय के फैसले के बाद अब उनकी लड़ाई प्रारंभ हुई है और वह इस मामले में उनके खिलाफ षडयंत्र रचकर उनकी राजनीतिक हत्या करने वाले और उन्हंे बदनाम करने उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने वाले लोगांे को सजा दिलाकर रहेंगे. उन्होंने कहा कि वे सक्षम थे तो पुलिस कार्यवाही और न्यायालयीन कार्यवाही कर आज अपने को बेगुनाह साबित कर सके लेकिन प्रदेश मंे ना जाने ऐसे कितने लोग होंगे. जिन पर झूठे मामले कायम कर उन्हें सजा दिला दी गई. भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनर्रावृत्ति न हो, इसके लिए झूठे मामले दर्ज करने वाले और मेरी राजनीतिक हत्या करने वालो को जब तक सबक नहीं मिलेगा और जब तक उनके खिलाफ अपराधिक कार्यवाही नहीं होगी, तब तक उन्हें चैन नहीं मिलेगा. यदि शासन और पुलिस, ऐसे झूठे मामले दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों पर अपराध दर्ज नहीं कराता है तो वह माननीय न्यायालय की शरण में जाकर परिवाद दायर करेंगे.