पखवाडे़ के अंतिम दिन घोषित होगा चुनावी परिणाम, प्रत्याशियों की जीत पर किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा

बालाघाट. आज से ठीक एक पखवाड़े के अंतिम दिन अर्थात 04 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित हो जाएगा. जिसके बाद बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र को नया सांसद मिल जाएगा. जिले का नया सांसद कौन होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन दोनो ही प्रमुख राजनीतिक दल, भाजपा और कांग्रेस, अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है.  

बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में भाजपा को 8 विधानसभा वाली संसदीय सीट पर 06 विधानसभा में वोटों की लीट का भरोसा है, जिसके सहारे, भाजपा यह सीट जीतने का दंभ भर रही है. भाजपा को पूरा विश्वास है कि बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र से हर बार की तरह इस बार भी सिवनी और बरघाट से वोटों की लीड मिलेगी. जिसकी भरपाई करने में कांग्रेस को पसीने छूट जाएंगे और इस लीड के साथ बालाघाट की कटंगी, वारासिवनी, बालाघाट और परसवाड़ा में वोटो की लीड से भाजपा प्रत्याशी की इस बार भी जीत का परचम संसदीय क्षेत्र में लहराएगा.  

जबकि कांग्रेस को इस संसदीय सीट पर जीत के लिए कम से कम हर विधानसभा में 60 हजार से ज्यादा मतों की आवश्यकता होगी. तब कहीं जाकर, वह जीत के करीब दिखाई देगी. हालांकि यह सही है कि इस बार संसदीय क्षेत्र में प्रत्याशियों के लिए जातिगत वोटों का गणित, एक समाज वर्सेस ऑल समाज रहा है, लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि उस प्रत्याशी को उसी समाज के अलावा अन्य समाजो के वोट नहीं मिले है. भले ही राष्ट्रीय मुद्दे, बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में वोटो के लिहाज से उतने महत्वपूर्ण नहीं रहे लेकिन मोदी फैक्टर, ने जरूर वोटों में अपना असर डाला है, यही कारण है कि भाजपा को अपनी जीत का भरोसा हैं. दूसरी ओर कांग्रेस ने भाजपा के वादाखिलाफी पर चुनाव लड़ा और महिलाओं को एक साल में लखपति बनाने का वादा ज्यादा प्रभावी दिखाई दिया. चूंकि बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में महिला लिंगानुपात ज्यादा है और इस चुनाव में भी पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं ने ज्यादा वोट किया है, अब महिलाओ ंका वोट किसे ज्यादा मिला है तो यह मतगणना के बाद ही सामने आएगा, लेकिन इस बार कांग्रेस को भरोसा है कि मोदी सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर, भाजपा के प्रदेश सरकार की किसानों और महिलाओं से की गई वादाखिलाफी, बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया है, जिससे कांग्रेस को चुनाव में इसका फायदा मिल रहा हैं.  

चुनाव में जीत हार के बाद जहां पराजित प्रत्याशी, समीक्षा करने की बात करते है, वहीं जीत के बाद जीत का श्रेय लेने की होड़ मच जाती है, ताकि वरिष्ठ नेताओं का तक अपने अंक को बढ़ा सके. हालांकि इस बार के संसदीय चुनाव में प्रत्याशी की टिकिट से लेकर उसके प्रचार के लिए एक माहौल बनाने का काम में  केबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है. जिन्होंने टिकिट घोषणा के बाद से चुनावी प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन तक जिस तरह से अपने चुनावी अनुभव से प्रत्याशी के लिए रास्ते बनाए है, उससे प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार के दौरान काफी संबल मिला है. जिससे यदि यह चुनाव भाजपा जीतती है तो निश्चित ही इसका श्रेय, केबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल को यदि दिया जाता है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. चूंकि इस चुनाव मे बीते चुनाव की अपेक्षा जिले के नेता, उस प्रभावी तरीके से नजर नहीं आए, जिस तरह से वह नजर आते रहे हैं. हालांकि इसके पीछे की वजह क्या है, यह तो वे ही जाने, लेकिन संगठन से लेकर सत्ता से दूर और सत्ताधीशों का उस जोशिले अंदाज में चुनाव प्रचार नजर नहीं आया, जिस तरह से उन्होंने या तो चुनाव लड़ा था, यह पहले चुनाव में काम किया था.   बहरहाल, जैसे-जैसे मतगणना की तिथि नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे प्रत्याशियों के साथ ही पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की भी धड़कने तेज होने लगी है कि आखिर 04 जून को क्या परिणाम होंगे और उस परिणामों से जिले में उनकी राजनीति का क्या होगा.  


Web Title : ELECTION RESULTS WILL BE ANNOUNCED ON THE LAST DAY OF THE FORTNIGHT, WHOSE HEAD WILL BE TIED TO THE VICTORY OF THE CANDIDATES