बालाघाट. अपनी बेटी के लिए दो दिनों से एबी पॉजीटिव ब्लड की आस में भटक रहे परिजनों के लिए युवा समर्पण रक्तदान समिति के युवा ईश्वर बनकर पहुंचे, जिन्होंने स्वयं के खर्च से लांजी से बालाघाट 40 किमी का सफर कर युवती को रक्तदान किया. जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में भर्ती 22 वर्षीय गायत्री मसकरे को एबी पॉजीटिव ब्लड ग्रुप की नितांत आवश्यकता थी, लेकिन रेयर गु्रप होने के कारण गायत्री को कही भी इस गु्रप का रक्त नहीं मिल पा रहा था. दो दिनों से गायत्री के परिजन इस ग्रुप के रक्तदाताओं की तलाश कर रहे थे.
जिसकी जानकरी जब युवा समर्पण रक्तदान एंड वेलफेयर सोसायटी बालाघाट समिति को लगी तो समिति के उपाध्यक्ष दीपांशु वराड़े ने अपने मित्र श्याम मात्रे को फोन कर उनका एबी पॉजीटिव रक्तदान करने आग्रह किया. इसके बाद दोनों युवा भरी दोपहरी में स्वयं के खर्च से जिला अस्पताल पहुंचे. जिन्होंने पहले परेशान परिजनों को ढांढस बंधाया और पीड़ित मानवता के सेवार्थ गायत्री के लिए रक्तदान किया.
दीपांशु वराड़े ने बताया कि अक्सर इस तरह के वाक्ये देखने को मिलते हैं, जब रेयर ब्लड ग्रुप के लिए मरीज और उनके परिजन काफी परेशान होते हैं. जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में इन रेयर ब्लड ग्रुप का ब्लड संग्रहण नहीं होने के कारण मरीजों और परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. काफी परेशान होने के बावजूद भी उन्हें ब्लड नहीं मिल पाता है. दीपांशु ने बताया कि उनकी समिति पिछले 12 वर्षों से ऐसे ही गरीब और असहाय, जरुरतमंदों को ब्लड दिलवाने का कार्य करती आ रही है. समय पर ब्लड की व्यवस्था करवाकर अब तक दर्जनों मरीजों की जान भी उनकी समिति बचा चुकी है. दीपांशु ने बताया कि रक्तदान महादान है, रक्तदान के बाद मिलने वाली खुशी का इजहार नहीं किया जा सकता है. वहीं रक्तदाता को भी रक्तदान करने के बाद कोई परेशानी नहीं होती है.
दीपांशु ने बताया कि वे स्वयं नागपुर अस्पताल में भर्ती रहकर एक माह पहले मौत से लड़कर लौटे हैं. इन एक माह में उन्होंने मरीजों की खासकर ब्लड नहीं मिलने की परेशानी को करीब से जाना है. उन्होंने जिलेभर के युवाओं खासकर रेयर ब्लड ग्रुप के युवाओं से अधिक से अधिक संख्या में ब्लड डोनेट करने की अपील की है, ताकि खून की कमी के कारण किसी भी मरीज को अपनी जान न गंवानी पड़े और अस्पताल में ही मरीजों को बिना किसी परेशान के रक्त मुहैया हो सकें.