भुख हड़ताल पर बैठे युवकों के स्वास्थ्य में गिरावट, रेलवे के वादाखिलाफी के खिलाफ किसानों का काम रोको आंदोलन आज

कटंगी. जमीन अधिग्रहण का मुआवजा देने के बाद किसान परिवार के सदस्यों को नौकरी देने का वादे भुले रेलवे विभाग से नौकरी की आस धूमिल पड़ने पर किसान परिवार के तीन युवा विगत 12 जनवरी से भुख हड़ताल पर बैठे है, हड़ताल के तीसरे दिन भुख हड़ताल पर बैठे युवकों की हालत में गिरावट महसुस की गई. वहीं एक युवक आलोक चौधरी की हालत बिगड़ने की बात कही जा रही है लेकिन तीन दिनों से बिना खाये-पिये आंदोलन कर रहे युवाओं की ओर देखने की फुर्सत न तो युवाओं के वोटो से जीतकर जाने वाले जनप्रतिनिधियों को है और न ही विपक्षी नेताओं को. प्रशासन ने भी अपनी नजरें फेर ली है, कड़कड़ाती ठंड में भुख हड़ताल पर बैठे युवाओं का कहना है कि जान भी चली जायें तो वह आंदोलन से अब पीछे नहीं हटेंगे. वहीं देश के विकास के लिए रेलपरियोजना में अपनी जमीन देने वाले किसानों ने नेताओं, प्रशासन और रेलवे विभाग की अनदेखी के खिलाफ आज 15 जनवरी से कटंगी-तिरोड़ी परियोजना का काम रोको आंदोलन किये जाने का ऐलान कर दिया है. जिससे किसान और उनके परिवार के युवाओं के हक की लड़ाई किस मोड़ पर जाकर थमेगी, यह अभी कहा नही जा सकता है. हालांकि भुख हड़ताल पर बैठे युवाओं के साथ न केवल जमीन देने वाले किसान परिवारों के लोग साथ खड़े है अपितु धीरे-धीरे क्षेत्र के युवा भी लामबंद होते नजर आ रहे है.

गौरतलब हो कि कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना भू-अर्जन के बाद रेलवे द्वारा भूमि देने वाले किसानों से मुआवजा के साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था, जिसमें रेलवे विभाग ने 42 किसान परिवार के युवा सदस्यों को नौकरी तो दे दी लेकिन शेष किसानों के परिवारों के युवा सदस्य अब भी रेलवे की नौकरी देने के वादे का पूरा होने का इंतजार कर रहे थे, लेतकिन इंतजार की इंतेहा के बाद अब युवाओं ने रेलवे विभाग की वादाखिलाफी के खिलाफ 12 जनवरी से परियोजना के लिए भूमि देने वाले किसान परिवार के युवा सदस्यों ने भुख हड़ताल आंदोलन छेड़ दिया है, जो 14 जनवरी को तीसरे दिन भी जारी रहा. हालांकि भुख हड़ताल में बैठे युवा आलोक चौधरी, अंशुल ठाकरे, कमल राहंगडाले के स्वास्थ्य में गिरावट देखी जा रही है. कड़कड़ाती ठंड में युवक अपने अन्य युवा साथियों के हक के लिए अपनी जान दांव पर लगाये भूखे-प्यासे आंदोलन में डटे है.  

गौरतलब हो कि रेलवे द्वारा कटंगी-तिरोड़ी परियोजना के लिए वर्ष 2015 में 214 किसानों से भूमि अधिग्रहित की थी. भूमि अधिग्रहण के बाद सभी किसानों को मुआवजा प्रदान किया जा चुका है. मगर, रेलवे ने भू-अर्जन के नियमानुसार प्रभावित किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी नहीं दी है. जानकारी के मुताबिक कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना के लिए जिन किसानों की भूमि अर्जन की गई उनमें से 163 किसान परिवारों के सदस्यों ने रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन किया था. जिसमें रेलवे 42 किसान परिवार के लोगों को नौकरी दे चुका है परंतु शेष 121 आवेदकों को लगातार रेल अधिकारी गुमराह कर भ्रामक जानकारी दे रहा है. जिससे युवाओं में आक्रोश है तथा नौकरी को लेकर रेलवे विभाग द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिलने की वजह से अब युवा नौकरी नहीं मिलने तक भूख-हड़ताल पर बैठ गये है.   

ज्ञात हो कि इसके पूर्व भी इन बेरोजगार युवकों ने अक्टूबर 2020 में तिरोड़ी में शांतिप्रिय धरना प्रदर्शन शुरू किया था. जिसके बाद रेल अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए लिखित में शीघ्र ही नौकरी की कार्यवाही शुरू करने का आश्वासन देकर धरना प्रदर्शन समाप्त करवाया था किन्तु आज तक रेल प्रशासन ने युवाओं को नौकरी देने के लिए कोई ठोस कागजी कार्यवाही नहीं की है.

वास्तविकता यह है कि कटंगी-तिरोड़ी रेलपरियोजना में अपनी भूमि देने वाले किसान परिवार के 163 आवेदकों ने साल 2016 में पहली बार नौकरी के लिए आवेदन किया. आवेदन करने के बाद युवक नौकरी का इंतजार करने लगे. रेलवे ने इन आवेदकों को नौकरी प्रदान करने की पूरी कागजी कार्यवाही और सत्यापन प्रक्रिया में 2 साल का समय गुजार दिया. इस 2 साल में दर्जनों बार आवेदकों को नागपुर कार्यालय बुलाया गया और जब नौकरी देने की बारी आई तो अप्रैल 2019 में महज 42 लोगों को नौकरी प्रदान की गई. जबकि शेष आवेदकों को पहले वैश्विक माहमारी कोरोना का लिखित बहाना और अब भू-अर्जन अधिनियम 2013 के नियम कायदे-कानूनों का मौखिक रुप से हवाला दिया जा रहा है. जबकि इन आवेदकों की दस्तावेजों का स्क्रुटनी एवं भोपाल बोर्ड से सत्यापन हो चुका है. फिलहाल समय पर नौकरी नहीं मिलने से युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित तथा परेशान और इंतजार की इंतेहा के बाद अब आंदोलन की राह में है.


Web Title : FARMERS WORK AGAINST RAILWAYS PROMISES TO STOP AGITATION TODAY