जिले के लोक कलाकारों को भी मिले उचित मानदेय

बालाघाट. राज्य व केंद्र की जनकल्याणकारी याेजनाओं के प्रचार-प्रसार के अलावा सामाजिक मुद्दाें पर तैयार नाटकों का गांव-गांव जाकर मंचन करने वाले लोक कलाकारों को भी उनकी मेहनत के मुताबिक उचित मानदेय मिलना चाहिए. ये व्यवस्था महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में तो है, लेकिन मप्र में लोक कलाकारों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. लोक कलाकारों को उनका हक दिलाने महाकौशल जनजागृति संगठन ने रविवार को अपनी आवाज बुलंद की. नूतन कला निकेतन के सभागार में बालाघाट सहित बरघाट, सिवनी आदि क्षेत्रों से लोक कलाकार एकजुट हुए और उन्हाेंने इस मुद्दे को शासन तक पहुंचाने के लिए कार्ययोजना बनाई. संगठन के सचिव दादूलाल कटरे ने बताया कि यह संगठन वर्ष 2014 से अपनी जायज मांगों को लेकर आवाज उठा रहा है. महाराष्ट्र शासन वहां के कलाकारों को मासिक अथवा वार्षिक न्यूनतम मानदेय व पारितोषिक राशि प्रदान करता है, उस तरह की व्यवस्था हमारे बालाघाट ही नहीं पूरे मप्र में भी होना चाहिए. हमारी मांग है कि गायन, वादन व नृत्य के कलाकारों को शासन सहयोग राशि अथवा न्यूनतम मानदेय दिया जाए. सरकार महिलाओं, किसानों सहित समाज के हर वर्ग को योजना के तहत राशि दे रही है, लेकिन लोक कलाकार जो गांव-गांव जाकर न सिर्फ नृत्य-गायन के जरिए शासन की योजना का प्रचार-प्रसार करते हैं बल्कि जनजागृति के लिए भी नाट्य शैली में प्रस्तुति देते हैं, सरकार को इन कलाकाराें तरफ भी ध्यान देना चाहिए.

Web Title : FOLK ARTISTS OF THE DISTRICT SHOULD ALSO GET PROPER HONORARIUM