नपाध्यक्ष चुनाव में मुझे बंद करके रखा गया था-भारती पारधी, मेरी मर्यादा को मेरी कमजोरी न समझे,नहीं देगी भारती पारधी स्तीफा

बालाघाट. नगरपालिका में अध्यक्ष की प्रबल दावेदार श्रीमती भारती पारधी के स्थान पर संगठन के नाम पर एकाएक भारती ठाकुर को अधिकृत प्रत्याशी बनाने और केवल नामांकन के समय श्रीमती भारती ठाकुर के साथ ही कुछ समर्थक पार्षदों को भिजवाये जाने के पीछे की कहानी, जो कूटनीति और राजनीतिक चतुरता की बताई जा रही है, उससे कहीं उलट नजर आती है, सूत्रांे की मानें तो प्रदेश संगठन से भी बालाघाट नगरपालिका अध्यक्ष के लिए अनुभवी, श्रीमती भारती पारधी का नाम ही तय किया गया था. यही नहीं बल्कि छिंदवाड़ा के सौंसर से आये पर्यवेक्षक के सामने भी अधिकांश लोगों ने श्रीमती भारती पारधी को ही नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में देखा था. वहीं स्वयं भारती पारधी भी मानती है कि संगठन से मेरे नाम को हरी झंडी मिलने के बाद मुझे शुभकामनायें तक मिलनी शुरू हो गई थी, फिर एकाएक ऐसा क्या हुआ कि बालाघाट में आकर संगठन का निर्णय व्यक्तिवादी हो गया है. चूंकि यह सर्वविदित है कि नगरपालिका में अनिल धुवारे हो या फिर नवनिर्वाचित श्रीमती भारती ठाकुर, यह भाऊ की पसंद है, तो फिर कार्यकर्ताआंे की पार्टी कहने वाली भाजपा में क्या संगठन और पार्टी केवल और केवल भाऊ है? 

नगरपालिका अध्यक्ष की प्रबल दावेदार और नगरपालिका उपाध्यक्ष पद को ठुकराकर, केवल पार्षद बने रहने का निर्णय करने का बड़ा दिल रखने वाली भाजपा की वरिष्ठ नेत्री और वार्ड क्रमांक 22 की पार्षद श्रीमती भारती पारधी ने प्रेस से औपचारिक चर्चा में कही ऐसी बाते का रहस्योद्घटन किया. जिससे भाजपा संगठन में कथित लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है. उन्होंने प्रेस से चर्चा में साफ कर दिया कि भले ही उनके साथ जो कुछ किया गया, बावजूद इसके वह पार्टी की निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में संगठन के साथ है और जिस वार्ड की जनता ने उन्हें अपनी भारी बहुमतांे से जीताकर भेजा है, वह उसका सम्मान करते हुए नगरपालिका में एक पार्षद के रूप में वार्ड विकास के लिए कार्य करेगी. जिससे उन अफवाहों को भी विराम लग गया है, जिसमें कहा जा रहा था कि श्रीमती पारधी पारधी, अब पार्षद पद से स्तीफा दे सकती है.

प्रेस से चर्चा करते हुए श्रीमती भारती पारधी ने कहा कि उनकी मर्यादा को उनकी कमजोरी न समझे. मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने एक बात और कही, जिससे यह सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर आयोग अध्यक्ष, गौरीशंकर बिसेन को अपनी रणनीति या श्रीमती भारती पारधी पर विश्वास नहीं था? जिसके लिए उन्होंने नामांकन तक भारती पारधी को अपने डी-टाईप बंगले से नामांकन समाप्ति तक निकलने नहीं दिया. चूंकि स्वयं भारती पारधी ने यह आरोप लगाया है कि उन्हें गौरीशंकर बिसेन के बंगले में बंद करके रखा गया था. जबकि श्रीमती भारती ठाकुर को अध्यक्ष बनाने के संगठन के निर्णय बताया गया तो उन्होंने स्वीकार कर लिया था, बावजूद इसके उन्हें नामांकन समय तक बंद करके रखा गया. जिससे साफ है कि संगठन और पार्टी ने उन्हें अच्छे से पहचाना नहीं है.  साथ उन्होंने श्रीमती भारती ठाकुर को संगठन के निर्णय पर अध्यक्ष बनाये जाने पर भी सवाल खड़े किये है, उन्होंने कहा कि संगठन के किसी व्यक्ति से उनकी कोई चर्चा नहीं हुई, केवल गौरीशंकर बिसेन ने ही उन्हें यह बात मौखिक रूप से कही है.  

वहीं श्रीमती भारती पारधी समर्थको से यह बात और प्रबल रूप से कही जा रही है. समर्थकों का कहना है कि वार्ड पार्षद की शुरूआत से ही श्रीमती भारती पारधी को सोची, समझी योजना के तहत पीछे करने का काम किया गया. जिसके लिए पहले वार्ड में हराने का प्रयास किया गया. जिसके बाद अब नगरपालिका अध्यक्ष नहीं बनने देने के लिए. फिलहाल कुछ समर्थक तो छाती ठोंककर कहते है कि यदि कभी सबूत की बात आये तो वह सबूत दिखाने को भी तैयार है, फिलहाल जो भी हो, लेकिन भाजपा के संगठन और पार्टी की राजनीति को जिस तरह से एकछत्र के रूप में जिले मंे चलाने की जो प्रक्रिया चल रही है, उससे निश्चित ही भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं और भाजपा के वोट बैंक को यह रास नहीं आ रहा है, लगता है कि भाजपा में व्यक्तिवादी राजनीति कहीं पार्टी को, नुकसान ना पहंुचाये.


Web Title : I WAS LOCKED UP IN THE ELECTION OF THE PRESIDENT BHARTI PARDHI, DONT CONSIDER MY DIGNITY AS MY WEAKNESS, I WONT GIVE IT TO BHARTI PARDHI STIFA