भाजपा के लाखों के जीत के दावे हजारों तक पहुंचे, कांग्रेस ने भाजपा की सुनिश्चित जीत को बनाया अनिश्चित

बालाघाट. देश की सबसे बड़ी पंचायत के हो रहे चुनाव में देश की 100 से ज्यादा सीटो पर प्रथम चरण में चुनाव कराए गए. 19 अप्रैल को पोलिंग के बाद, मतदान के एक दिन बाद मिले वास्तविक मतदान के आंकड़े को कमी ने, भाजपा को चितिंत और कांग्रेस को जीत के प्रति उत्साहित कर दिया है.  पहले चरण के चुनाव में प्रदेश के 06 संसदीय क्षेत्र, जबलपुर, शहडोल, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला और सीधी के चुनाव कराए गए थे. बीते 2019 की मानें तो प्रदेश के 29 संसदीय क्षेत्र में 28 सीटो पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. केवल छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर ही कांग्रेस अपने जीत को बरकरार रख सकी थी, लेकिन 2024 में प्रथम और दूसरे चरण मंे वोटिंग के कम प्रतिशत ने भाजपा को चितिंत कर दिया है. हालांकि प्रदेश में कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है लेकिन यदा-कदा, कांग्रेस, भाजपा से एक से ज्यादा सीट पर जीत दर्ज करती है तो निश्चित ही कांग्रेस, प्लस मंे होगी, जबकि भाजपा को सीटों का नुकसान होगा.  

प्रदेश के प्रथम चरण में जिन 06 विधानसभा सीटो पर मतदान हो गया है, वहां के चार सीटो पर जानकार, कांग्रेस को बढ़त बता रहे है. हालांकि, यह केवल लोगों से चर्चा के बाद संभावनाओं पर ही आंकलन है, लेकिन मतगणना से पूर्व, कहीं ना कहीं, यह कांग्रेस के लिए खुश होने और भाजपा के लिए दुःख वाली खबर है.  जिसमें बालाघाट सीट भी एक है, चुनाव से पूर्व और कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा के बाद, भाजपाई, जिस तरह से 2019 के लगभग ढाई लाख से ज्यादा से जीत के वोटों को पार कर 3 से 5 लाख तक की जीत का दावा, 56 इंची सीने के साथ करते नजर आ रहे थे, वह मतदान बीतने के एक पखवाड़े के भीतर ही हजारों में आ गया है. हालांकि अभी तो पूरा एक माह 03 दिन बाकी है. वहीं कांग्रेस ने पूरे चुनाव में बिना किसी बड़े नेता के, भाजपा की सुनिश्चित जीत को अपनी मेहनत से अनिश्चितता में तब्दील कर दिया.  कांग्रेस की टिकिट से प्रत्याशी घोषणा के बाद जिसे जिले के राजनीतिक जानकार, भाजपा को वॉकओवर, देने की बात कर रहे थे, उस प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार और मतदान तक भाजपा को पानी पीने पर मजबूर कर दिया.  

चुनाव में खामोश मतदाता ने जिस तरह से खामोशी से दो ही दलो में प्रत्याशियों को लेकर अपना रूख दिखाया है, उससे जिले में त्रिकोणीय संघर्ष की कहानी को आमने-सामने का मुकाबला बनाकर रख दिया है. कहा जाता है कि भाजपा, उस समय ही चुनाव जीतती है, जब मुकाबला त्रिकोणीय होता है, इसमें भाजपा अपने शेफ वोटों से जीत की राह निकल लेती है जबकि दूसरे ओर तीसरे के बीच वोट, विभक्त हो जाते है, लेकिन इस संसदीय चुनाव में अपेक्षाकृत, वोटो का बंटवारा, कहीं दिखाई नहीं दिया. यही नहीं बल्कि मोदी फैक्टर से ज्यादा विधानसभा चुनाव में किए गए वादो के खिलाफी का असर ज्यादा रहा. जिससे राजनीतिक जानकार मानते है, इसका फायदा कांग्रेस को मिला है. जिससे कांग्रेस, इस संसदीय चुनाव में, भाजपा के समांतर नजर आ रही है.   एक जानकारी के अनुसार बीते 19 अप्रैल को जिले के 18 लाख 73 हजार 653 मतदाताओ में 13 लाख 76 हजार 207 मतदाताओं ने मतदान किया है. जो अपेक्षाकृत, वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव से 3 प्रतिशत से ज्यादा कम है. जो भी भाजपा के लिए चिंता करने वाला है.  

19 अप्रैल को हुए मतदान पर गौर करें तो बैहर में एक लाख 77 हजार 850 मतदाता, लांजी में एक लाख 80 हजार 983 मतदाता, परसवाड़ा में एक लाख 68 हजार 972 मतदाता, बालाघाट में एक लाख 71 हजार 131 मतदाता, वारासिवनी में एक लाख 47 हजार 998 मतदाता, कटंगी में एक लाख 49 हजार 469 मतदाता, बरघाट में एक लाख 87 हजार 776 मतदाता और सिवनी में एक लाख 92 हजार 28 मतदाताओं ने मतदान किया है. जो कुल 73. 45 प्रतिशत मतदान है जो बीते 2019 से 3 प्रतिशत से ज्यादा कम है. फिलहाल 04 जून को मतगणना होनी है और उसके बाद साफ हो जाएगा कि भाजपा और कांग्रेस में कौन जीतता है और जीत का अंतर कितना होता है, लेकिन एक भाजपा नेता का कहना है कि जीत का अंतर पचास हजार के बीच होगा, जबकि कांग्रेस नेता का कहना है कि 15 से 20 हजार में हार-जीत का फैसला होगा.


Web Title : MILLIONS OF BJPS VICTORY CLAIMS REACH THOUSANDS, CONGRESS MAKES BJPS SURE VICTORY UNCERTAIN