अशासकीय स्कूल संचालकों ने डीईओ को सौंपी स्कूल की चॉबी,सरकार के स्कूल नहीं खोलने के आदेश से नाराज, ऑनलाईन क्लासों को किया बंद

बालाघाट. सत्र 2020-21 एवं नये शिक्षण सत्र 2021-22 के लगभग 18 माह तक शासकीय और अशासकीय स्कूल बंद है, लेकिन ऑनलाईन क्लासेस प्रारंभ है, शासकीय और अशासकीय शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत बच्चों की ऑनलाईन पढ़ाई हो रही है. हालांकि शासकीय स्कूलो के साथ यह फायदा है कि उसे शासन से आर्थिक सहयोग मिलता है और शिक्षको को वेतन, लेकिन इससे विपरित अशासकीय स्कूलों की हालत खराब है, अशासकीय स्कूलो में वित्त की कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं होने से यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों के अभिभावकों द्वारा दी जाने वाली फीस से ही स्कूल का संचालन और शिक्षकों का वेतन होता है, लेकिन अशासकीय स्कूलों के लिए सरकार द्वारा केवल ट्यूशन फीस लेने के निर्देश जारी किये गये है, लेकिन अशासकीय विद्यालयों का कहना है कि बावजूद इसके अभिभावक, बच्चों की ट्यूशन फीस भी जमा नहीं करा रहे है, स्कूल आधी फीस लेने भी तैयार है, लेकिन अभिभावक फीस नहीं दे रहे है, ऐसे में उनके लिए स्कूल संचालन करना और शिक्षकों को वेतन देना मुश्किल साबित हो रहा है. यदि सरकार स्कूल नहीं खोलती है तो स्कूल संचालक, अब स्कूलों का संचालन नहीं कर सकेंगे और आज से ही ऑनलाईन कक्षाओं को बंद करने के साथ ही स्कूल संचालकों ने स्कूल की चॉबियां भी जिला शिक्षा अधिकारी को सौंप दी है.

अशासकीय शिक्षण संस्था संघ के प्रदेश आव्हान पर जिलाध्यक्ष डी. सी. चौधरी के नेतृत्व में पूरे जिले के अशासकीय विद्यालयों के स्कूल संचालकों ने जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गये ज्ञापन में कोविड गाईडलाईन एवं जिला आपदा प्रबंधन के सहयोग से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूल खोलने की अनुमति देने, कोरोना महामारी से स्कूलों के बंद होने की स्थिति में हाईस्कूल एवं हायर सेकेंड्ररी मान्यता नवीनीकरण के लिए निरीक्षण को बंद कर वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 की मान्यता नवीनीकरण की तरह पहली से 12 वीं तक वर्ष 2022-23 एवं 2024-25 तक की मान्यता का बिना किसी निरीक्षण के नवीनीकरण, आरटीई के तहत अशासकीय स्कूलों की रूकी राशि को तत्काल प्रदाय करने, निजी स्कूलों से बिना टीसी के शासकीय स्कूलो में हो रहे विद्यार्थियों के प्रवेश को लेकर जारी निर्देशों का पालन करने, छात्रवृत्ति जांच के नाम पर संस्थाओं को परेशान किये जाने पर रोक लगाने, स्कूलो को अन्य राज्यों की तरह आर्थिक पैकेज के साथ ही संपूर्ण प्रकार के टेक्स, बिजली बिल की किश्तें, भवन किराया को माफ करने तथा सामान्य रूप से स्कूल खुलने तक सभी शासकीय एवं अशासकीय बैंको के लोन की ईएमआई वर्ष 2022-23 तक बिना ब्याज के बढ़ाये जाने की मांग की गई है.  

अशासकीय शिक्षण संस्था संघ जिलाध्यक्ष डी. सी. चौधरी का कहना है कि पड़ोसी राज्यों की तरह प्रदेश में भी कोरोना गाईडलाईन का पालन करवाते हुए अशासकीय स्कूलों को खोलने की अनुमति सरकार प्रदान करें, स्कूल खुलने पर आने वाले बच्चों की जिम्मेदारी स्कूल की होगी, हम सोशल डिस्टेंस, और ऑड-इवन की तरह विद्यार्थियों को बुलवाने और कक्षाओं का संचालन करेंगे. उन्होंने कहा कि अभी भी बच्चे अभिभावकों के साथ यात्रा और सफर पर जा रहे है. स्कूल नही खुलने से बच्चे बाल श्रमिक बन गये है और हॉटलो में काम करने लगे है. उन्होंने कहा कि 18 महिने से स्कूल बंद है, ऐसी स्थिति में बिना वित्त के हम स्कूलों का संचालन कैसे करे, ऑनलाईन पढ़ाई के बावजूद अभिभावक फीस नहीं दे रहे है. जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार अशासकीय स्कूलों के लिए आर्थिक पैकेज प्रदान करें और स्कूल के शिक्षकों के लिए राहत राशि दे. इस दौरान जिले से आये अशासकी स्कूल के संचालक उपस्थित थे.


Web Title : NON GOVERNMENT SCHOOL OPERATORS HAND OVER SCHOOL CHOICE TO DEO, ANGRY OVER GOVERNMENTS ORDER NOT TO OPEN SCHOOLS, SHUT DOWN ONLINE CLASSES