रिश्ते अंधे मोड़ की तरह होते है, ड्राइवर ने नियंत्रण खोया तो परिणाम गंभीर होते हैं-प्रवीण ऋषिजी

बालाघाट. सर्वसमाज और सकल जैन समाज द्वारा पार्श्वनाथ भवन में चल रहे प्रवचन माला के दूसरे दिन शुक्रवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषिजी ने भगवान पार्श्वनाथ के जीवन दर्शन पर धर्म संबोधन किया. प्रवचन माला में बालाघाट, वारासिवनी सहित आसपास के क्षेत्र से पहुंचे लोगों ने कोरोना नियमों का पालन करते हुए सपरिवार भगवान पार्श्वनाथ के जीवंत धर्म की प्रतिस्थापना के महत्व को समझा. संत प्रवीण ऋषिजी ने कहा कि रिश्ते अंधे मोड़ के समान होते हैं. एक ऐसा मोड़ जिसमें यदि ड्राइवर ने अपना नियंत्रण खोया तो उसके परिणाम बहुत गंभीर होते हैं.  

प्रवर श्री ने भगवान पार्श्वनाथ की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान पार्श्वनाथ की बड़े भाई कमठ पर इतनी आस्था है कि वह कुछ भी गलत नहीं कर सकता है. इसलिए मैं कहता हूं कि यदि आपकी धर्म पर आस्था है तो खुद को एक बार अवश्य जांच लीजिए कि संप्रदाय मंगल है कि दंगल है. संप्रदाय तुम्हें जोड़ता है कि तोड़ता है. संप्रदाय तुम्हारे अंदर में सदभावनाओं का जन्म कराता है कि दुर्भावनाओं का. जो तुम्हें दुर्भावनाओं का जन्म कराए वो धर्म नहीं हो सकता. आस्था को जब चोट पहुंचती है तो जीना दूभर हो जाता है. शरीर पर लगी चोट इंसान झेल जाता है पर जब दिल पर चोट पड़ती है तो हार्ट फेल हो जाता है. याद रखिए, इस संसार में भरोसे की सजा कम मिलती है, अच्छाई की सजा अधिक मिलती है. संभावनाओं के बाद भी अगर आशा पूरी नहीं हो उसे अधर्म कहते हैं और आशा पूरी नहीं होने की प्रबलता के बावजूद आशा पूरी हो जाए उसे धर्म कहते हैं. दशरथ ने कभी नहीं सोचा था कि राम का राज्याभिषेक नहीं होगा. रावण ने कभी नहीं सोचा था कि श्री राम से हार जाऊंगा, लेकिन ये हुआ.


Web Title : RELATIONSHIPS ARE LIKE BLIND TURNS, CONSEQUENCES ARE SERIOUS IF DRIVER LOSES CONTROL PRAVEEN RISHIJI