ऐसा लगा कुछ बोल रही रंगोली, कलाकारों की रंगोली को मिला जनता का प्यार

बालाघाट. दिपावली पर्व पर जहां एक ओर नगर में रोशनी से जगमगा उठा तो वही घरों के आंॅगन रंगोलियों से चमक उठे. रोशनी के इस पर्व पर घर के आंगन और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बनाई गई रंगोली देखते ही बनती है. मुख्यालय में दीपावली में रंगोली कलाकारांे की बनाई गई रंगोली मानो कुछ बोलना चाह रही है, रंगो में अपने भावो को बयां करती रंगोली को देखकर लोग भी आश्चर्यचकित थे कि यह रंगोली है या कोई स्केच. भावों को बयां करती रंगोली जीवंत नजर आ रही थी. नगर के सांई मंदिर के सामने वर्षा उरकुड़े, श्राची जैन, गुंजन और सुमित मंगलानी की रंगोली ने लोगों का मनमोह लिया. बड़ी संख्या में लोग इनकी रंगोली को देखने पहुंचे और उनकी कला की मुक्तकंठ से सराहना की.

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंगोली महज एक कलात्मक अथवा सजावटी वस्तु नहीं है. रंगोली की आकृतियां घर से बुरी आत्माओं एवं दोषों को दूर रखती हैं. रंगोली के सुंदर रंग घर में खुशहाली एवं सुख-समृद्धि लाते हैं. दीपावली त्यौहार में रंगोली बनाना महज एक रिवाज नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक इतिहास भी प्रचलित है. कहा जाता है कि जब प्रभु श्रीराम वनवास से वापस लौटे थे तो उनके स्वागत में अयोध्या में अयोध्या वासियों द्वारा घर की साफ-सफाई करके घर के आंगन और प्रवेशद्वार के समीप रंगोली बनाई गई थी, इसी तरह माता लक्ष्मी के घर आगमन के लिए रंगोली बनाई गई.  


Web Title : IT FELT LIKE RANGOLI WAS SAYING SOMETHING, THE ARTISTS RANGOLI GOT THE LOVE OF THE PUBLIC.