ये तो लोहा काट रहे, कागज की तलवारों से...., काव्य गोष्ठी में कवियों को दिया गया छू लो आसमान काव्य सम्मान

बालाघाट. लोधेश्वर उत्कर्ष जनचेतना संगठन के तत्वावधान में ‘छू लो आसमान किसने रोका है’ बेनर तले गत 5 जनवरी को महारानी अवंतीबाई लोधी मंगलभवन गायखुरी बालाघाट में ‘छू लो आसमान किसने रोका है’ की संयोजिका साक्षी लोकेश लिल्हारे द्वारा एवं लोधेश्वर चेतना के अध्यक्ष सी. डी. नगपुरे, सचिव दुर्गा सौलखे एवं सहसचिव श्रीराम बोहने के हस्ते साहित्यकार मुकेश मनमौजी हास्यकवि, डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी व्यंग्यकार, राजेन्द्र शुक्ल ‘सहज’ ओज कवि, चंद्रेश तूफानी सबरस कवि, अलका चौधरी अनमोल गीत गजल, रमा प्रेमशान्ति नारी चेतना की कवियित्री, कविता कनक, नैना अटराहे, हिमांशु जैन, पंकज जुगनू, किशोर छिपेश्वर गीतकार, हेमंत बसन्त श्रृंगारकवि नागपुर, गौरीशंकर मोहारे आंचलिक गीतकार, हलचल बालाघाटी, मीरश्याम लिल्हारे एवं भानुप्रताप लिल्हारे को उनकी साहित्य साधना के लिये ‘छू लो आसमान काव्य सम्मान’ प्रदान किया गया.

इस अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन ‘छू लो आसमान किसने रोका है’ की संयोजिका श्रीमती साक्षी लोकेश लिल्हारे एवं जीएसटी एडिशनल कमिश्नर लोकेश लिल्हारे एवं प्रबुद्ध श्रोताओं की उपस्थिति में किया गया. जिसमें हास्य का धमाका मुकेश मनमौजी ने श्रोताओं को हास्य से सराबोर किया. हरिशंकर परसाई व्यंग्य सम्मान से सम्मानित डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी ने अपनी व्यंगात्मक शैली का परिचय देते हुए अपना परचम लहराया. हेमन्त बसन्त कवि नागपुर की मधुर वाणी ने अपना जादू बिखेरा. राजेन्द्र शुक्ल ‘सहज’ ओज ने छू लो आसमान पर गीत की प्रस्तुति देकर समां बांधा. गीतो की मल्लिका अलका चौधरी अनमोल ने शानदार प्रस्तुति देकर सबके मन को मोहा. रमा प्रेमशान्ति ने नारी चेतना के स्वर को मुखरित किया. कवियित्री नैना अटराहे ने सशक्त लेखनी का परिचय दिया. कविता कनक ने धारदार कविता से अपनी अनूठी छाप छोड़ी. किशोर सागर मधुर गीतकार ने गीत पैरोडी से मंच को ऊंचाई दी. आंचलिक गीतकार गौरीशंकर मोहारे ने भी अपने अलग अंदाज में अपनी बात कही. हिमांशु जैन सैलाब ने पैरोडी का सैलाब खड़ा किया. वहीं पर चंद्रेश तूफानी ने क्षेत्रीय भाषा में कविता से तूफान खड़ा किया. उभरते कवि पंकज जुगनू ने अपने अंदाज में ही श्रोताओं को गुदगुदाकर प्रकाश आलोकित किया. कवि मीरश्याम लिल्हारे की कविता, हलचल बालघाटी की गजल, भानुप्रताप लिल्हारे की घनाक्षरी ने भी धूम मचाई. साहेबलाल दशरिये ‘सरल’ ने अपने शानदार संचालन के माध्यम से अपनी मंच संचालक की भूमिका का बखूबी निर्वहन किया.

कार्यक्रम मे जीएसटी एडिशनल कमिश्नर लोकेश लिल्हारे ने साहित्यकारों को संबोधित कर कहा कि ये मत पूछो कैसे लिखते हैं, इन सब फनकारों से. ये तो लोहा काट रहे हैं कागज की तलवारों से. दुनिया बदलना है तो कलम को ताकतवर कर दीजिए. सच भी है जिस ओर कलम चलने लगती है, उस ओर जमाना चलने लगता है. उनके द्वारा निकट भविष्य में काव्य गोष्ठी के आयोजन करने की घोषणा भी की गई.  

इस दौरान प्रमुख श्रोताओं में भोपाल से पधारे डॉ. लालसिंह राजपूत, ओमप्रकाश लोधी, इंदौर से पधारे हेमन्त वर्मा, मोहगांव धपेरा से पधारे टीकाराम लिल्हारे, श्रीमती शकुंतला लिल्हारे, देवेंद्र नगपुरे, तरुण नगपुरे के अलावा अनेकों श्रोताओं ने देर रात्रि तक कवितापाठ सुनकर इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया. कार्यक्रम में लोधेश्वर उत्कर्ष जनचेतना संगठन की पूरी टीम की सराहनीय भूमिका रही.


Web Title : THEY ARE CUTTING IRON, WITH PAPER SWORDS...., TOUCH THE POETRY AWARD GIVEN TO POETS IN THE POETRY SEMINAR.