बालाघाट. पंचायत चुनाव से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा प्रदेश से लेकर दिल्ली तक गूंजा. ओबीसी आरक्षण में फंसे पेंच के बाद सरकार को पंचायत चुनाव का अपना ही अध्यादेश वापस लेना पड़ा. जिसके बाद ओबीसी आरक्षण को लेकर हर मंचो से सरकार ओबीसी को साधने में लगी है. ओबीसी आरक्षण में माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ओबीसी लोगो की जानकारी, सरकार का पिछड़ा वर्ग आयोग जुटा रहा है, लेकिन अब भी पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर संशय बना है, वहीं दूसरी ओर इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
23 जनवरी को बालाघाट प्रवास पर आये कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने ओबीसी, निजीकरण, वादाखिलाफी पर भाजपा पर जमकर हमला बोला. सर्किट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में पिछड़ा वर्ग प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने कहा कि प्रदेश में 52 प्रतिशत ओबीसी वर्ग को सामाजिक न्याय के परिपेक्ष्य में आरक्षण का पूरा अधिकार है, हम चाहते है कि सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण प्रदान किया जायें लेकिन ओबीसी वर्ग के आरक्षण को खत्म न किया जायें. संवैधानिक प्रावधानों के तहत सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आधार पर ओबीसी के हित में आरक्षण किया गया था. जिसे प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था. जिसे केवल अध्यादेश लाकर लागु करना था, लेकिन जिस तरह से मंडल कमीशन का कमंडल लेकर भाजपा ने आरक्षण का विरोध किया. उससे साफ है कि भाजपा ओबीसी आरक्षण को लेकर नीतिगत विरोधी है, वह केवल बात करती है, पर देना नहीं चाहती है. जबकि कांग्रेस ने ना केवल त्रिस्तरीय पंचायत में 14 प्रतिशत बल्कि महिलाओ को भी आरक्षण दिया. कांग्रेस ने हमेशा प्रजातांत्रिक मूल्यों के साथ ना केवल गरीब का हक और अधिकार उसके स्वाभिमान और सम्मान को बरकरार रखते हुए दिया और कांग्रेस लगातार गरीब, दलित किसानों की लड़ाई लड़ रही है.
जबकि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकार पूंजीपतियों की सरकार है, जो देश को बेचने का काम कर रही है, जिसने देश की शासकीय संस्थानों को योजनाबद्व तरीके से पूंजीपतियो के हाथ में बेचने का काम किया. पहले ऐसी परिस्थति पैदा की, संस्थान घाटे में जाये, जिसके बाद उसका निजीकरण कर पूंजीपतियों के हाथ में सौंप दिया. भाजपा की सरकार ने देश की जनता, किसान, गरीब, पिछड़ो और बेरोजगारों से जो वादे किये थे, उसे पूरा नहीं किया बल्कि किसानों की जमीन को वह पूंजीपतियों के हाथो में सौंपनी चाहती है लेकिन कांग्रेस और किसानों के आंदोलन के बाद सरकार को तीन काले कृषि कानूनो को वापस लेना पड़ा. लेकिन उसके बाद भी उसकी नियत साफ नहीं है. केन्द्र और भाजपा सरकार की इन्ही गलत नीतियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस और पिछड़ा वर्ग, पूरे प्रदेश में कांग्रेस चाय-चौपाल के नाम से गांव-गांव, हर घर जाकर केन्द्र एवं प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों से आगाह कर यह बताने का प्रयास कर रही है कि भाजपा, गरीब, दलित और किसानों की समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकाकर केवल उन्हें धर्म के नाम पर गुमराह करने का काम कर रही है और यह एक दिन पूर देश को पूंजीपतियों के हाथ में देकर, देश की 90 प्रतिशत गरीब जनता को गुलाम बना देगी. उन्होंने बताया कि कांग्रेसी चाय-चौपाल के माध्यम से लोगों तक कांग्रेस की विचारधारा को पहुंचाकर भाजपा सरकारों के झूठे और गुमराह करने वाले वादों से जागरूक करेगी. ताकि जनता फैसला कर सकें कि कौन सी पार्टी उनकी है और सी पार्टी, उनका शोषण और दमन कर रही है.