जिले में मनाया गया भुजरिया पर्व, एकदूसरे को भुजरिया देकर दी बधाई

बालाघाट. सावन महीने की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाने के बाद अगले दिन भाद्रपद महीने की प्रतिपदा को भुजरिया पर्व मनाया जाता है. इसे कजलिया पर्व भी कहते हैं. जिले सहित मुख्यालय में 12 अगस्‍त को भुजरिया पर्व मनाया गया.

नगर के मोती तालाब और देवीतालाब मंे भुजरिया रखने वालो ने भुजरियों का विसर्जन किया और एकदूसरे को भुजरिया देकर बधाई दी. कहा जाता है कि यह पर्व अच्‍छी बारिश होने, फसल होने, जीवन में खूब सुख-समृद्धि आने की कामना के साथ मनाया जाता है. लिहाजा इस दिन लोग एक-दूसरे को धन-धान्‍य से भरपूर होने की शुभकामना का संदेश देते हैं.

सावन के महीने की अष्टमी और नवमीं या नागपंचमी को बांस की छोटी टोकरियों में मिट्टी बिछाकर गेहूं या जौं के दाने बोए जाते हैं. फिर उन्हें रोजाना पानी दिया जाता है. करीब एक सप्‍ताह में इनमें अंकूर फूट आते हैं और भुजरिया उग आती हैं. भुजरिया पर्व के दिन यही भुजरियो का पूजन किया जाता है, ताकि इस साल अच्‍छी बारिश हो और फसल हो सके. जिसके बाद उसका विसर्जन किया जाता है और विसर्जन के दौरान कुछ भुजरियांे को रखकर एक-दूसरे को बांटी जाती हैं और बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है. बताया जाता है कि भुजरिया नई फसल की प्रतीक होती हैं. भुजरिया को लेकर पौराणिक कथा, राजा आल्हा ऊदल की बहन चंदा से जुड़ी है. आल्हा की बहन चंदा जब सावन महीने में नगर आई तो लोगों ने कजलियों से उनका स्‍वागत किया था. तब से ही यह परंपरा चली आ रही है.  

महिला गौरी पंडेल ने बताया कि नागपंचमी को भुजरियां बोई जाती है और प्रतिदिन उसे पानी दिया जाता है, ताकि अच्छी भुजरियां आ सके और रक्षाबंधन के दूसरे दिन इसका विसर्जन किया जाता है. साथ ही भुजरियों को एकदूसरे को देकर इसकी बधाई दी जाती है और छोटे, बड़ो को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेते है.

कोसमी मंे भी परंपरानुसार मनाया गया भुजरिया पर्व

नगरीय क्षेत्र से लगे ग्राम पंचायत कोसमी में भी भुजरिया पर्व परंपरानुसार मनाया गया. घरो में बोई गई भुजरियो को हाथो में लिये महिलाओं की भुजरियां यात्रा निकली. जो ग्राम के एक निर्धारित स्थल पहुंची, जहां महिलाआंे द्वारा भुजरियां की विधि विधान से परिक्रमा की गई. तदुपरांत गांव के पावन जल में भुजरियां का विसर्जन किया गया. पूर्व सरपंच गगन नगपुरे ने बताया कि भुजरिया पर्व, हमारे परंपरा और नई फसल का प्रतिक पर्व हैं. जो युवा पीढ़ी को अपनी परंपरा से परिचित कराती है. इसे घरो मंे महिलाओं द्वारा बोया जाता है और प्रतिदिन इसमें जल अर्पित किया जाता है और रक्षाबंधन के दूसरे दिन पूरे विधिविधान से घरो में बोई गई भुजरियों का विसर्जन किया जाता है और एकदूसरे को भुजरियां देकर बधाई और शुभकामनायें दी जाती है.


Web Title : BHUJARIA FESTIVAL CELEBRATED IN THE DISTRICT, CONGRATULATED EACH OTHER WITH BHUJARIA