बंद पड़ी नर्सरी में लगे पेड़ो चल रही कुल्हाड़ी,जागरूक नागरिकों ने नर्सरी में लगे पेड़ो को बचाने की अपील, सीसीएफ ने रोपणी नर्सरी को बचाने का दिलाया भरोसा

बालाघाट. यह सभी जानते है कि हमारा जीवन पेड़ो पर आधारित है, पेड़ होगा तो जीवन होगा, ऐसे स्लोगन अक्सर पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमें सुनाई देते है. पेड़ हमे ऑक्सीजन देते है और इस ऑक्सीजन की उपयोगिता और अनिवार्यता का अहसास, हमें हाल में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान देखने को मिला. जिसके बाद से पेड़ो के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी है और कोरोना महामारी में ऑक्सीजन की कमी जैसी वजह पर्यावरण संरक्षण की जरूरत को और ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण ही हमें सेहतमंद और समृद्ध बना सकता है, जिस उक्ति को हमें ध्यान में रखना होगा.  

5 जून को जहां जिले भर से विश्व पर्यावरण दिवस पर विभिन्न संस्थाओं, राजनीतिक दलो द्वारा पौधारोपण की खबरें सबसे ज्यादा देखने को मिली. वहीं हमें विश्व पर्यावरण दिवस पर ही एक अन्य नजारा देखने को मिला. जब हरे-भरे पौधे से पेड़ की शक्ल अख्तियार कर चुके वृक्षो पर कुल्हाड़ी की धार दिखाई दी. अब तक जिले के अलग-अलग वनक्षेत्रो में पेड़ो की कटाई के समाचार मय फोटो के साथ आपने देखा होगा, लेकिन शहरी क्षेत्र में बंद पड़ी नर्सरी में पौधे से पेड़ बन चुके वृक्षो पर कुल्हाड़ी चलने और अनदेखी से बर्बाद होती रोपणी का हाल बयां होते है. वन्यप्रेमी जागरूक नागरिक की चिंता जायज है, वह चाहते है कि लाखो-करोड़ो से बनाई गई रोपणी में ऑक्सीजन देते पेड़ो पर चल रही कुल्हाड़ी को रोकने को लेकर प्रशासन और वनविभाग कदम उठाये. पुलिस से अपेक्षा है कि बंद पड़ी रोपणी में रात के अंधेरे में असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर लगाम लगाई जायें.

नगरीय क्षेत्र के मोक्षधाम मार्ग पर स्थित सागौन वन से लगे क्षेत्र में वर्ष 2006-07 में अनुसंधान विस्तार वृत्त द्वारा पौधे तैयार करने के लिए नर्सरी की शुरूआत की गई थी. उस वक्त यहां काम करने वाले मोतीलाल मांद्रे का कहना है कि जब यह नर्सरी प्रारंभ हुई थी, तब यहां कोई पेड़, पौधे नहीं थे. जब नर्सरी प्रारंभ हुई और सालाना यहां काम करने वाले 14-15 लोग, नर्सरी मंे पौधा तैयार करते थे तो उनके द्वारा यहां आंवला, आम, जामुन, अमलतास, लिप्टन, अर्जुन, बेल, सागौन, शीशम और नीम सहित मिश्रिम प्रजाति के पौधो का रोपण किया था. जो समय के साथ देखरेख के चलते आज 15 से 20 फीट के मोटे स्वरूप में तैयार हो चुके है, खासकर इस नर्सरी में मिश्रित प्रजाति के पेड़ो के अलावा आंवले के सबसे ज्यादा पेड़ है, जो अब फल भी देने लगे है. श्री मांद्र की मानें तो उस दौरान शासन और निजी स्तर पर पौधो की मांग के अनुरूप कभी-कभी तो 70 से 100 लोग भी पौधे तैयार करने के कार्य में जुटे रहते थे, लेकिन नर्सरी को वर्ष 2019-20 में एकाएक बंद कर दिया गया. जिससे नर्सरी में काम करने वाले मजदूर बिखर गये, कुछ लोगों ने यह काम छोड़कर अन्य काम अपना लिया, जबकि कुछ लोग गर्रा स्थित नर्सरी में पौधे तैयार करने के काम मंे लग गये. नर्सरी बंद होने से यहां की देखरेख कम हो गई. जिसके चलते नर्सरी में पौधा तैयार करने के दौरान लगाई गई फेसिंग तार और सीमेंट पोल में भरे लोहे को निकालने असामाजिक लोगों ने पूरी तोड़फोड़ कर दी. जो यहां गार्डन के रूप में बैठक कक्ष और चौकीदार के लिए रहने के लिए कक्ष बनाया गया था. उसे भी तोड़कर लोग लोहे और ईट की चोरी के साथ कवेलु की चोरी कर रहे है. आलम यह है कि सागौन, शीशम और आंवले के कई पेड़ो पर कुल्हाड़ी चलाकर लकड़ी चोरो ने पेड़ो को ठूंठ में तब्दील कर दिया है और लगातार लगे पेड़ो पर कुल्हाड़ी चलने का क्रम बदस्तूर जारी है.

एक ओर विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधे लगाकर उसे पेड़ बनाने का संकल्प लिया जा रहा है तो दूसरी ओर पौधे से  पेड़ बन चुके वृक्षो की सुरक्षा को दरकिनार कर लकड़ी माफियाओं के हाथो में खुला छोड़ देने से वनप्रेमी जागरूक नागरिक नाराज है. बताया जाता है कि नस नर्सरी के पास निवासरत जागरूक लोगों ने नर्सरी बंद होने के बाद यहां लगी फेसिंग के तार, सीमेंट पाईप को तोड़कर लोहे की चोरी सहित शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पेड़ो के कत्लेआम को रोकने के लिए कलेक्टर से लेकर सीसीएफ, एसडीओ, पुलिस विभाग और मुख्यमंत्री तक शिकायत भिजवाई लेकिन पर्यावरण की बात करने वाले जिम्मेदारों के कानो में जूं तक नहीं रेंगी. जिससे पेड़ो को बचाने में लगे जागरूक नागरिको में नाराजगी का भाव है और वह इसे सीधे तौर पर जिम्मेदारी की अनदेखी बता रहे है. उनका कहना है कि कब पौधे से पेड़ बनेंगे, यह तो फोटो मय समाचार से नजर नहीं आता है लेकिन पौधे से पेड़ो को बचाने की आवश्यकता है, तभी पर्यावरण और मानव जीवन सुरक्षित होगा.

कई हरे-भरे पेड़ बने ठूंठ, कुछ पेड़ो को काटने की तैयारी 

विश्व पर्यावरण दिवस पर बंद पड़ी नर्सरी में लगे पेड़ों की हकीकत को बयां करती स्थिति से क्षेत्रीय जागरूग नागरिक प्रेमलाल दशहरे, देवेन्द्र पारधी, आयुष लिल्हारे, आकाश खैरकर और योगश राणा सहित अन्य रहवासियों ने प्रेस रिपोर्टर को बुलाकर दिखाया. जहां कई बेशकीमती हरे-भरे पेड़ को काट दिया गया है, जिनके ठूंठ नजर आ रहे है, जबकि कई पेड़ो पर कुल्हाड़ी चलाने के निशान दिखाई दे रहे है. बताया जाता है कि मिश्रित प्रजाति के इस नर्सरी में बेशकीमती पेड़ो के अलावा औषधी युक्त पेड़ और पौधे भी है. यह बंद पड़ी नर्सरी वनविभाग की अनदेखी के कारण असामाजिक तत्वों और लकड़ी चोरो की हवाले हो गई है. हालांकि कुछ जागरूक नागरिक जरूर यहां सुबह, शाम पहुंचकर पेड़ो को बचाने का जतन कर रहे है लेकिन कुल्हाड़ी लेकर आते लकड़ी चोरों के आगे वह भी बेबस है.  

मौखिक आदेश पर एक वनरक्षक और दो स्थायी कर्मी को किया गया तैनात

बताया जाता है कि इस मामले में जागरूक नागरिकों की शिकायत के बाद बंद पड़ी नर्सरी में लगे पेड़ो को बचाने के लिए बालाघाट सामान्य परिक्षेत्र, परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा मौखिक आदेश पर एक वनरक्षक और दो स्थायी कर्मियों को यहां देखरेख के लिए रखा गया है लेकिन उनकी मौजूदगी भी क्षणिक होने का फायदा असामाजिक तत्व और लकड़ी चोर उठा रहे है.  


इनका कहना है

बंद पड़ी नर्सरी में आसपास के रहवासी सुबह, शाम घूमने आते है, कभी यहां नर्सरी में पौधों को तैयार किया जाता था लेकिन नर्सरी के बंद होने से यहां लगे पेड़ो को लकड़ी चोर काटकर ले जा रहे है जबकि शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. नर्सरी में लगे पेड़ो की सुरक्षा और नर्सरी को पुनः प्रारंभ किये जाने को लेकर कलेक्टर, सीसीएफ, डीएफओ, एसपी और थाने में शिकायत की गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हमारा जिम्मेदार प्रशासन से निवेदन है कि वह नर्सरी में लगे पेड़ो को सुरक्षित करने के लिए फेसिंग लगवा दे और इसकी देखरेख करें. यदि विभाग इसकी देखरेख नहीं कर सकता है तो कम से कम समिति बनाकर नर्सरी को उसके हवाले कर दिया जायें, ताकि यहां पौधे से पेड़ बन चुके वृक्षों को बचाया जा सके. विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधे लगाकर पर्यावरण की चिंता की जा रही है, जबकि लगे पेड़ो की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, जो चिंतनीय है. नर्सरी में लगे पेड़ो की सुरक्षा में अनदेखी होने से लोगो में नाराजगी है. पर्यावरण संरक्षण के नाम पर फोटो फैशन बन गया है, जबकि पौधो को लगाने के साथ ही उनकी सुरक्षा का भाव अब भी लोगों के मन में नहीं है.

प्रेमलाल लिल्हारे, जागरूक नागरिक

जिला प्रशासन सहित वनविभाग को चाहिये कि वह नर्सरी की व्यवस्था में सुधार कर इसे बचाने की दिशा में प्रयास करें. चूंकि वह यहां रोजाना घूमने आते है और इसकी दुर्दशा देखकर मन व्यथित होता है. विगत कई दिनों से अनवरत यहां लकड़ी चोरी के लिए पेड़ो को काटा जा रहा है. इस जगह तो पूर्व की नर्सरी की तरह ही विकसित किया जायें या फिर उद्यान बना दिया जायें, ताकि यहां लगे पेड़, पौधे संरक्षित हो सके. यदि विभाग यह जिम्मेदारी नहीं उठा पा रहा है तो निजीकरण की तर्ज पर इसे भी निजी हाथो में सौंप दिया जायें, ताकि यह सुरक्षित हो सके.

आयुष लिल्हारे, युवा

आपके माध्यम से जानकारी मिली है, डीएफओ और परिक्षेत्र अधिकारी को निर्देशित किया जायेगा. उसका सीमांकन किया जायेगा और लगे पेड़ो को बचाया जायेगा. संभव हो सका तो मैं स्वयं वहां जाकर स्थिति का जायजा लुंगा.  

श्री सनोडिया, सीसीएफ


Web Title : CCF ASSURES TO SAVE NURSERY NURSERY AS CLOSED NURSERY TREES RUN AXE, CONSCIOUS CITIZENS APPEAL TO SAVE NURSERY TREES