बालाघाट की धरा पर गुरूदेव प्रवीण ऋषि म.सा. का आगमन, सर्वसमाज एवं सकल जैन श्री संघ ने की आगवानी, व्यक्ति, परिवार और समाज के त्रिवेणी संगम में स्नान से संस्कृति पवित्र हो जाती है-प्रवीणऋषि म.सा.

बालाघाट. धार्मिक चैनलों में प्रवचनों के माध्यम से पारिवारिक एकता, सामंजस्य, प्रेमभाव, देश एवं धर्म के कल्याण और जीवन जीने की कला सीखाने वाले जैन संत, अहिंसा के प्रेरक और गुरुदेव श्री प्रवीण ऋषिजी म. सा. का महाराष्ट्र की ओर से मोवाड़ की सीमाओं से होकर बालाघाट की पावन धरा पर आज 20 दिसंबर का आगमन हुआ. जहां उनकी आगवानी जिले के सर्वसमाज और सकल जैनश्रीसंघ ने आगवानी की. इस दौरान पूर्व सांसद बोधसिंह भगत, महावीर इंटरनेशनल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सोहन वैद्य, अजय लुनिया सहित बड़ी संख्या में सर्वसमाज और जैन समाज के बंधु उपस्थित थे. बालाघाट की पावन धरा पर गुरूदेव प्रवीण ऋषि म. सा. के साथ ही तिर्थेथ ऋषि म. सा. भी पहुंचे है.

मोवाड़ में चांडक भवन में गुरूदेव प्रवीण ऋषि म. सा. का स्वागत किया गया. इस दौरान पूर्व सांसद बोधसिंह भगत ने कहा कि मनुष्य का जीवन साधु, संतो के आशीर्वाद सार्थक हो जाता है. आज धरती और हम सभी सुरक्षित है तो वह ऋषि मुनियों की तपस्या का फल है. महावीर इंटरनेशनल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सोहन वैद्य ने कहा कि अब तक हम धार्मिक चैनल और यू-ट्यूब के माध्यम से ही गुरूदेव प्रवीण ऋषि म. सा. को सुना करते थे. आज यह सौभाग्य है कि वे उनके पावन चरण बालाघाट की धरती पर पड़े है, जिससे हम सभी धन्य हो गये है. इंदौर में चतुर्मास पूर्ण कर वर्ष 2022 का अगला चातुर्मास जोधपुर में होने जा रहा है. यहां से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ से होकर जोधपुर की 27 सौ किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे. आज गुरूदेव प्रवीण ऋषि म. सा. का सानिध्य बालाघाटवासियों को मिला है, जो जीवन को मंगल बनाने और सुखी बनाने का अवसर आया है. आज उनके प्रत्यक्ष दर्शन का लाभ मिला है, जिससे जिले का सर्व समाज और सकल जैन श्री संघ स्वयं को भाग्यवान महसुस कर रहा है.

मोवाड़ के चांडक भवन में आयोजित प्रवचन माला मंे गुरूदेव प्रवीण ऋषि म. सा. ने कहा कि व्यक्ति यदि स्वयं को कंपर्ट जोन में सुखी मानता है तो यह उसका भ्रम है, जब वह कंपर्ट जोन छोड़ेगा तभी वह सुखी होगा. आज, कल नही परसो सुविधा आपको बर्बाद जरूर करेगी लेकिन जिस दिन आप कंपर्ट जोन छोड़कर साधना की ओर जायेंगे तो आपको सिद्धी मिलेगी. सुविधा तन, मन को कमजोर और दुविधा में डाल देती है और व्यक्ति अपने लक्ष्य को भुल जाता है, चाहे महात्मा गांधी हो, बाबा आम्टे हो, स्वामी विवेकानंद से लेकर योगी आदि तक महापुरूषो और संतो ने यदि कोई सोच में परिवर्तन लाया है तो उन्होंने सुविधा से कभी दोस्ती नहीं की. जो काम सोचे नहीं उसे करने में मजा आता है. कंपर्ट जोन छोड़ते ही विकास होने लगता है. जिस प्रकार पेड़ को पता नहीं होता है कि वह सीमाओं में है, संत भी नदी और पेड़ जैसे होते है, जिन्हें कोई सीमा बांध नहीं सकती है. संत, सीमाओं से बाहर होते है. सीमाओं से संघर्ष होता है और यदि सीमा खत्म हो जाती है तो संघर्ष भी खत्म हो जाता है.  

गुरूदेव प्रवीण ऋषि म. सा. ने कहा कि बालाघाट की धरती पर 2021 को विदा देकर 2022 का प्रवेश करेंगे. इसालिए भावना है कि बालाघाट का व्यक्ति, परिवार, समाज नये युग में प्रवेश करें. भक्ति मार्ग पर चले, संस्कार के रास्ते पर चले, समाज को सशक्त बनाने के लिए अपने आप को समर्पित कर दे. यदि व्यक्ति, परिवार और समाज का त्रिवेणी संगम हो जाये तो इसमें स्नान करके संस्कृति पवित्र हो जायें, यह उद्देश्य लेकर वह पहुंचे है.

संत श्री प्रवीण महाराज का आगमन भंडारा से तुमसर और तुमसर से ग्राम मोवाड़ (मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र बॉर्डर) पर 20 दिसंबर को हो गया है. जहां उनकी आगवानी बालाघाट के अलावा वारासिवनी, कटंगी सहित अन्य स्थानों से एक हजार से अधिक भक्तजनो ने पहुंचकर की. जबकि आगामी 23 दिसंबर को संत श्री प्रवीण महाराज सा. का बालाघाट शहर में मंगल प्रवेश होगा. कलेक्टेªट कार्यालय के सामने स्थित रेस्ट हाउस से उनकी अगवानी की जायेगी.

यहां शहर भ्रमण के बाद वे जैन स्थानक भवन में विराजेंगे. 23 से 26 दिसंबर तक पार्श्वनाथ भवन में रोजाना सुबह 9 बजे से उनके मंगल प्रवचन होंगे. इसके अलावा जयहिंद टॉकिज मैदान स्थित नूतन कला निकेतन सभागार में अगले पांच दिनों तक रोजाना अलग-अलग विषयों पर संत प्रवीण महाराज प्रवचन देंगे. इसमें वे परिवार में एकता और खुशियां कैसे बरकरार रखें, गर्भवती माताओं के गर्भ में पल रहे नवजात बच्चे को मां के गर्भ से ही अच्छे संस्कार कैसे मिले जैसे विषयों पर अपने मंगल प्रवचन देंगे. खासकर पांच दिनो में लोकप्रिय बनने से पहले परिवार प्रिय बनें, परिवार शक्तिपीठ, घर ही मंदिर है, रिश्तों के पुजारी बनें और सजा नहीं सुधार विषय पर संतश्री प्रवचन देंगे.

इसके साथ ही सार्वजनिक प्रवचनों की श्रृंखला अलग-अलग चरणों में कराई जायेगी. इसके तहत सात दिवसीय गर्भ संस्कार शिविर का आयोजन किया जाएगा. इस शिविर के माध्यम से शिशु, माता-पिता और परिजनों को कैसे संस्कारित किया जाए, इसके बारे में बताया जायेगा. इस शिविर के शुरुआती दिन माता-पिता जोड़े के रूप में शामिल होते हैं. इसके बाद अगले तीन दिन शिविर में सिर्फ गर्भवती माताएं शामिल होती हैं. अंतिम दिन दोबारा माता-पिता शामिल होते हैं. बताया गया कि नये साल के उपलक्ष्य में वैद्य लॉन में विशेष कार्यक्रम रखा गया है. 1 जनवरी को मंगल पाठ और प्रवचन का आयोजन होगा.

Web Title : GURUDEV PRAVEEN RISHI M.S. THE ARRIVAL OF SARVA SAMAJ AND SAKAL JAIN SHRI SANGHA, BATHING IN THE TRIVENI SANGAM OF INDIVIDUALS, FAMILIES AND SOCIETY SANCTIFIES THE CULTURE PRAVEENRISHI M.S.