फिलीपिन्स के वैज्ञानिकों और सांसद ने किया कृषि महाविद्यालय का किया निरीक्षण

बालाघाट. अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान फिलीपिन्स से आए धान वैज्ञानिक डॉ. चाला वेंकटश्वरूल्लु एवं डॉ. आशीष माल ने इरी, फिलीपिंस और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के मध्य हुए समझौता ज्ञापन के अनुसार राजा भोज कृषि महाविद्यालय, मुरझड़ (वारासिवनी) में बोवार 228 धान की किस्मों के अनुसंधान परीक्षण प्रक्षेत्र का भ्रमण कर अवलोकन किया. इस दौरान सांसद भारती पारधी उपस्थित भी साथ थी.

भ्रमण के दौरान सांसद भारती पारधी ने कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों एवं इरी, फिलीपिंस से आये कृषि वैज्ञानिकों के साथ चर्चा किया. धान उत्पादन में आने वाली समस्याओं पर बात करते हुए कहा कि दिन-प्रतिदिन कृषि में मजदूरों की कमी हो रही है, परहा लगाने के लिए समय पर बनिहार नहीं मिलती है. कृषक परहा लगाने के लिए कीचड़ तैयार करते है, जो कि पहले बैलजोड़ी, पाटा से तैयार किया जाता था परन्तु अब अधिकतर किसान ट्रैक्टर चलित कल्टीवेटर एवं रोटावेटर से करते है, जिसके कारण मिट्टी की संरचना बिगड़ने से मिट्टी कठोर हो रही है. वर्षागत जल खेत के अंदर नहीं जा रहा है, जिससे भूमिगत जल स्तर कम हो रहा है. पर्यावरणविदों का कहना है कि रोपा लगाने से धान के खेतों से मिथेन गैस के उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन होने की संभावना बढ़ रही है.

जिस पर कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि उक्त समस्याओं के समाधान के रूप में बोवार पद्धति से धान उत्पादन करने पर खेत का पानी रिसकर भूतल तक चला जाता है, भूमिगत जलस्तर बढ़ता है. समय पर बुआई हो जाती है. धान के खेतों से मिथेन गैस के उत्सर्जन कम होगा. जिसके लिए आवश्यक है कि बोवार पद्धति से धान उगाने के लिए उपयुक्त प्रजाति का चुनाव, जिसमें यह गुण हो कि बालाघाट-सिवनी की मिट्टी में अंकुरण अच्छा हो, जल्दी से बढ़े या फैले ताकि अपने आसपास के खरपतवारों को बढ़ने से रोक सके. बोवार में प्रमुख समस्या निंदा को ध्यान में रखते हुए खरपतवारों के उगने के पूर्व एवं उगने के बाद नियंत्रण करने के लिए कृषकों को निंदानाशकों की जानकारी हो.

सांसद ने चर्चा के दौरान जिले में देशी धान की परंपरागत किस्मों जैसे - चिन्नौर, जीराशंकर, दूबराज, लुचई, छतरी, सठिया, कालीमूंछ, कालीकमौद आदि की उंचाई अधिक होने के कारण गिरने से बचाने के लिए उन्नत किया जाए, ताकि उनका रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने पर विशेष जोर दिया. क्योंकि ये किस्में सुगंधित, छोटे दाने वाले चांवल की बाजार में बहुत मांग है परन्तु लंबी अवधि, गिरने की समस्या, कम उत्पादन के कारण किसान इन किस्मों को नहीं लगा पा रहे है. संसदीय जिले में धान फसल में अन्य जिलों की तुलना में तनाछेदक, पोंगा, माहू, करपा, लाई फूटना जैसे कीट बीमारियों का ज्यादा प्रकोप होता है. इन कीट बिमारियों के प्रति अनुवांशिक रूप से प्रतिरोधक धान की किस्मों को विकसित करें. साथ ही जिले के किसानों को धान का उन्नत एवं संकर बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करें.

सांसद पारधी एवं उन्नतशील कृषक कुंवर बिसेन ने कृषि महाविद्यालय के प्रथम वर्ष में प्रवेश प्राप्त छात्र-छात्राओं को दीक्षारंभ कार्यक्रम में संबोधित किया. सांसद एवं इरी फिलीपिंस से आये वैज्ञानिकों ने कृषि महाविद्यालय में स्थापित प्रदेश के पहले कृषि आधारित म्यूजियम का अवलोकन कर इस उपलब्धि की सराहना की. कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एन. के. बिसेन, केवीके प्रमुख डॉ. आर. एल. राउत, उपसंचालक (कृषि) राजेश खोब्रागढ़े, डॉ. उत्तम बिसेन, डॉ. शरद बिसेन, डॉ. विक्रम गौर, डॉ. धारणा बिसेन, डॉ. ऋषिकेश ठाकुर, डॉ. शैलेंद्र भलावी, श्री कमलेश्वर गौतम सहित महाविद्यालय का अमला उपस्थित था.


Web Title : PHILIPPINE SCIENTISTS AND MP INSPECT AGRICULTURE COLLEGE