परंपरानुसार मनाया गया पोला पर्व, आखर मैदान में निभाई गई बैल खेलने की रस्म, घरो में बैलों का किया गया पूजन

बालाघाट. भारतीय त्यौहारों में भगवान को पूजने की परंपरा के साथ ही कृषको का साथ निभाने वाले बैलों को भी पूजा जाता है. 27 अगस्त को मुख्यालय सहित पूरे जिले में तान्हा पोला का पर्व परंपरानुसार मनाया गया. कृषकों द्वारा अपने पशुधन बैलों को साज संवारकर उनकी पूजा अर्चना की गई.  

खासकर ग्रामीण क्षेत्रो में पोला पर्व का खासा उत्साह देखने को मिला.   ग्रामीण अंचलों में पोला का पर्व धूमधाम और पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार मनाया गया. किसान, अपने साथी बैलो को नहलाकर उसके तैयार करेंगे और दूल्हें की तरह सजे-धजे बैलो को पोला मैदान में लेकर पहुंचे, जहां विधिविधान से उनकी पूजा अर्चना करने के बाद बैल खेलने की रस्म निभाई गई. इस दौरान बड़ी संख्या में कृषक और ग्रामीण जनता उपस्थित थी.  

बालाघाट मुख्यालय के बुढ़ी, जयहिंद टॉकीज मैदान, गायखुरी सहित इससे लगे मॉयल नगरी भरवेली, ग्राम पंचायत आंवलाझरी, कोसमी एवं छोटी कुम्हारी में पोला पर्व मनाया गया. यहां आयोजन स्थल पर कृषक अपने सजे-धजे बैलों को लेकर पहुंचे. जहां गाजे बाजे के साथ आरती की थाल सजाकर लाया गया और गांव के गणमान्यों की उपस्थिति में बैलांे की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान बड़ी संख्या में किसान भाई सहित ग्रामीण उपस्थित रहते है. पंचायत द्वारा परंपरानुसार, पोला पर्व मनाये जाने की तैयारियों के साथ ही आकर्षक रूप से बैलजोड़ियांे को संजाने वाले कृषकों को पुरस्कार भी प्रदान किया गया.  

बालाघाट मुख्यालय के बूढ़ी हॉस्पिटल चौक में परंपरनुसार पोला गया. जहां बैलों की पूजा की गई. जहां बच्चों द्वारा भी काठ के छोटे-छोटे नंदी लाये गये थे. जिनकी भी पूजा अर्चना की गई. पोला समिति पदाधिकारी नरेश धुवारे, राजेश धावडे़, गुड्डन झाड़े, प्रणय धुवारे, पप्पू तिवारी, संजय धुवारे, इंदर बसेना, अशोक कावड़े, कक्कू माहुले सहित अन्य लोगों ने बैलों की पूजा अर्चना की. इसी तरह गायखुरी और  जयहिंद टॉकीज के मैदान में बैलजोड़ी खेलने की परंपरा, वर्षो से निभाई जा रही है. जहां पोले पर बैलजोड़ी खेलने की रस्म निभाई गई. जहां का माहौलं मेला जैसा रहा. वहीं बच्चे, पोला मैदान में काठ के बैलो को भी सजाकर ले पहुंचे. पर्व पर पूरे स्थानों एवं गांव में हर्षोल्लास का माहौल रहा.

घरो में की गई बैलों की पूजा अर्चना, खिलाये गये पकवान

आखर मैदान में बैल खेलने की रस्म के बाद कृषक, अपने बैलों को लेकर घर-घर पहुंचे, जहां घरो में बैलों और कृषक के पैर धुलाकर उनकी पूजा अर्चना की गई और पशुधन बैलों को पकवान खिलाये गये. साथ ही कृषक को भेंट प्रदान की गई.

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण से इस पर्व के तार जुड़े है. मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण माता यशोदा और वासुदेव के घर में रह रहे थे, तो उनके मामा कंस उन्हें मारने के लिए हमेशा नई-नई योजन बनाकर अलग-अलग तरह के राक्षसों को उनके पास भेजते थे लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के पास आकर वो राक्षस खुद मारा जाता था.  

ऐसे में एक बार कंस ने पोला सुर नाम के राक्षस को श्रीकृष्ण की हत्या करने के लिए भेजा, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अन्य राक्षसों की तरह ही उसे भी मौत के घाट उतार दिया. कहा जाता है कि जिस दिन श्रीकृष्ण ने पोला सुर नाम के राक्षस को मारा था, वो दिन भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि थी. इसलिए इस दिन को पोला के नाम से जाना जाता हैं.

कृषि कार्य में किसानों का सच्चा साथी होता है बैल-योगेश बिसेन

नगरपालिका उपाध्यक्ष योगेश बिसेन ने बताया कि गायखुरी सहित गांवो में यह पर्व धूमधाम से मनाया गया. आज का दिन कृषि कार्य में किसानों के सच्चे साथी बैल के प्रति कृतज्ञता और पूजन का दिन है. जब खेती का काम खत्म हो जाता है, तब किसान अपने साथी बैल को नहलाकर, उसे सजाकर उसकी पूजा करता है. चूंकि कृषि प्रधान देश में किसान का साथी बैल भी अन्न उत्पादन में एक बड़ी भूमिका निभाता है. जिसे देखते हुए आज उसकी पूजा अर्चना कर उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त किया जाता है.

कोसमी में बैलजोड़ी पर किसानों को किया गया पुरस्कृत-त्रिलोक बंबुरे

कोसमी पंचायत में पोला पर्व धूमधाम से मनाया गया. जहां गांव के कृषकों द्वारा अपने-अपने बैलों को सजाकर मैदान में लाया गया. जहां परंपरानुसार इनकी पूजा अर्चना की गई. पंचायत उपसरपंच त्रिलोक बंबुरे ने बताया कि जब खेती किसानी का पूरा काम खत्म हो जाता है, तब किसानों को सहयोग करने वाले बैलों को पोला पर्व में पूजा जाता है. उन्होंने बताया कि बैलों की साजसज्जा और बैलों की सेहत पर पंचायत द्वारा निर्णायकों के आधार पर प्रथम पुरस्कार दो हजार एक रूपये, द्वितीय पुरस्कार 1501 रूपये एवं तृतीय पुरस्कार एक हजार एक रूपये कृषकों को प्रदान किया गया.

आज मनाया जायेगा मारबत का पर्व

पोला पर्व के के दूसरे दिन मारबत (नारबोद) पर्व रविवार को मनाया जायेगा. बुराई की प्रतिक मारबत का ढोल नगाड़ों और घेऊन जा री नारबोद के नारों के साथ गांव एवं नगर की सीमा के बाहर मारबत का दहन किया जायेगा.


Web Title : POLA FESTIVAL CELEBRATED AS PER TRADITION, BULL PLAYING RITUAL PLAYED IN AKHAR MAIDAN, BULLS WORSHIPED IN HOMES