बालाघाट की प्रसिद्ध बुड्डी मंडई में जुटे शहरवासी, अस्तित्व खो रही मंडई की पहचान को बचाने का रंग लाया प्रयास

बालाघाट. बुढ़ा से बालाघाट बने शहर की पहचान बुढ्ढी मंडई थी. दीपावली की एक सप्ताह बाद बुढ्ढी मंडई प्राचीन देवी तालाब के तट पर स्थित गणेश मंदिर के समीपस्थ जयहिंद टॉकीज मैदान में भरा करती थी. बुजुर्गो की मानें तो मंडई का ऐसा जलवा था कि हर शहरवासी इसका इंतजार करता था, यही नहीं जब मंडई भरती तो शहरवासी के अलावा उनके घरो में पहुंचने वाले मेहमान भी मंडई जाया करते थे. दीपावली के बाद मंडई, ग्रामीण क्षेत्र का पारंपरिक आयोजन है, कहा जाता है कि मंडई के बहाने लोग, बाहर रहने वाले लोग अपने गांव आते है और अपने साथियों और रिश्तेदारों से मिलते है लेकिन कालांतर में बालाघाट तो बढ़ने लगा लेकिन इस बुढ्ढी मंडई की पहचान कहीं विलुप्त हो गई. जिसकी पहचान और अस्तित्व को कायम रखने वर्षो पुरानी इस परंपरा को निभाने का दायित्व बालाघाट के जागरूक लोगों ने उठाया और इस बार दीपावली पर 19 नवंबर को मंडई का आयोजन किया गया. जिसमें एक बार फिर नये रूप में बुढ्ढी मंडई का आयोजन देखने को मिला.  

पारंपरिक रूप से यहा गोवारी समाज के लोगों ने अपने परिधान में नृत्य किया और परिसर में लगी दुकानों का मंडई में पहुंचे लोगों ने लुत्फ उठाया.   बताया जाता है कि बालाघाट जिले की प्रसिद्ध बुड्ढी मंडई का आयोजन नगर जयहिंद टाकीज मैदान में विगत 60 वर्षो से होता आ रहा था, जहा बच्चे, बड़े सभी इसका आनंद उठाया करते थे. मंडई में लगने वाले झूले और कुश्ती के साथ ही मंडई में चटकारे वाला भेल सभी को खूब लुभाता था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में इसका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर था लेकिन जयहिंद सेवा समिति द्वारा बीते वर्ष से इसे संरक्षित करने का बीड़ा उठाया गया और इसकी एक नई शुरुवात कर इसका आयोजन कराया गया. बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी जयहिंद सेवा समिति द्वारा 19 नवंबर  को जयहिंद टाकीज मैदान परिसर में बुढ्ढी मंडई का आयोजन किया गया. जिसका क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी ने मंडई का लुफ्त उठाया, बच्चो ने झूलों के साथ साथ चाट-गुपचुप के चटकारे का भरपूर आनंद लिया, तो वही लोग यहां लगाई गई एलईडी में वर्ल्ड कप फाइनल मैच का भी खूब लुफ्त उठाते नजर आए. शाम को कुम्हारी की प्रसिद्ध ढंढार का आयोजन, शायर गौरीशंकर मोहारे के नेतृत्व में किया गया. जिसका लोनो ने जमकर आनंद उठाया.  

इस मंडई के आयोजन में प्रमुख रूप से आयोजन समिति सदस्य देवराम बर्वे, कमलेश जैन, संतोष जैन, रूप कुमार बनवाले, खगेश कावरे, सुधीर चिले, निर्मल सोनी, राजु कुरील, गौरी मोहारे, धीरज सुराना, सौरभ जैन, सतीश बाघरेचा, पंकज कुर्वे, राजु छत्री, शंकर कन्नौजिया, रोहित बर्वे, रोमेश सोनवाने, हिरा गडपाले एवं अन्य जयहिंद सेवा समिति के सदस्यो का सराहनीय सहयोग रहा.


Web Title : RESIDENTS GATHER AT BALAGHATS FAMOUS BUDDI MANDAI, TRYING TO SAVE THE IDENTITY OF THE LOSING MANDAI