टाईगर शिकार के आरोपियों को कारावास और 10-10 हजार रूपए अर्थदंड

बालाघाट. आरक्षी केन्द्र कटंगी के वन्यप्राणी टाईगर के शिकार के 07 आरोपियों केा कटंगी न्यायालय के  माननीय न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सुश्री सुधा पाण्डेय की अदालत ने आरोपियों महेश, करम, विनोद, कैलाश, कमलेश, मंगल एवं सुखदास को वन अधिनियम की धारा 9/51(1), 5(1)/52 डब्ल्यू. एल. ए. में 03-03 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया है.  इस फैसले में माननीय न्यायालय ने विशेष टिप्पणी की है कि आरोपीगण, आदतन अपराधी होकर, टाईगर के राष्ट्रीय धरोहर का ज्ञान होने के पश्चात भी मात्र उनके अवशेष प्राप्त कर पैसा कमाने के लिए उनकी हत्या करते है, जिसके कारण इन बेजुबान वन प्राणी की प्रजाती विलुप्त होने की कगार पर हैं. राज्य सरकार द्वारा इन्हें संरक्षित किया जा रहा हैं बावजूद इसके सुरक्षा में सेंध लगाकर आरोपियों द्वारा टाईगर का शिकार किया गया.   

घटनाक्रम के अनुसार 22 नवंबर 2016 को वन अधिकारी अजय कामड़े को सूचना मिली कि जंगल में गढ्ढे के पास बदबू आ रही हैं, जिस सूचना पर जब वह मौके पर पहुंचे और गढ्ढे की खुदाई की तो वहां वन प्राणी बाघ का चमड़ा, सिर और दांत दिखाई दिया. मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दिए जाने के बाद वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहंुचा. जिनकी उपस्थिति में बाघ के अवशेषों को निकाला गया. जिसे देखने पर पाया गया कि बाघ के चारों पंजे एवं मुछ के बाल नहीं थे. मौके से बाघ के शव को जप्त किया गया एवं उसकी नाप जोख की गई एवं मौका पंचनामा तैयार किया गया. जिसके पश्चात पशु चिकित्सा अधिकारी को बुलाकर बाघ का पीएम किया गया एवं उसके अवशेष सेंपलिंग के लिए निकाले गए. जिसमें दांत, हद्रय, चमड़ी निकाला गया और मौके पर ही उसको सीलबंद किया गया था. पशु चिक्तिसक द्वारा सेंपलिंग करके बाघ की हड्डी के टूकड़े, दांत, हद्रय का टुकड़ा के पंचनामा तैयार किया गया. जिसकी जांच के दौरान मुखबिर से सुचना मिलने पर सीतापठौर निवासी महेश, करन, मंगल, सुखदास, कमलेश, विनोद, कैलाश को पकड़कर उनसे पूछताछ की गई.

जिसमें आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने सरकारी जमीन में बिजली तार में करंेट बिछाकर बाघ का शिकार किया हैं. जिसके बाद बाघ के पंजे और मूंछ के बाल को निकालकर गढ्ढा खोदकर गढा दिया. यही नहीं बल्कि आरोपियों ने पूछताछ में इससे पूर्व भी एक बाघ का शिकार किए जाने के अपराध को स्वीकार किया. जिससे भी आरोपियों ने दांत, मूंछ के बाल और नाखुन निकाले थे. इस तरह आरोपियों द्वारा 02 बाघ का शिकार किया गया था. आरोपियों ने बाघ के मूंछ के बाल को बाबुलाल, सुखदास, नारायण, हरिप्रसाद, विजय, दिनेश, फूलसिंह, रामसिंह, रामनाथ, सूरज को विक्रय किये गये थे. जिन्होंने भी पूछताछ में मूंछ के बाल खरीदना स्वीकार किया.

जिसमेे विचारण उपरांत माननीय न्यायालय ने आरोपी महेश, करम, विनोद, कैलाश, कमलेश, मंगल एवं सुखदास के खिलाफ अभियोजन के तथ्यों, परिस्थितियों एवं साक्ष्यों के आधार पर सहमत होकर आरोपी महेश, करम, विनोद, कैलाश, कमलेश, मंगल एवं सुखदास को वन अधिनियम की धारा- 9/51(1), 5(1)/52 डब्ल्यू. एल. ए. में 03-03 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया.  


Web Title : TIGER POACHING CASE CONVICTS SENTENCED TO RS 10,000 IN JAIL