बालाघाट. बालाघाट सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद गुप्त की अदालत ने हत्या और साक्ष्य विलोपित करने के मामले में दोनो आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 26 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया है. न्यायालय में शासन की ओर से लोक अभियोजक एम. एम. द्विवेदी ने पैरवी की थी.
15 अगस्त 2018 को किरनापुर थाना अंतर्गत किन्ही चौकी मंे शिक्षक देवराज मसराम ने शिकायत की थी कि उसके पिता गेंदलाल मसराम 14 अगस्त को भादूलाल के साथ ककोड़ी पैदल निकले है, जो रात तक वापस नहीं लौटे. आज दूसरे दिन उन्हें नंदकिशोर पटले सर से सूचना मिली कि पिता का शव चंगेरा रोड पर है, जब वहां पहुंचकर देखा तो पिता के शरीर पर चोटें के निशान थे, जो मृत हालत में पड़े थे. जिसके बाद पुलिस ने शव बरामद कर पंचनामा कार्यवाही के बाद अपराधिक मामला कायम कर विवेचना में लिया था. जिसमें विवेचना के दौरान पुलिस को पता चला कि जिस दिन गेदलाल मसराम घर से निकला था उसके बाद से 15 अगस्त के बीच जामड़ीटोला के देवलाल पिता स्व. पोतनसिंह उईके और ओपनसिंह पिता कुंवरसिंह उईके ने उदेलाल कोसरे के खेत के पास लोहे की बरछी और कुल्हाड़ी से गेंदलाल के छाती, चेहरे और सिर पर पर हमला किया था. जिसकी उसकी मौत हो गई. जिसके बाद आरोपियों ने लोहे की बरछी को पानी से धोकर साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया. जिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी और हत्या में प्रयुक्त किये गये हथियारों की बरामदगी के बाद पुलिस ने मामले की संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया था. जिसमें सुनवाई चल रही थी, आज 8 नवंबर को सुनवाई उपरांत माननीय न्यायालय ने आरोपी देवलाल उईके और ओपनसिंह उईके को धारा 302/34 में आजीवन कारवास और 10-10 हजार रूपये अर्थदंड तथा धारा 201/34 में तीन-तीन वर्ष का कारावास और 3-3 हजार रूपये अर्थदंड के आदेश दिये है.