आर्ट आँफ लिविंग द्वारा फल वितरण कर किया रक्तदान, निस्वार्थ भाव से की गई सेवा मन और तन को रखती है प्रसन्न-सुरजीतसिंह

बालाघाट. ऑर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री गुरू रविशंकर जी कहते है कि जब हम अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकालकर देश, पर्यावरण और समाज एवं व्यक्ति की सेवा निःस्वार्थ भाव से करते है तो इससे न केवल मन प्रसन्न होता है, शरीर भी स्वस्थ्य होता है बल्कि व्यक्ति स्वयं को शक्तिशाली और आत्मविश्वास से भरा महसुस करता है. वहीं हमारे आस-पास का वातावरण स्वच्छ होता है और हम लोगों को भी सुखी व प्रसन्न रख पाते हैं. जिस तरह साधक हैप्पीनेस योग शिविर में योग, ध्यान, प्राणायाम, आसन और सुदर्शन क्रिया से शरीर व मन को साधते है, ठीक उसी प्रकार देश, पर्यावरण और समाज की सेवा निःस्वार्थ भाव से करने से एक नई उर्जा का संचार मानव जीवन पर होता है. इसी भाव के साथ हाल ही में आयोजित हुए हैप्पीनेस योग शिविर और आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवको द्वारा बालाघाट जिला चिकित्सालय में फल वितरण एवं रक्तदान कर लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक किया गया.

आर्ट ऑफ लिविंग के हैप्पीनेस योग शिविर के माध्यम से प्रतिभागियों को योग, ध्यान, प्राणायाम एवं सुदर्शन क्रिया के साथ ही सेवा गतिविधि का भी पाठ पढ़ाया जाता है, ताकि साधक सेवा का भाव मन में जाग्रत कर समाज में सेवा के बीज को बो सके और समाज में शोषित, पीड़ित और जरूरतमंदो की सेवा के लिए एक सेवाभावी समाज खड़ा हो सके. इसी कड़ी में हैप्पीनेस योग शिविर के सेवा अध्याय के तहत योग, प्राणायाम, ध्यान एवं सुदर्शन क्रिया को साधक के रूप में साध रहे साधकों ने जिला चिकित्सालय में पीड़ित मानवता के सेवार्थ रक्तदान कर, भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य के लिए फल प्रदान कर उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की.

साधक संकल्प बिसेन ने हैप्पीनेस योग शिविर के माध्यम से सेवा अध्याय के पाठ को मानव जीवन के लिए बहुपयोगी बताते हुए कहा कि जीवन जीने की कला में यह बताया जाता है कि जब तक हम दूसरे की सेवा में रत नहीं होंगे, तब तक जीवन में दुःख अधिक और खुशियां कम होगी. जब हम अपना कंपर्टजोन छोड़कर बाहर सेवा से जुड़ते है तो हमारे जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आता है, जो हमें सुख और आनंद की अनुभूति देता है, जो आज पीड़ित मानवता के सेवार्थ किये गये रक्तदान से स्वयं मैने महसुस किया है.

पीड़ित मानवता के सेवार्थ 23 बार रक्तदान कर हैप्पीनेस योग शिविर के सेवा पाठ के तहत 24 वीं बार रक्तदान करने वाले हितेश संतवानी ने कहा कि सेवा भाव से जीवन में एक अलग आनंद की अनुभूति होती, जो केवल सेवा का भाव लेकर काम करने वाले व्यक्ति को ही महसुस होती है. एक नई सकारात्मक उर्जा का अंदर से निकालकर पूरे शरीर को अलौकित कर देती है. रक्तदान से न केवल खुशी और आनंद की अनुभूति होती है बल्कि हम लोगों के लिए एक जीवन रक्षक की भूमिका में भी खड़े हो जाते है.

हैप्पीनेस योग शिविर में सेवा संकल्प के तहत जरूरतमंदो के सेवार्थ हैप्पीनेस योग शिविर के साधक हितेश संतवानी, निशांत ब्रम्हें, संकल्प बिसेन, मनोज लिल्हारे, गितेन्द्र लांजेवार, हरीश मर्सकोले, दीक्षा डहरवाल, दीपशिखा कटरे, श्रृष्टी ठाकरे, संजू वराड़े, राजेश गोमासे ने जिला चिकित्सालय मंे ना केवल मरीजों को फल वितरण कर उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की, बल्कि पीड़ित मानवता के सेवार्थ रक्तदान कर आमजनों के लिए जीवनरक्ष की भूमिका अदा की.


Web Title : ART OF LIVING DONATES BLOOD BY DISTRIBUTING FRUITS, SELFLESS SERVICE KEEPS MIND AND BODY HAPPY SURJIT SINGH