जो 35 साल पुराने साथियों का नहीं हो सका वह भाजपा का क्या होगा, आरंभा सभा में कांग्रेस नेता जीतु राजपूत ने भाजपा प्रत्याशी पर बोला हमला, वारासिवनी के बेटे विवेक पटेल के लिए मांगा समर्थन

बालाघाट. 2018 में ऐन मौके पर कांग्रेस ने कांग्रेस के विधायक रहे प्रदीप जायसवाल की टिकिट काटकर, मुख्यमंत्री शिवराज के साले, संजय मसानी को दे दी थी. उस दौरान वारासिवनी-खैरलांजी के कांग्रेसियों ने एकतरफा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रदीप जायसवाल को जीताना का काम किया. विधानसभा में वारासिवनी से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रदीप जायसवाल के जीतकर भोपाल पहुंचने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी गलती स्वीकारी और विधायक जायसवाल को सरकार में शामिल कर खनिज विभाग का मलाईदार पद सौंपा, लेकिन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके विधायक साथियों के कांग्रेस छोड़ दिए जाने के कारण प्रदेश की सत्ता से कांग्रेस को बाहर होना पड़ा, तब निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने कथित क्षेत्र के विकास के नाम पर भाजपा सरकार को समर्थन दिया. इसके बाद से धीरे-धीरे, विधायक प्रदीप जायसवाल के साथ, सालों से रहे कांग्रेस साथियो को उन्होंने दूर करना शुरू कर दिया या फिर वह दूर चले गए. यहां तक के घटनाक्रम के बाद वारासिवनी मंे मूल कांग्रेस, विधायक जायसवाल से दूर होते चली गई.  

प्रदेश में चुनाव का अलार्म बजने के बाद प्रदीप जायसवाल ने कांग्रेस मंे प्रवेश के लिए ना केवल ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया बल्कि अपने कार्यकर्ताओं को भोपाल भेजा, लेकिन अब वारासिवनी की मूल कांग्रेस तैयार नहीं थी. वारासिवनी के कांग्रेसियों ने किसी तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को भी विश्वास में ले लिया. जिससे कांग्रेस के बंद होते दरवाजे के बाद प्रदीप जायसवाल ने भाजपा की राह तलाश की. कभी उनके नेताओं को पानी पी-पीकर कोसने वाले प्रदीप जायसवाल को जैसे ही भाजपा ने शरण दी, कभी ना झुकने वाले प्रदीप जायसवाल भी झुककर चरण स्पर्श करते देखे गये. वारासिवनी में कांग्रेस तो प्रदीप जायसवाल की पुनः पार्टी में वापसी नहीं होने देने से कामयाब हो गई लेकिन यहां सशक्त, भाजपा का संगठन, उसे पार्टी में प्रवेश से नहीं रोक सका. हालांकि कुछ समय तक क्षेत्रीय भाजपाईयों ने विरोध दर्ज किया लेकिन कुछ स्वाभिमानी भाजपाईयों को छोड़कर, नहीं चलेगा.. . नहीं चलेगा गुड्डा जायसवाल नहीं चलेगा का नारा देने वाले भाजपाईयों ने अब उनका दामन थाम लिया है, अब वह विरोध से ज्यादा गुड्डा भैया की जय-जयकार दिखाई दे रहे है. हालांकि भाजपा के कुछ बड़े स्वाभिमानी नेता, चुनाव घटनाक्रम को दूर से घर में बैठे देख रहे है. तो दूसरी ओर कांग्रेस, भाजपा प्रत्याशी को लेकर आक्रामक हो गई है. गत दिवस आरंभा में 2018 में प्रदीप जायसवाल के अंध समर्थक रहे कांग्रेस नेता, जनपद सदस्य और पूर्व सरपंच जीतु राजपूत ने भाजपा प्रत्याशी पर जमकर बोला है, यहां पार्टी की सभा में वारासिवनी के बेटे, कांग्रेस प्रत्याशी विवेक विक्की पटेल के समर्थन मांगने पहुंचे जीतू राजपूत ने कहा कि जिसने टिकिट पैसा देकर लाया है, वह जीतने के बाद पैसा नहीं कमाएगा, जिन 35 साल पुराने साथियों को उसने दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंका है, वह भाजपा का होगा भी की नहीं, यह भी विश्वास नहीं है. हम जानते है कि उसका सिस्टम, चूंकि हम उनके साथ रहे है. उन्होंने तो डोंगरमाली के 9 लाख से बने हनुमान मंदिर में असहाय और दिव्यांगो को दी जाने वाली सहायता राशि से महज एक लाख रूपए दिए लेकिन वह उसे भी वापस मांगने लग गया है, इसलिए उससे पैसे लेने से पहले सोच लेना, यदि वह हार गया तो वह पूरी वसुली करेगा. जिन्होंने अपने पुराने साथियों के साथ मकान और मिल तुड़वाने का प्रयास किया, ऐसे से हमें सावधान रहना है. यह तय है कि विधानसभा से जीतेगी तो कांग्रेस ही क्योंकि वारासिवनी को अब वारासिवनी के बेटे की जरूरत है किसी गोदपुत्र की नहीं.


Web Title : CONGRESS LEADER JITU RAJPUT ATTACKED THE BJP CANDIDATE IN THE INITIAL MEETING, SEEKING SUPPORT FOR VARASIVANIS SON VIVEK PATEL.