राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने 24 सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

कटंगी. शुक्रवार 16 जुलाई को राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने 24 सूत्रीय मांगों को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय कटंगी में एक ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में परिषद के पदाधिकारियों ने कहा है कि भारत के विभिन्न राज्यों में निवास करने वाले आदिवासियों की संस्कृति और पहचान को समाप्त करने के लिए एवं विकास के नाम पर जल जंगल और जमीन से बेदखल करने के लिए हो रहे और संवैधानिक कुकृतियों पर तत्काल रोक लगाकर संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार अधिकार सुनिश्चित किया जाये. परिषद ने अपनी 24 सूत्रीय मांगों में अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान की अनुसूची 244 (अ) पांचवी अनुसूची और 244 (ब) की छठवीं अनुसूची पर अमल करने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय से अध्यादेश जारी किए जाने की मांग की है. परिषद ने कहा की आजादी के बाद से जनजाति मंत्रणा परिषद का गठन नहीं किया गया है और जिन राज्य में मंत्रणा परिषद बनाई गई है. उसके अध्यक्ष गैर आदिवासी हैं, जिस कारण आदिवासियों की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. आदिवासियों के ऊपर जबरन धर्मांतरण होता जा रहा है आदिवासी क्षेत्रों में राम वन गमन पथ निर्माण के बहाने रामलीला एवं रामायण के सीरियल को दिखाने के बहाने, कथा भागवत एवं विभिन्न बाबा साधुओं के प्रवचन के माध्यम से गैर आदिवासियों की घुसपैठ करवा कर आदिवासियों के जल जंगल जमीन सीखने की साजिश हो रही है इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाये.

राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने कहा कि आजादी के 74 वर्षों बाद भी आदिवासी क्षेत्रों में बिजली पानी सड़क यातायात के साधन दूर संचार के साधनों का अभाव होने से आदिवासी विकास की मुख्यधारा से कटा है इसलिए आदिवासियों के मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति पर ध्यान दिया जाये, विभिन्न राज्यों में आदिवासियों की निजी जमीन भू माफियाओं एवं दलालों के माध्यम से उन्हें पौने दाम में गैर आदिवासियों के नाम पर खरीद कर उसे ऊंचे दामों में बेचने की साजिश हो रही है मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 का दुरुपयोग कर के अधिकांश कलेक्टर एवं कमिश्नर आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति देते हैं ऐसे फर्जीवाड़े पूरे देश में चल रहे हैं इस पर रोक लगाई जाये. नई आर्थिक नीतियों की वजह से हो रहे सरकारी क्षेत्र का निजीकरण की वजह से अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का संवैधानिक आरक्षण समाप्त हो गया है इसलिए निजी संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान किया जाये. इस दौरान बाबूलाल उइके, ज्ञानदास गभने, संजीव बारमाटे, हरिप्रसाद शनिचरे सहित अन्य मौजूद रहे है.


Web Title : NATIONAL COUNCIL FOR TRIBAL UNITY SUBMITS MEMORANDUM ON 24 POINT DEMANDS