शस्त्र राजपूतों का आभूषण-संजयसिंह कछवाहा,मां विंध्यवासिनी दुर्गोत्सव समिति के परिसर में राजपूत समाज ने किया शस्त्र पूजन

बालाघाट. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी मनाई जाती. . स दिन देवी अपराजिता की पूजा की जाती है. जिसमें शस्त्र पूजन किया जाता है. दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है. आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र पूजन का किया जाता है. विजयदशमी पर मां दुर्गा का पूजन किया जाता है. मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं. सदियो पुरानी शस्त्र पूजन की परंपरा में पहले भारत की रियासतों में शस्त्र पूजन धूम-धाम से मनाया जाता था. हालांकि अब रियासतें तो नही रहीं लेकिन परंपरायें शाश्वत हैं. यही कारण है कि इस दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की पूजा की जाती है. हथियारों की साफ-सफाई की जाती है और उनका पूजन होता है. ऐसी मान्यता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिये. इसी दिन भगवान श्रीराम ने असत्य को परास्त कर विजय हासिल की थी और मां दुर्गा ने महिषासुर नाम की बुराई का अंत किया था. युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र पूजन होता था. तभी से ये परंपरा शाश्वत रूप से आज भी जारी है, जिसके चलते दशहरा पर्व पर शास्त्र पूजन परंपरानुसार किया जाता है.  

दशहरा पर राजपूत क्षत्रिय समाज द्वारा शस्त्र पूजन किया गया. अध्यक्ष संजयसिंह कछवाहा की मौजूदगी में शस्त्र पूजन राजपूत क्षत्रिय समाज और भटेरा स्थित मां विंध्यवासिनी दुर्गोत्सव समिति द्वारा विधिविधान से शस्त्र पूजन किया गया. शस्त्र पूजन कार्यक्रम में उपस्थित राजपूत क्षत्रिय समाज जिलाध्यक्ष संजयसिंह कछवाहा ने कहा कि आज दशहरा पर जिला क्षत्रिय राजपूत समाज और मां विंध्यवासिनी दुर्गोत्सव समिति द्वारा शस्त्र पूजन किया गया. दशहरा का हमारे राजपूत क्षत्रिय समाज में विशेष दिन है, आज ही के दिन क्षत्रिय समाज में पैदा हुए भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है. शस्त्र, राजपूतों का आभूषण होता है, जिसका पूजन प्रतिवर्ष दशहरा में किया जाता है. प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी राजपूत क्षत्रिय समाज द्वारा शस्त्रों की पूजा अर्चना की गई.


Web Title : SHASTRA RAJPUT JEWELLERY SANJAY SINGH KACHWAHA, MOTHER VINDHYAVASINI DURGAUTSAV SAMITI CAMPUS, RAJPUT COMMUNITY PERFORMS ARMS PUJA