किसी के श्राप ने पावन अहिल्या को किया पत्थर, स्वयं रघुवर ने पत्थर के सभी मतलब बदल डाले, एक शाम-अटल के नाम पर आयोजित अभा कवि सम्मेलन में बहे काव्य रस

बालाघाट. पूर्व प्रधानमंत्री, कवि ह्रदय एवं भारतरत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी के जन्मदिन सुशासन दिवस पर 25 दिसंबर को सहमत संस्था एवं नगरपालिका परिषद के संयुक्त तत्वाधान में एक शाम-अटल के नाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन नगरपालिका प्रांगण में शाम 8 बजे से आयोजित किया गया है.  

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय कवि एवं गीतकार अमन अक्षर इंदौर, हास्य व्यंग्य कवि चेतन चर्चित दिल्ली, हास्य पेरोड़ी फिल्म गीतकार मुकेश मासूम देवास, गीतकार एवं मंच संचालक महेन्द्र मधुर, श्रृंगार की कवियित्री श्रीमती निशा आनंद दुर्ग, वीररस के कवि तुमेश पटले सारथी और संयोजक राजेन्द्र शुक्ला सहज ने अपने काव्यपाठ से शमा बांध दिया. जिसे सुन रहे श्रोता रात्रि तक मंत्रमुग्ध होकर वीर, हास्य और श्रृंगार की काव्य रचनाओं का आनंद लेते रहे.  

गौरतलब हो कि प्रतिवर्ष नगर की सहमत संस्था द्वारा 25 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री, कवि ह्रदय एवं भारतरत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी के जन्मदिन पर एक शाम-अटल के नाम, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. इसी कड़ी में 25 दिसंबर को नगरपालिका प्रांगण में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम का आयोजन महावीर इंटरनेशनल अध्यक्ष राकेश सचान के मुख्य आतिथ्य, समाजसेवी सुरेश बाघरेचा की अध्यक्षता और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी. एम. शरणागत एवं समाजसेवी अनिल कांकरिया के विशिष्ट आतिथ्य में किया गया. इस दौरान महिला नेत्री श्रीमती लता एलकर, अभय सेठिया अमरसिंह ठाकुर, सुभाष गुप्ता, सुरेश रंगलानी, नपा उपाध्यक्ष योगेश बिसेन, भाजपा नगर अध्यक्ष सुरजीतसिंह ठाकुर, संजय श्रीवास्तव सहित अन्य गणमान्य नागरिक और काव्यप्रेमी श्रोता उपस्थित थे.  

इंदौर से अभा कवि सम्मेलन मं पहुंचे अंतर्राष्ट्रीय कवि एवं गीतकार अमन अक्षर इंदौर ने भगवान श्रीराम पर अपना काव्यपाठ करते हुए कहा कि ‘‘ वहीं बलवान जो आकर किसी निर्मल में बल डाले, वही हर दुख को देखे और वही दृष्टि सजल डाले.. , किसी के श्राप ने पावन अहिल्या को किया पत्थर स्वयं रघुवर ने पत्थर के सभी मतलब बदल डाले. तन की गगरी फूटी, मन की गगरी फूट नहीं पाई, सब रूठे बच्चो से लेकिन मैया नहीं रूठ नहीं पाई, कि संसारी बंधन टूटे, डोरी टू नहीं पाई, बैरागी से छूटा सब पर गंगा छूट नहीं पाई!!

इसी कड़ी में एक अन्य कवि ने अपने काव्य रचना में पाठ करते हुए कहा कि ‘‘लड़कपन का एक जैसा है, जवानी एक जैसी है, निशाना एक जैसा है, निशानी एक जैसी है, हमारी जिंदगी का अलग व्याकरण है लेकिन, किताबे एक जैसी है, कहानी एक जैसी है!! दुर्ग से पहुंची श्रृंगार की कवियित्री श्रीमती निशा आनंद ने अपनी काव्य रचना का पाठ करते हुए कहा कि ‘‘ संग लेकर आई हॅु, सौगात मोहब्बत की, अब धीमे-धीमे होगी बरसात मोहब्बत की. बड़ी शिद्धत ऐसी महफिल सजती है, सालों याद रहेगी, ये मुलाकात मोहब्बत की!!  इसके अलावा अन्य कवियों ने भी अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को ठंडी रात में पूरे आयोजन तक बैठने पर मजबूर कर दिया. कार्यक्रम के अंत में समाज के विभिन्न क्षेत्र में कार्य करने वाली हस्तियों और संस्था को भी सम्मानित किया जायेगा.  


Web Title : SOMEONES CURSE STONED THE HOLY AHILYA, RAGHUVAR HIMSELF CHANGED ALL THE MEANINGS OF THE STONE, ONE EVENING A POEM JUICE WAS RECITED AT THE ABHA KAVI SAMMELAN ORGANIZED IN THE NAME OF ATAL.