भाजपा में समर्पित कार्यकर्ताओं से ज्यादा दलबदलुओं की पूछ-योगेन्द्र निर्मल, वोटो की राजनीति के कारण नेताओं की होती है पूछपरख, हमने विषम परिस्थिति में भी पार्टी नहीं बदली

बालाघाट. जिले में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में कुछ गिने-चुने नेताओं की पहचान होती है, जो विषम परिस्थिति में भी पार्टी के साथ रहे और आज भी है. उसमें वारासिवनी क्षेत्र के पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल भी एक है, वर्तमान भाजपा की जन्मस्थली जनसंघ से जुड़े डॉ. योगेन्द्र निर्मल, ना केवल वारासिवनी बल्कि पूरे जिले में अपने सिद्धांतो और विचारधारा से समझौता नहीं करने वाले नेताओं में गिने जाते है. जो वर्तमान में पार्टी की उपेक्षा का शिकार है, यह और बात है कि जो आज लोकसभा में जीत के लिए संघर्षरत है, उनके संघर्षो के समय में वह इकलौते साथ देने वाले नेता थे, लेकिन आज उनके संघर्षो में उन्हें पूछने वाला ना तो उनके संघर्ष में खडे़ रहे प्रत्याशी है और ना ही पार्टी.  

भाजपा ने पूरे विधानसभा में लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी घोषणा के बाद पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन के माध्यम से अपना शंखनाद कर दिया है लेकिन इन सब कार्यक्रमो में पार्टी के वह पुराने नेता कहीं ना कहीं नदारद है, जो आज भी सिद्धांत और विचारधारा से जुड़े है. हालांकि उनमें वह नेता ज्यादा कुंठित और उपेक्षित महसुस कर रहे है, जो पार्टी के प्रति तो समर्पित है लेकिन वोट बैंक में वह कमजोर है. यही कारण है कि पार्टी कहे या प्रत्याशी उन्हें नजरअंदाज कर पुराने नेताओ में उन्हें ही आगे कर रहा है, जो बड़े वोट बैंंक के साथ खडे़ है.

विधानसभा चुनाव में अनेको बार निर्दलीय विधायक को भाजपा की टिकिट देने से खफा चल रहे वारासिवनी क्षेत्र के पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल, लोकसभा चुनाव के बीच, अपने क्लिनिक में लोगों का उपचार कर रहे है. जिस वक्त उन्हें सक्रिय होकर, पार्टी के लिए काम करना चाहिए, उस वक्त उनका क्लिनिक में मौजूद रहने पर किए गए सवाल के जवाब में उनका कहना है कि पार्टी में समर्पित नेताओं से ज्यादा दलबदलुओं की पूछ है. उन्होंने कहा कि पार्टी में वही नेताओं की पूछपरख है, जिनके पास अपनी जाति का वोट बैंक है, लेकिन आज भी वह अपने पुराने स्टैंड में कायम है, वह ना तो उनके (प्रदीप जायसवाल) के साथ मंच साझा करेंगे और ना ही उनके नेतृत्व में काम करेंगे.

पूर्व विधायक डॉ. निर्मल, भाजपा प्रत्याशी और वारासिवनी विधानसभा प्रभारी के नहीं पूछने पर भी नाराज है, उन्होंने कहा कि आज जो भाजपा प्रत्याशी है, उनके बुरे दिनो में हम उनके साथ थे, लेकिन आज हमारे बुरे दिनों में कौन हमारे साथ है. उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि यदि वह हमें बुलाते है तो दूसरे नाराज हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा सत्ता में नहीं थी, फिर भी लोकसभा चुनाव में 20 से 25 हजार वोटों की लीड रहती थी. अब देखना है कि कितने की लीड मिलती है. उन्होंने कहा कि चूंकि इसलिए हमे नहीं पूछा जा रहा है कि हमारे जाति के वोट ज्यादा नहीं है और वह जानते है कि भले ही नाराज रहे लेकिन वोट तो हमें भी देंगे.  उन्होंने कहा कि हमने विषम परिस्थिति में भी पार्टी नहीं बदले, चूंकि हमारे लिए राजनीति व्यवसाय नहीं है और ना ही हमारी कोई लार टपक रही है या हमें कोई लालच है. उन्होंने कहा हमें राजनीति ने बहुत कुछ सिखाया है.  

गौरतलब हो कि पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल, पार्टी के एक निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं में एक है. जिन्हें सिद्धांत और विचारधारा का नेता माना जाता है, जिन्होंने राजनीति के लिए कभी समझौता नहीं किया. बीते विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां निर्दलीय पूर्व विधायक प्रदीप जायसवाल को टिकिट नहीं देने का यह विरोध अंतिम समय तक करते रहे और जब भाजपा ने इन्हें प्रत्याशी बनाया तो यह, चुनाव प्रचार में नहीं निकले. जिसका परिणाम यह रहा है कि यहां नगरपालिका चुनाव में मैदान से बाहर रही कांग्रेस ने ना केवल ईव्हीएम बल्कि पोस्टल बैलेट में भाजपा को चुनौती देकर, मैदान फतह कर लिया. क्षेत्रीय राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल का चुनाव में नहीं निकलना, भाजपा की हार का भी एक कारण है, ऐसे में लोकसभा में उनकी अनदेखी और उन्हें नहीं वारासिवनी में बैठक करने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी का नहीं पूछना, कहीं उनकी जीत में रोड़ा ना अटका दे.  


Web Title : YOGENDRA NIRMAL ASKS FOR MORE DEFECTORS THAN DEDICATED WORKERS IN BJP, LEADERS ARE QUESTIONED DUE TO VOTE POLITICS, WE DID NOT CHANGE THE PARTY EVEN IN ODD CIRCUMSTANCES