बालाघाट. आरक्षी केन्द्र वारासिवनी में नाबालिग से लड़की से दुष्कर्म और उसे वीडियो वायरल करने की धमकी देने वाले आरोपी थाना अंतर्गत नारवाजपार निवासी 28 वर्षीय इमरान पिता मोहम्मद इशाक अंसारी को दोषी पाते हुए वारासिवनी न्यायालय के माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश शिवलाल केवट (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) की अदालत ने धारा 376(2)एन भादवि. के अंतर्गत 20 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा एवं सौ रूपये अर्थदंड, धारा 506 भाग-2 भादवि. के अंतर्गत 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं सौ रूपये अर्थदंड तथा धारा-5 (ठ) सहपठित धारा 6 पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं दो सौ रूपये के अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया है. अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक शशिकांत पाटिल ने पैरवी की.
मीडिया प्रभारी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विमलसिंह ने बताया कि 24 अक्टूबर 2018 को सुबह लगभग 7 बजे नाबालिग पीडिता साईकिल से टयूशन पढ़ने जा रही थी. रास्ते में आरोपी नाबालिग पीडिता से मिला और उसे स्वयं के पोल्ट्री फार्म में ले जाकर शादी का प्रलोभन दिया, लेकिन नाबालिग लड़की के मना करने पर उसकी मर्जी के बिना उसके साथ दुष्कर्म किया और अश्लील वीडियो बनाया तथा घटना की जानकारी किसी को बताने पर अश्लील वीडियों इंटरनेट पर डाल देने की धमकी दी. जिससे डरी नाबालिक पीडिता ने घटना की जानकारी किसी को नहीं दी. जिसका फायदा उठाकर आरोपी बार-बार उसके साथ दुष्कर्म करता रहा. 23 मई 2019 को दिन में लगभग 12 बजे आरोपी पुनः उसके पोल्ट्री फार्म में गलत काम करने के बाद कहा कि यदि वह किसी को घटना की बात बताएगी तो उसे और उसके परिवार को जान से खत्म कर देगा. 03 जून 2019 के लगभग 4 दिन पूर्व अभियुक्त ने उसके पिताजी के मोबाइल में मैसेज भेजकर पोल्ट्री फार्म में बुलाया लेकिन नाबालिक पीडिता नहीं गई. तब उसने अश्लील वीडियो व फोटो को उसके चचेरे भाई के मोबाइल में प्रेषित कर दिया तो उसके चचेरे भाई ने उक्त अश्लील फोटो एवं वीडियो के संबंध में पूछताछ कर नाबालिक पीडिता के माता पिता को इसकी जानकारी दी. जब नाबालिक पीडिता के माता पिता द्वारा अश्लील फोटो एवं वीडियो के संबंध में पूछताछ की तो पीड़िता ने घटना की सारी जानकारी दी. जिसके बाद परिजनों के साथ थाना पहुंचकर पीड़िता ने इसकी थाना वारासिवनी में रिपोर्ट दर्ज कराई. जिसमें पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. विवेचना के उपरंात अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया. जिसमें माननीय न्यायालय ने विचारण उपरांत आरोपी को दोषी पाते हुए कारावास और अर्थदंड के दंडित करने का फैसला दिया है.