दक्षिण सामान्य वनमंडल के केन्द्रीय डिपो में जलाऊ चट्टे बिक्री में उपभोक्ताओं से धोखाधड़ी की होगी जांच, वनमंडलाधिकारी श्रीमती मिश्रा ने दिलाया भरोसा

बालाघाट. दक्षिण सामान्य वनमंडल के केन्द्रीय डिपो में जलाऊ लकड़ी बिक्री में उपभोक्ताओं के साथ माप में की जा रही धोखाधडी किए जाने का मामला गर्माता जा रहा है. डिपो प्रभारी डिप्टी रेंजर कुंजीलाल धुर्वे की कार्यप्रणाली के कारण दक्षिण सामान्य वनमंडल इन दिनो समाचारो की सुर्खियों में है.  विगत 10 फरवरी को केन्द्रीय डिपो, मंे जलाऊ चट्टे लेने गए नगर के गढ्ढा मोहल्ला निवासी युवक द्वारा चट्ा लेने के काम लकड़ी कम होने की आशंका जाहिर की. इसी दौरान चट्ा लेने पहुंचे अन्य व्यक्ति द्वारा जब चट्टे के कथित माप डंडे की लंबाई चौड़ाई, टेप से मापी तो कम मिली. जिस पर उपभोक्ता ने कम लकड़ी दिए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की. जिसकी जानकारी लगने पर मीडियाकर्मियों, जब यहां पहुंचे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. जिस कथित मापक डंडे से डिपो प्रभारी कुंजीलाल धुर्वे, उपभोक्ताओं को जलाऊ चट्टे विक्रय करता था, वह कथित मापक डंडा, टेप के निर्धारित माप से कम पाया गया. जिस पर जलाऊ चट्टे खरीदने पहुंचे उपभोक्ता ने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि पहले और आज की चट्टे की मात्रा में अंतर है. जबकि एक अन्य उपभोक्ता ने इस तरह की गड़बड़ी पर चट्टे लेने का मन ही बदल दिया. यह मामला अखबारों मंे आने के बाद काफी सुर्खियों में रहा.  

डिपो प्रभारी कंुजीलाल धुर्वे के कथित मापक डंडे से उपभोक्ताओं को कम लकड़ी देकर उनसे धोखाधड़ी करने के मामले को उपभोक्ताओ के हित में गंभीरता से लेते हुए प्रेस प्रतिनिधियों ने वनमंडलाधिकारी श्रीमती मीना मिश्रा से मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया. जिस पर वनमंडलाधिकारी श्रीमती मिश्रा ने मीडिया बयान देने से मना करते हुए आश्वस्त किया कि वह इस मामले की जांच करवाएगी.  

वहीं दूसरी ओर इस मामले मंे वनमंडलाधिकारी से मिलने से पहले प्रेस प्रतिनिधियों से संबंधित डिपो रेंजर के मामले में व्यक्त किए गए विचार से रेंजर की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे है. प्रेस प्रतिनिधियों का कहना है कि उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी के इस मामले को लेकर अधिकारियों से मिलने से पहले प्रेस प्रतिनिधियों को रेंजर ने कहा कि जो हुआ उसे जाने दे. जिससे कई सवाल खड़े होते है, सवाल यह है कि क्या रेंजर की जानकारी मंे यह मामला है और यदि है तो इस मामले में उनके द्वारा अपनी ओर से क्या जांच की गई? रेंजर ने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी? फिलहाल अब देखना है कि डिपो प्रभारी की कार्यप्रणाली से समाचारो की सुर्खियो मंे विभाग की छवि को बचाने जांच के बाद क्या कार्यवाही होती है ताकि ऐसे करने वाले अन्य को सबक मिल सके और सबसे बड़ी बात उपभोक्ताओं को उसके दाम का पूरा सामान मिल सके.


Web Title : FRAUD OF CONSUMERS IN SALE OF FIREWOOD IN CENTRAL DEPOT OF SOUTH GENERAL FOREST DIVISION WILL BE INVESTIGATED, FOREST DIVISIONAL OFFICER SMT. MISHRA ASSURES