बैहर में 251 स्वरूपो में सजा मां का दरबार, हजारों की संख्या में देश के अलग-अलग राज्यो से पहुंच रहे भक्त, देश में मां के इतने स्वरूपो में नवरात्र पूजन का पहला मामला

बालाघाट. आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना और आराधना का पर्व नवरात्र पूरे देश में भक्तिभाव, आस्था और पूरी श्रद्वा एवं विश्वास के साथ मनाया जा रहा है. पूरे देश, प्रदेश और जिलो में नवरात्र पर मां के विभिन्न स्वरूपों की मनोहारी प्रतिमाएं सार्वजनिक स्थलों पर विराजित की गई है, लेकिन जिले के बैहर में 251 स्वरूपो में सजे मां के दरबार की छटा ही अलग है. जिसे देखने देश के महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और मुंबई सहित अन्य स्थानों से बड़ी संख्या में भक्तगण यहां पहुंच रहे है. नवरात्र में देश और प्रदेश के अलग-अलग देवी मंदिरो में विराजित मां की मनोहारी प्रतिमाओं को एक स्थान पर 251 स्वरूपो में विराजित किया गया है. सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति बस स्टैंड का नवरात्र पर यह आयोजन देश का पहला आयोजन है, यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. हालांकि ऐसा नहीं है कि नवरात्र का पर्व पर प्रतिमाओं को विराजित नहीं किया जाता है लेकिन एक साथ 251 प्रतिमाओं की स्थापना का एक नया रिकॉर्ड, बैहर रचने जा रहा है, यही नहीं बल्कि सार्वजनिक बस स्टैंड दुर्गोत्सव समिति द्वारा हर पांच साल में नवरात्र पर प्रतिमाओ को बढ़ाकर विराजित करने की परंपरा में आगामी 2029 में 501 और 2034 में 1008 प्रतिमाओं को एक साथ, एक मंडप पर विराजित करने का भाव है. उम्मीद है कि इस वर्ष 251 प्रतिमाआंे को विराजित करके मां की भक्ति का साहस दिखाने वाली सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति के लिए यह लक्ष्य कोई बड़ा नहीं होगा.

सर्वधर्म के सहयोग से संभव हो रहा है आयोजन

सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति बस स्टैंड के पदाधिकारियों एवं सदस्यों का कहना है कि समिति द्वारा देवी मां की भक्ति का इतना बड़ा साहस, बिना सर्वधर्म के संभव नहीं है, इस आयोजन में बैहर में निवासरत सभी धर्मो के लोगों के सहयोग से ही यह कार्य संभव हो पा रहा है.  

लगभग 35 हजार वर्गफीट पर दुर्गा पंडाल और शतचंडी यज्ञ का आयोजन

नवरात्र पर मां दुर्गा के 251 स्वरूप में विराजित की गई प्रतिमा के लिए 86 बाई 40 का डोम लगाया गया है, जबकि नवरात्र पर एकम से लेकर  नवमी तक प्रतिदिन शतचंडी यज्ञ किया जा रहा है. जिसे पूर्ण कराने बनारस से 11 पुरोहित आए है, जिनके मार्गदर्शन और निर्देशन में प्रतिदिन प्रातः से प्रारंभ होने वाले शतचंडी यज्ञ का दोपहर 03 बजे हवन पूजन किया जाता है. जिससें बैहर की समस्त जनता और देवीभक्त सहभागी होते है. भविष्य में समिति का लक्ष्य, 2029 में 501 और 2034 में 1008 प्रतिमाए स्थापित करने का है.

सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त, ड्रोन और सीसीटीव्ही से रखी जा रही नजर, फायर यंत्र से लैस है पंडाल

बैहर में लगभग 35 हजार वर्गफीट पर सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति बस स्टैंड द्वारा विराजित की गई 251 प्रतिमाओं केा देखने बड़ी संख्या में देश, प्रदेश सहित आसपास के जिलो से प्रतिदिन पहुंच रहे है, 40 से 50 हजार भक्तों की सुरक्षा को लेकर व्यापक बंदोबस्त किए गए है. समिति द्वारा यहां वांलिटियर की तैनाती के साथ ही ड्रोन एवं सीसीटीव्ही कैमरे से निगरानी की जा रही है. वहीं सुरक्षा गार्ड के अलावा अग्नि सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए है.

तो दर्ज हो सकता है कि लिम्का या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में आयोजन

जानकारांे का मानना है कि पूरे देश, प्रदेश में मनाए जाने वाले नवरात्र पर्व में इतनी बड़ी संख्या में मां के विभिन्न स्वरूपो में विराजित की गई देवी प्रतिमाओं का ऐसा आयोजन दिखाई नहीं देता है, जो केवल बालाघाट जिले के बैहर में ही दिखाई दे रहा है. यह रिकॉर्ड भविष्य में लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो सकता है.

शरदपूर्णिमा का होगा विसर्जन

बैहर के हाईस्कूल खेल मैदान में नवरात्र पर विराजित किए गए मां के 251 स्वरूपो की प्रतिमा का आकर्षण और उल्लास जितना बड़ा एवं यादगार है, मातारानी की विदाई पर भी उतनी ही बड़ी धूमधाम होगी. बस स्टैंड में विराजित की गई प्रतिमाओं का विसर्जन आगामी 27 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर किया जाएगा. जिसे भी भव्य बनाने की पूरी तैयारी सार्वनिक दुर्गोत्सव समिति द्वारा कर ली गई है.

महिलाएं और बच्चे भी कर रहे है सहयोग

बैहर में नवरात्र पर सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति बस स्टैंड द्वारा विराजित की गई मां के 251 स्वरूपो की प्रतिमा के दर्शनार्थ बड़ी संख्या में आने वाले भक्तों की जिम्मेदारी जिस तरह से समिति, वांलिटिय और सुरक्षागार्ड निभा रहे है, उसी तरह महिलाएं और बच्चे भी पीछे नहीं है, वे भी दर्शनार्थियों को दर्शन में किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो, इसका पूरा ख्याल रख रहे है.


Web Title : THOUSANDS OF DEVOTEES FROM DIFFERENT PARTS OF THE COUNTRY ARE COMING FROM DIFFERENT STATES OF THE COUNTRY, THE FIRST CASE OF NAVRATRI WORSHIP IN SO MANY FORMS OF MAA IN THE COUNTRY.