प्रशासन की मदद से अब घर लौटेगा ब्रजलाल, सोमवार को रवाना होंगे सामाजिक संगठन प्रतिनिधि, 15 साल बाद परिवार के बीच होगा ब्रजलाल

बालाघाट. बालाघाट जिले में संरक्षित जनजाति बैगा समुदाय का ब्रजलाल, 15 साल बाद प्रशासन की मदद से अब घर लौट सकेगा. 15 साल पहले मजदूरी के लिए नागपुर, काम की तलाश में गया ब्रजलाल जब सालों तक वापस नहीं लौटा तो परिवार ने उसे मृत मानकर उसकी तेरहवी कर दी थी. हाल ही में झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ताओं से जिले के सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधियों को उसके बारे में जानकारी मिली. सामाजिक संगठन प्रतिनिधि, झारखंड पहुंचे और वहां ब्रजलाल से मुलाकात की. चूंकि ब्रजलाल को वहां से लाने की कानूनी दिक्कतों के कारण, सामाजिक संगठन प्रतिनिधि, उसे लेकर नहीं आ सके. सामाजिक संगठन प्रतिनिधियों को ब्रजलाल, झारखंड राज्य में एक हॉटल मंे काम करता मिला. जिसका सुखद परिणाम यह रहा कि जिस ब्रजलाल को मृत समझकर परिवारवालों ने उसकी तेरहवीं कर दी थी, वह जीवित है और जल्द ही प्रशासन की मदद से वह अपने परिवार के बीच होगा. ब्रजलाल के जीवित होने से उसके पूरे परिवार में खुशी का माहौल है अब इंतजार है तो ब्रजलाल के घर पहुंचने का.  

एक जानकारी अनुसार ब्रजलाल बैगा बालाघाट की नक्सल प्रभावित पुलिस चौकी पाथरी के ग्राम पंचायत लहंगाकन्हार के सोमटोला का रहने वाला हैं. जो अपने गांव के कुछ लोगों के साथ 15 साल पहले मजदूरी करने के लिये नागपुर महाराष्ट्र गया था, लेकिन कुछ दिनों काम करने के पश्चात वह अपने साथियो से भटक गया. चूंकि ब्रजलाल ग्रामीण परिवेश का होने से उसे ज्यादा समझदारी नहीं थी. जिसके चलते वह इतने दिनों तक कभी केरल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मसूर सहित अन्य जगह भटकते हुए झारखंड के जमशेदपुर में बीमार हालत में भटक रहा था. जिसे वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहारा देते हुए उसकी तमाम व्यवस्था की. पिछले 8 महीने से वह रहते हुए कुछ बोलने लायक हुआ तो तब उसके बताये अनुसार वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आदिवासी समाज के सामाजिक कार्यकर्ताओं से संपर्क किया.

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने बताया कि ब्रजलाल बैगा को झारखंड से लाने में आ रही कानूनी दिक्कतों को दूर करने और आर्थिक मदद की मांग प्रशासन से परिजनों के साथ मिलकर की गई थी. जिसमें प्रशासन का पूरा सहयोग मिला है, कानूनी दस्तावेजो और प्रशासन द्वारा दी गई आर्थिक मदद के साथ वह सोमवार को झारखंड जा रहे है. जहां से ब्रजलाल को लेकर वह बालाघाट आएंगे. उन्होंने बताया कि सोमवार को अभा आदिवासी विकास परिषद सचिव सुखसिंह नेताम, भाई लालसिंह और शिक्षक धुर्वे के साथ, ब्रजलाल को घर लाने झारखंड जा रहे है.


Web Title : WITH THE HELP OF THE ADMINISTRATION, BRIJLAL WILL NOW RETURN HOME, SOCIAL ORGANIZATION REPRESENTATIVE WILL LEAVE ON MONDAY, BRIJLAL WILL BE AMONG THE FAMILY AFTER 15 YEARS