पहली बालिका मिली पॉजिटिव, स्वस्थ्य होकर घर लौटी,तीसरी लहर में बच्चों के उपचार के लिए अस्पताल में बनाये गये वार्ड, मशीनों का भेजा ऑर्डर

बालाघाट. कोरोना की पहली की अपेक्षा दूसरी लहर की भयावहता ने लोगों के मन-मस्तिष्क में गहरा प्रभाव डाला है. इस लहर में अस्पताल में उपचार और देरी ने कई लोगों से अपने छिन गये. हालांकि जिंदगी का रूकने का नाम नहीं है, कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को देख और समझ चुके शासन, प्रशासन और स्वास्थ्य प्रबंधन ने जानकारो के अनुसार तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए तैयारी प्रारंभ कर दी है, बालाघाट में तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. चूंकि पहली लहर में बुजुर्ग, दूसरी लहर में युवाओं और तीसरी लहर में बच्चों को बीमारी होने की आशंका के चलते जिले में तीसरी लहर से प्रभावित होने वाले बच्चों के उपचार के लिए प्रशासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने शिशु वार्ड और एसएनसीयू में अलग-अलग वार्ड बनाये है, जिसमें नार्मल, संदिग्ध और पॉजिटिव बच्चों को रखा जायेगा.

बहरहाल जिले में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों के प्रभावित होने की कोई ज्यादा खबर नहीं है लेकिन विगत 27 मई को एक 6 वर्षीय बालिका को बुखार आने के बाद उसे जिला चिकित्सालय लाया गया था. जहां आरटीपीसीआर टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद उसका उपचार किया. जिसके बाद गत 1 जून को बच्ची स्वास्थ्य होकर घर लौट गई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निलय जैन की मानें तो उसे बुखार आ रहा था, जिसे परिजन जिला चिकित्सालय लेकर आये थे. संदेहास्पद होने पर उसका आरएटी टेस्ट कराया गया. जिसमें वह निगेटिव आई थी. हालांकि तब तक उसका उपचार शुरू कर दिया गया था. जिसके दो दिन बाद 29 मई को उसका आरटीपीसीआर टेस्ट कराये गया. जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसका उपचार चला और बालिका अब स्वास्थ्य होकर घर लौट गई है. हालांकि शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निलय जैन का कहना है कि ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, बस सावधानी रखने और कोरोना से बचाव को लेकर नियमों का पालन करने की आवश्यकता है.  

शिशु वार्ड मंे तीन सेक्शन और एसएनसीयू में बनाये गये तीन सेक्शन

जिला प्रशासन के निर्देश पर जानकारों के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिशु वार्ड और एसएनसीयू वार्ड में बच्चों के उपचार के लिए तीन-तीन सेक्शन बनाये गये है. इस दौरान बच्चों को दो आयु वर्ग में बांटा गया है. जिसमें शून्य से लेकर 28 दिन के नवजात और 29 दिन से 18 वर्ष के युवाओं के लिए शिशु वार्ड और एसएनसीयू वार्ड में अलग-अलग व्यवस्था की गई है. साथ ही ऑक्सीजन के लिए सेंट्रल लाईन बिछा दी गई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निलय जैन ने बताया कि शिशु वार्ड में साधारण बीमारी से आने वाले बच्चों के लिए एक सेक्शन, कोरोना संदिग्ध मरीज के लिए एक सेक्शन और पॉजिटिव बच्चों के लिए पीआईसीयू सेक्शन बनाया गया है. इसी तरह एसएनसीयू में भी व्यवस्था की गई है. चूंकि शून्य से 28 दिन के बच्चो में भी कोरोना बीमारी का अंदेशा है. जिसे ध्यान में रखते हुए भी तैयारी की गई है. सभी सेक्शन में पर्याप्त बेड की व्यवस्था की गई है. वहीं प्रशासन लगातार तीसरी लहर को लेकर बच्चो के बीमारी से प्रभावित होने पर उनके उपचार को लेकर स्वास्थ्य विभाग से सतत संपर्क में है.

मशीनों का भिजवाया गया ऑर्डर

कोरोना की तीसरी लहर में प्रभावित होने वाले बच्चों के लिए अस्पताल में पर्याप्त बेड और उपचार की व्यवस्था की गई है. वार्ड में ऑक्सीजन की सेंट्रल लाईन बिछा दी गई है. कुछ जरूरी इंजेक्शनों का इंतजाम भी अभी अस्पताल में है. बावजूद इसके उपचार में लगने के लिए तीसरी लहर आने से पहले बच्चों के उपचार में कोई कमी न रहे, इसके लिए मशीनों वेंटिलेटर, सीपैप मशीन, पल्स ऑक्सीमीटर और इंजेक्शन का ऑर्डर भोपाल भिजवाया गया है. ताकि लहर के दौरान बीमारी से बच्चों की तादाद बढ़ने के दौरान उनका हरसंभव उपचार किया जा सके.

अस्पताल में बनाया गया ट्राईऐज

अस्पताल में तीसरी लहर से प्रभावित होने वाले शून्य से लेकर 28 दिन और 29 दिन से लेकर 18 साल के बच्चों को कहां किस सेक्शन में भर्ती कराना है, इसके लिए भी पूरी तैयारी कर ली गई है. जिसके लिए अस्पताल में ट्राईऐज की व्यवस्था भी की गई है. जहां बच्चों के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए उसे नार्मल, सस्पेक्टेड या पीआईसीयू, कहां भर्ती कराना है, इसकी जानकारी प्रदान की जायेगी.

बच्चों को कोरोना महामारी से बचाने सावधानी और नियमों का पालन की जरूरत

शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. निलय जैन ने बताया कि बच्चों में इतनी इम्युनिटी पॉवर होता है कि बच्चे को बीमारी जल्द नहीं पकड़ सकती है, फिर भी कुछ सावधानी और नियमों के पालन की आवश्यकता है. मसलन बच्चों को कंटेनमेंट जोन, हॉट स्पॉट स्थल और आउटटिंग में न जाने दे. परिवार के यदि किसी बड़े सदस्य को कोरोना जैसे लक्षण नजर आये तो स्वयं आईसोलेट हो जायें और बच्चों से अलग रहकर उनका उपचार कराये. परिवार के सभी सदस्य कोरोना से एकमात्र बचाव के विकल्प वेक्सीन जरूर लगाये. यदि परिवार सुरक्षित होगा तो बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे. हालांकि जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर मंे प्रभावित लोगो में लंग्स का इंफेक्शन देखा गया, लेकिन कोरोना से बच्चो के लंग्स में ज्यादा इंफेक्शन नहीं होता है, इसलिए घबराये नहीं. यदि बच्चे को सर्दी-खासी है तो यह कॉमन है लेकिन यदि चार दिनों तक उसकी सर्दी-खांसी में सुधार नहीं होता है तो तत्काल उसका कोविड टेस्ट कराये. बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए मॉस्क, सोशल डिस्टेंस और हाथ धोने की आदत डाले, ताकि वह कोरोना से बचा रहे. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधानी रखने और नियमों का पालन करने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों पर बीमारी का कोई असर न हो.


Web Title : FIRST GIRL FOUND POSITIVE, RETURNS HOME HEALTHY, ORDERS SENT FOR HOSPITALWARDS, MACHINES FOR TREATMENT OF CHILDREN IN THIRD WAVE