अनुयायियों ने मनाया सतगुरू कबिरदासजी का प्रकटोत्सव, शोभायात्रा, सत्संग और प्रतिभावान बच्चों का सम्मान

बालाघाट. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर! जैसे दोहे के रचियिता भारत के प्रसिद्ध कवि और महान समाज सुधारक कबीरदासजी का 625 वां प्रकटोत्सव, 4 जून को मुख्यालय में अनुयायियों द्वारा मनाया गया. जिसमें मुख्यालय सहित लांजी, बैहर, परसवाड़ा, कटंगी सहित पूरे जिले से सामाजिक बंधु बड़ी संख्या में पहंुचे थे. सर्वप्रथम प्रातः कलश शोभायात्रा निकाली गई. जिसके बाद आयोजन स्थल कमला नेहरू प्रेक्षागृह में सत्संग, सांस्कृतिक कार्यक्रम और समाज के प्रतिभावान बच्चों को सम्मान किया गया.  गौरतलब हो कि कबिरदासजी ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में व्याप्त भेदभाव के खिलाफ जन-जागरण पैदा करने का अथक प्रयास किया. सत्य एवं अहिंसा का संदेश देने वाले संत कबीर दास जी का जन्म 15 वीं सदी में माना जाता है. इनके दोहे सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जनकल्या की अलख जगाते हैं.

युवाओं को सही राह दिखाते हैं. बीजक, कबीर ग्रन्थावली, अनुराग सागर, सखी ग्रंथ आदि कबीर दास के कुछ महान लेखन हैं. धार्मिक समुदाय कबीर पंथी द्वारा कबीर दास जी के जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया गया.  महंत रविदास वैष्णव ने बताया कि सतगुरू कबिरदासजी का 625 वां प्रकटोत्सव मनाया गया. जिसमें पूरे जिले से कबिरपंथी शामिल रहे. कार्यक्रम में प्रातः शोभायात्रा निकाली गई. जिसके बाद सत्संग में वक्ताओं द्वारा विचार रखे गये और समाज के प्रतिभावान बच्चों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.


Web Title : FOLLOWERS CELEBRATE SATGURU KABIRDASJIS APPEARANCE, SHOBHA YATRA, SATSANG AND HONOR ING TALENTED CHILDREN