मैं पत्नी धर्म और राजनीतिक धर्म दोनो निभाउंगी-अनुभा मुंजारे, भारतीय नारी हुॅं, जिस घर में मेरी डोली आई थी, उस घर से अब केवल मेरी अर्थी निकलेगी

बालाघाट. जिले में पहचाने जाने वाले मुंजारे दंपत्ति में पार्टी और विचारधारा की लड़ाई चल रही है, जिसमें उनकी निजी जिंदगी में दरार पड़ने लगी है. विधानसभा चुनाव में जो मामुली दरार थी, वह लोकसभा चुनाव में बड़ी नजर आने लगी है.  यह इसलिए कहना पड़ रहा है कि लोकसभा में बसपा प्रत्याशी कंकर मंुजारे को घर से कांग्रेस विधायक, पत्नी अनुभा मुंजारे का कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार रास नहीं आ रहा है, यही कारण है कि सिद्धांत और उसूलो की राजनीति का हवाला देकर, कंकर मुंजारे ने गत दिवस, निज-निवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस विधायक (पत्नी) अनुभा मुंजारे को चुनाव तक घर से अन्यत्र चले जाने और नहीं जाने पर स्वयं घर से अलग चले जाने की बात कही.

चंूकि लोकसभा चुनाव के बीच मुंजारे दंपत्ति, के सार्वजनिक रूप से मतभेद की खबरो पर, भाजपा को तंज कसने का अवसर दे दिया हैं, हालांकि इसको लेकर अब तक भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पूर्व सांसद कंकर मंुजारे के घर से चुनाव तक अन्यत्र चले जाने के सवाल पर पत्नी कांग्रेस विधायक अनुभा मंुजारे ने अपना पक्ष मीडिया के सामने रखा है.  मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विगत 10 महिने पहले पुत्र के साथ स्वयं मैने कांग्रेस की सदस्यता ली है. जिसके बाद से वह समर्पण भाव से कांग्रेस में काम कर रही है, जिसका ही परिणाम है कि विधानसभा में पहली महिला विधायक बनने का अवसर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने उन्हें दिया.  चूंकि वह कांग्रेस की विधायक और सिपाही है, इसलिए वह कांग्रेस में काम करते रहेगी, कांग्रेस की रीति-नीति पर चलेगी और कांग्र्रेस के प्रत्याशी सम्राटसिंह सरस्वार को भारी मतो से विजयश्री दिलाने का काम करेगी.  

पति बसपा प्रत्याशी कंकर मुंजारे के घर से चले जाने के दिए गए बयान में उन्होंने कहा कि वह बयान देने स्वतंत्र है और वह उनका सम्मान करती हैं और वह इतनी सक्षम नहीं है कि उनकी किसी बयान पर वह टिप्पणी करें, लेकिन घर जब मैने विधानसभा चुनाव में नहीं छोड़ा तो अब क्यों छोड़ेगी.  विधायक श्रीमती मुंजारे ने कहा कि मैं एक धर्मपत्नी के साथ ही इकलौते बेटे शांतनु की मां हुॅं, कांग्रेस पार्टी के प्रति मेरा समर्पण और निष्ठा भाव है, जिससे उन्हें तकलीफ नहीं होना चाहिए. बीते विधानसभा, परसवाड़ा से श्री मुंजारे जी गांेगपा से लड़े और मैं बालाघाट से कांग्रेस पार्टी से लड़ी. जब उस समय मतभेद नहीं रहा है तो आज मतभेद क्यों? 

उन्होंने कहा कि यह सही है कि पूर्व सांसद मुंजारे जी ने कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था. वह जिले के बड़े नेता है, जनप्रिय और क्रांतिकारी नेता है, जनाधार वाले नेता है, यदि कांग्रेस लोकसभा में उन्हें उतारती तो उनके एक से सवा लाख समर्पित मतदाता है और कांग्रेस की जीत सुनिश्चित होती, लेकिन बात नहीं बनी, उसका अफसोस है. यह बड़े नेताओं का निर्णय है जो हमें सर्वमान्य हैं. उन्होंने कहा कि वह एक भारतीय नारी है, भारतीय संस्कृति और परंपरा में कहा जाता है कि जब बेटी माता-पिता के घर से डोली में विदा होती है तो उसके ससुराल से वह अर्थी में ही निकलती है. मैें इन सिद्धांतो को मानने वाली हुॅं, लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रति लगन और निष्ठा से राजनीतिक धर्म और परिवार में एक मां और पत्नी के रूप में अपना धर्म निभाउंगी.  


Web Title : I WILL PERFORM BOTH WIFE RELIGION AND POLITICAL DHARMA – ANUBHA MUNJARE, INDIAN WOMAN, THE HOUSE IN WHICH MY DOLI CAME, NOW ONLY MY ARTHI WILL COME OUT