चंदन नदी में बना कबिर घाट दुर्दशा का शिकार, लापरवाह जिम्मेदार

वारासिवनी. नगर के चंदन नदी के तट पर स्थित संत कबीर घाट इन दिनों जिम्मदारों की लापरवाही से दुर्दशा का शिकार होकर अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा हैं, लेकिन जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं.

विदित हो कि सावन मास में पड़ने वाले कजलियां पर्व सहित अन्य हिन्दू त्यौहारों के दौरान चंदन नदी में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता हैं. मुख्यरूप से कजलियों के पर्व पर इस पावन चंदन नदी में कजलियों का विसर्जन किया जाता हैं. जिसमें हजारों महिलायें जुलूस के रूप में कजलियां लेकर विसर्जन करने पहुंचती है, लेकिन नदी में विसर्जन के लिए पर्याप्त व्यवस्था ना होने से महिलाओं को कीचड़ से होते हुए पानी में कजलियों के विसर्जन के लिए जाना पड़ता था. जिससे यहां हो रही दिक्कतों को लेकर लंबे समय से उचित व्यवस्था के रूप में घाट के निर्माण की मांग उठ रही थी. जिसे देखते हुए क्षेत्रीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने करीब 20 वर्ष पूर्व नदी के मुहावने पर घाट का निर्माण करवाकर उसे संत कबीरदासजी के नाम पर समर्पित किया था, लेकिन निर्माण के बाद नगरपालिका द्वारा इस घाट की देखरेख में लगातार लापरवाही बरतने से घाट की स्थिति दयनीय हो गई हैं. नपा द्वारा इस घाट की सुध सिर्फ कजलियां पर्व के दौरान किया जाता है और इसकी साफ सफाई करवाई जाती हैं. जबकि बाकी दिनों में ये घाट लावारिस हालत में पड़े रहता हैं.

नदी पर बने इस घाट की वर्तमान में बेहद ही खराब हालत हो गई हैं. इस घाट के ऊपर हर जगह गंदगी का अंबार लगा हैं तो वहीं घाट तक जाने वाले मार्ग की हालत भी दयनीय बनी हुई हैं. जिस ओर ना तो वार्ड पार्षद का ध्यान जाता हैं ना ही नपा का. परिणामतः घाट वारिस होते हुए भी लावारिस बन अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहा हैं.

जीर्णोद्धार की उठी मांग

नदी पर बने इस घाट के जीर्णोद्धार किए जाने एवं उसके आसपास नियमित रूप से साफ सफाई की व्यवस्था बनाए जाने की मांग शहर के प्रबुद्ध जनों ने नपा के जिम्मदारों से की हैं. ताकि कजलियां पर्व के अलावा अन्य पर्वों पर भी इस घाट का धार्मिक लोग उपयोग कर सकें. अब देखना ये हैं कि नपा कजलियां पर्व के पूर्व इस घाट का जीर्णोद्धार करती हैं या फिर घाट ऐसे ही अपनी दुर्दशा पर आँसू बहाते रहता हैं.   


Web Title : KABIR GHAT IN CHANDAN RIVER A VICTIM OF PLIGHT, CARELESSLY RESPONSIBLE