आवागमन में नासूर बन गया सरेखा रेलवे फाटक, जाम से बालाघाट सरेखा मार्ग के अलावा बायपास भी जाम, आश्वासन का झुनझुना पकड़ा रहे सांसद और कद्दावर नेता

बालाघाट. अभी तो पैसेंजर ट्रेन प्रारंभ नहीं हुई है और केवल बालाघाट से मालगाड़ियों का संचालन हो रहा है, तब मालगाड़ियों से गुजरने से शहर के सभी रेलवे फाटको पर जाम के ऐसे हालत है तो महसुस किया जा सकता है कि जब लगातार पैंसेजर और मालगाड़ी ट्रेने चलेगी, तब शहर के जाम के हालत कितने भयावह होंगे. विगत लंबे समय से शहर के बढ़ते आवागमन को लेकर रिंग रोड, बायपास रोड और ओवरब्रिज की मांग की जा रही है, लेकिन जिले के सांसद हो या स्वयंभु कद्दावर नेता, शहर और जिले के लोगों को रेलसुविधाओं से लेकर रेलो के गुजरने से फाटकों पर होने वाली जाम समस्या के निराकरण का केवल और केवल झुनझुना पकड़ा रहे हैं, लेकिन अब जनता सब समझने लगी है, सालों से शहर का नेतृत्व करने वाले नेताओं के निर्माण से पहले की खुशी और वाहवाही लूटने की कला, से जनता अब पूरी तरह से परिचित हो चुकी है, जिसका जवाब एक न एक दिन जाम की समस्या से रोजाना जूझती शहर की जनता वक्त आने पर जरूर देगी. चंूकि वक्त बदलता है तो फर्श से अर्श पर पहुंचने और अर्श से फर्श में पहुंचने में देर नहीं लगती है.

सरेखा फाटक से पूरा शहर हो जाता जाम

वैसे तो शहर के चार रेलवे फाटक, शहर में जाम की स्थिति पैदा करते है, जिसमें बालाघाट-गर्रा मार्ग, भटेरा मार्ग, बैहर चौकी और सरेखा रेलवे फाटक शामिल है, लेकिन बालाघाट शहर के सरेखा होते हुए गोंदिया मार्ग पर सरेखा रेलवे फाटक पर जाम की स्थिति से पूरा शहर जाम हो जाता है, चूंकि फाटक बंद हो जाने से शहर के इस ओर से लेकर सरेखा के उस पर तक एवं बायपास मार्ग भी वाहनों की लंबी कतार लग जाती है, कहा जाता है कि फाटक खुलने के बाद यहां लगने वाले जाम को हटने ही एक घंटा लग जाता है, जिससे समझा जा सकता है कि जाम की स्थिति कैसी होती होगी. बावजूद इसके जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से लोग जाम में फंसकर परेशान होने मजबूर है. जिससे लोगो में जिलेे की विकास की बात करने वाले शासन के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को लेकर काफी नाराजगी है, सालों से लोगों को हो रही इस परेशानी को सुलझाने में न तो जनप्रतिनिधि पहल कर रहे है और ना ही प्रशासन.

ट्रांसपोर्ट नगर नहीं तो कहां खड़े ट्रांसपोर्टर वाहन

अक्सर यह बात सामने आती है कि बायपास मार्ग पर ट्रांसपोर्टर के बड़े-बड़े वाहन खड़े रहते है, जो आवागमन में बाधा पैदा करत है, लेकिन ट्रांसपोर्टर की समस्या यह है कि शहर में कई दशकों बाद भी ट्रांसपोर्टर नगर नहीं है, जिससे कि ट्रांसपोर्टर अपने वाहन वहां खड़े रह सके. जिसको लेकर तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में लंबी-चौड़ी दावे किये गये लेकिन मैदानी स्थिति चार दिन की चटक चांदनी, फिर अंधेरी रात की तरह ट्रांसपोर्टर नगर की बात पुरानी हो गई. जिससे मजबूरन ट्रांसपोर्टर, बायपास पर अपने वाहन खड़ा कर रहे है. इन वाहनों के खड़े होने और इस मार्ग से गुजरने वाले चौपहिया और दुपहिया वाहनों के कारण, फाटक बंद होने से लगने वाले जाम के कारण यह मार्ग भी जाम से बंद हो जाता है.

रैक प्वाइंट को गर्रा में शिफ्ट कर हल हो सकती है बायपास में वाहनों के खड़े होने की समस्या

जानकारों की मानें तो रैक प्वाईंट में आने वाले सामानों को ढोने के लिए बड़े वाहन लगते है, जिससे रोजाना ही रैक प्वाईंट से कभी चांवल, कभी धान तो कभी सीमेंट ढुलाई का क्रम निरंतर लगा होने से यहां बड़े वाहनों की अक्सर कतार लगे रहती है. शहर के बढ़ते आवागमन और बायपास में रैक प्वाईंट पर लगे सामानों को ढोने वाले वाहनों की कतार को लेकर सांसद की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में कई बार ट्रांसपोर्टर यह मांग रख चुके है कि रैक प्वाईंट को गर्रा शिफ्ट किया जायें, चूंकि गोदाम गर्रा क्षेत्र में होने से सीधे रैक प्वाईंट से माल गर्रा गोदामों तक पहुंच जायेगा, लेकिन जिले की सुस्त सांसद कभी डीआरएम तो कभी रेलवे मंत्रालय से चर्चा की बात कर रैक र्प्वाइंट को गर्रा ले जाने में निष्क्रियता का परिचय दे रहे है. जिससे हालत और भयावह होते जा रहे है.

80 फीट के बायपास के नाम पर केवल बना दी 17 फीट की सड़क 

सरेखा से बैहर चौकी मार्ग पर सालों पहले 80 फीट के बायपास के नाम पर महज केवल 17 फीट सीसी सड़क बनाकर इतिश्री कर ली. जिसको लेकर ट्रांसपोर्टर अविनाश ठाकुर की मानें तो कभी इस बायपास सड़क के साईड सोल्डर नहीं भरे गये, इस मामले को लेकर तत्कालीन नपा इंजिनियर के संज्ञान में लाने के बावजूद वह बताते रहे कि यह 80 फिट की सड़क है, जिसे बताने वह उन्हंे मौका स्थल पर बुलाते-बुलाते थक गये, लेकिन वह 80 फिट के बायपास को दिखाने कभी नहीं पहुंचे.  

आखिर कब बनेगा अंडरपास और ओवरब्रिज

जिले के सांसद हो या समर्थकों के कद्दावर नेता, सभी के समर्थकों ने सरकार द्वारा शहर के चार ओवरब्रिज सेक्शन की स्वीकृति को लेकर जमकर पटाखे फोड़े और मिठाईयां खाई, लेकिन नतीजा सिफर है, अब तक केवल यही बताया जा रहा है कि सरेखा रेलवे क्रार्सिंग पर बनने वाले ओवरब्रिज का काम प्रारंभ हो चुका है, जिसको लेकर टीम का सर्वे दिखाकर लोगों को समर्थकों ने सब्र करने का सब्जबाग भी दिखाया लेकिन इस सर्वे के बाद अब प्रक्रिया क्या हो रही है, इसका कुछ पता नहीं चल रहा है, जबकि ओवरब्रिज के निर्माण से पूर्व अंडरपास बनाना जरूरी है, लेकिन अंडरपास और ओवरब्रिज कब बनेगा, यह समय-सीमा कोई नही बता रहा है. जबकि जानकारों का कहना है कि यदि अंडरपास बना दिया जाता है तो भी जाम की समस्या से निजात मिल सकती है.  

तो किया जायेगा आंदोलन

ट्रांसपोर्ट एशोसिएशन पदाधिकारी अविनाश ठाकुर ने कहा कि सरेखा रेलवे फाटक पर लगने वाला जाम लोगों के लिए नासूर बन गया है. हर बार सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में मुद्दा उठाये जाने के बावजूद कभी डीआरएम तो कभी रेलवे मंत्रालय से चर्चा की बात कहकर झुनझुना पकड़ा दिया जाता है. विगत लंबे समय से लगने वाले जाम और शहर के लोगों को हो रही परेशानी को लेकर ट्रांसपोर्ट एशोसिएशन संघर्ष कर रहा है और यदि जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक कदम शासन के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन द्वारा नहीं उठाया जाता है तो ट्रांसपोर्ट एशोसिएशन अपने अनवरत संघर्ष के सब्र का बांध टूटने पर आंदोलन के लिए विवश होगा.


Web Title : SAREKHA RAILWAY GATE BECAME A NUISANCE IN TRAFFIC, APART FROM JAM TO BALAGHAT SAREKHA ROAD, BYPASS ALSO JAMMED, MPS AND SENIOR LEADERS HOLDING ON TO THE WHIRLPOOL OF ASSURANCE