दानवीर मुलना जी को पुण्यतिथि पर किया गया याद, स्मारक पर दी गई श्रद्वाजंलि, आखिर कब संवरेगा दानवीर के नाम से उद्यान

बालाघाट. जिले को शिक्षा के क्षेत्र मंे पॉलीटेक्निक कॉलेज भवन, खेलने के लिए मुलना मैदान, पेयजल के लिए फिल्टर प्लांट और नगरपालिका कार्यालय जैसी बड़ी संपत्तियों को दान करने और जिले के विकास में अपना सर्वस्व जीवन अर्पित करने वाले दानवीर दीवान बहादुर मुलना जी को प्रतिवर्ष 25 अक्टूबर उनकी जयंती और 2 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया गया.  

पूर्व नपाध्यक्ष रमेश रंगलानी, वरिष्ठ नेत्री श्रीमती लता ऐलकर, नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती भारती सुरजीतसिंह ठाकुर, रिटायर्ड आयकर अधिकारी सुभाष गुप्ता, गोपाल आडवानी, राजस्व सभापति वकील वाधवा सहित अन्य लोगांे ने उनके स्मारक पर श्रद्वासुमन अर्पित किये.  2 जुलाई को जिले के सबसे बड़े दानवीर दीवान बहादुर मुलना जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रानी अवंतीबाई चौक स्थित उनकी प्रतिमा और उनकी समाधि स्थल पर गणमान्य नागरिकों ने उन्हें पुष्पाजंलि अर्पित की और उनके दानवीरता को याद किया.

इस दौरान नपा पूर्व अध्यक्ष रमेश रंगलानी ने कहा कि आज 2 जुलाई को जिले के सबसे बड़े दानवीर मुलना जी की पुण्यतिथि है, जिन्होंने अपना सर्वस्व जीवन जिले को समर्पित कर कर दिया. जिससे हम नगरवासियांे का भी कर्तव्य बनता है कि हम, उन्हें याद करें. प्रतिवर्ष 25 अक्टूबर को उनकी जयंती और 2 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर हम यहां आकर उन्हें याद करते हुए पुष्पाजंलि अर्पित करते है.

नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती भारती सुरजीतसिंह ठाकुर ने कहा कि आज हम जिले के सबसे बड़े दानवीर दीवान मुलना जी को याद कर उनकी समाधि पर प्रतिमा पर श्रद्वासुमन अर्पित करने पहुंचे है. जहां भी वे है, ईश्वर उन्हें खुशियां प्रदान करें. बालाघाट शहर के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावार कर दानवीर की छवि बनाकर इस सांसरिक जीवन से गये दीवना बहादुर मुलनाजी से हम प्रेरणा लेकर उनके दिये गये मार्गदर्शन पर चले, यह उनके प्रति सच्ची श्रद्वाजंलि होगी. हॉकी संघ महासचिव विजय वर्मा ने कहा कि दीवान बहादुर मुलना जी आज निर्वाण दिवस हम मना रहे है. जिन्होंने अपना सर्वस्व चल-अचल संपत्ति जिले को दान कर दिया.  

जयंती और पुण्यतिथि में याद कर आखिर क्यों भुल जाते है हम दानवीन मुलना जी को

यह एक बड़ा सवाल है और यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि उनकी याद में बनाया गया मुलना उद्यान, आज जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते उजाड़ और विरान पड़ा है. कभी शहर के हद्रयस्थ बस स्टैंड स्थित धर्मशाला के सामने उनके नाम से एक उद्यान हुआ करता था, लेकिन आज वह उद्यान वीरान पड़ा है. अक्सर उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर पहुंचने वाले लोग उनके बारे में बड़ी-बड़ी बाते करते है लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी जिले के सबसे बड़े दानवीर मुलना जी के नाम से धर्मशाला के सामने बना उद्यान, उजाड़ हो गया है. पहले इस उद्यान में लोगों को बैठने से सुकुन मिलता है और बस से आने वाले यात्री भी उद्यान में बैठकर, कुछ समय गुजार लेते थे. बड़े-बड़े पेड़ो से युक्त यह उद्यान अपनी सौन्द्रर्यता को बनाये हुए था, लेकिन लालफीताशाही की नजर इस पर ऐसी पड़ी कि आज वह उजाड़ हो गया है और अतिक्रमणकारियों एवं शराबखोरियों का अड्डा बन गया है. 2 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करने वालो में शहर के कई ऐसे नामचीन लोग है, यदि वह प्रयास करें तो उनके नाम से बने उद्यान के अस्तित्व को पुनः बरकरार रख सकते है लेकिन इस सकारात्मक प्रयास से कहीं आसान यह है कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर केवल उनकी दानवीरता को याद कर केवल पुष्प अर्पित कर दे, फिर जब उनकी जयंती या पुण्यतिथि आये तो फिर वह नजर आ जाये.  


Web Title : TRIBUTES PAID TO DANVEER MULNA JI ON HIS DEATH ANNIVERSARY