विदिशा के लटेरी थाने में साथी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज प्रकरण को वापस लेने की मांग,वनविभाग कर्मियों ने सौंपा ज्ञापन

बालाघाट. विगत 9 एवं 10 अगस्त की दरमियानी रात्रि प्रदेश के विदिशा में लटेरी थाने अंतर्गत वन चोरी अपराध की जानकारी के बाद पहुंचे वन अमले को घेरकर सागौन चुराने आये दो दर्जन से ज्यादा लोगों द्वारा हथियार सहित पत्थर एवं अन्य से हमला करने पर एक व्यक्ति की मौत के बाद वनविभाग के एक कर्मी पर एफआईआर और मृतक अपराधी को 25 लाख सहायता एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिये जाने से वनकर्मी खफ ा है.

इस मामले की खिलाफ करने और मजिस्ट्रियल जांच के बाद ही एफआईआर किये जाने की मांग को लेकर लटोरी थाने में दर्ज की गई एफआईआर को रद्ध करने, वनक्षेत्र के तहत घटित अपराधों में कार्यवाही का अधिकार वन अमले को दिये जाने सहित अन्य मांगो को लेकर वनकर्मी कलेक्ट्रेट पहंुचे और अपर कलेक्टर शिवगोविंद मरकाम को ज्ञापन सौंपा.

वनमंडल विदिशा के अंतर्गत लटेरी में विगत दिनों हुई घटना को लेकर वनकर्मियों में खासा आक्रोश दिखाई दिया. वनकर्मियों ने बताया कि सागौन काष्ठ की मोटर सायकिलों से हो रही चोरी की सूचना पर वन सुरक्षा के लिए कटिबद्ध वनमण्डल विदिशा के परिक्षेत्र लटेरी का वन अमला बीट तिलोनी के कक्ष क्रमांक पी. 387 पहुंचा था. जहां वन अमले का सामना मोटर साईकिल में सवार 25-30 सागौन चोरांे से होने के बाद सागौन चोरो ने घेरकर वन अमले पर जानलेवा हमला कर दिया. ऐसी विषम परिस्थिति में अपनी जान बचाने आत्मरक्षा

में हवाई फायर करता हुआ वन अमला अपनी जान बचाकर लटेरी थाना पहुंचा, जहां वनअमले ने थाना कर्मियों से मामले में एफआईआर लिखने का निवेदन किया, किन्तु थाने में उनकी एफआईआर न लिखकर उल्टे वन अमले द्वारा आत्मरक्षा के लिए किये गये हवाई फायर से एक व्यक्ति की मौत होने की बात कहकर थाने में बिना जांच किये गये घटना से लगभग 5 किलोमीटर दूर वनकर्मी पर सीधे 302, 307 का मुकदमा कायम कर दिया गया. पुलिस की इस गतिविधि से वन अमला सकते में है और उनका मनोबल पूरी तरह टूट गया हैं और वह स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है. जबकि वन अमले के कारण ही प्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा मिलने के साथ ही अरबों रूपये का राजस्व, शासन को मिल रहा है.

वनकर्मियों की मानें तो इस मामले में मृतक चैनसिंह और उसके आदतन वन अपराधी है, जि पर लकड़ी चोरी के कई प्रकरण लंबित है. उसके बावजूद मृतक के परिवार को 25 लाख रूपये की

मुआवजा राशि और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की घोषणा से वन कर्मचारी हताश है. क्योंकि सभी वन कर्मचारी सीमित संसाधनों में घने वनों के भीतर चिलचिलाती धूप, कड़कड़ाती ठंड और घनघोर वर्षा में भी विपरित परिस्थितियों का सामना करते हुए कर्त्तव्य परायणता से वन एवं वन्यप्राणियों की रक्षा कर रहे है. जिसके परिणाम स्वरूप मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट और वन प्रदेश का दर्जा मिला है, प्रदेश को सम्मान दिलाने वाले इसी वन अमले के विरूद्ध पुलिस अपराध दर्ज कर कार्यवाही में लगा है. जबकि शासन के पत्रो में स्पष्ट निर्देश है कि सीआरपीसी की धारा 197 के अनुसार वन अमले द्वारा अपने शासकीय कर्त्तव्यों के निर्वहन के दौरान वन अमले पर हुए

जानलेवा हमले के जवाब मे ं आत्मरक्षा में गोली चलाने से हुई मौत पर वन अमले के विरूद्ध बिना मजिस्ट्रियल जांच के अपराध कायम नहीं किया जा सकता है फिर कैसे, इस मामले में पुलिस ने बिना मजिस्ट्रियल जांच के अपराध दर्ज कर लिया गया.   वनकर्मियों ने कहा कि यदि दर्ज एफआईआर को रद्ध कर मजिस्ट्रियल जांच नहीं कराई जाती है तो इसके खिलाफ वन अमले का आंदोलन जारी रहेगा. इस दौरान बड़ी संख्या में वन अमला बड़ी संख्या में मौजूद था.


Web Title : FOREST DEPARTMENT EMPLOYEES SUBMIT MEMORANDUM DEMANDING WITHDRAWAL OF CASE REGISTERED AGAINST FELLOW EMPLOYEE AT LATERI POLICE STATION IN VIDISHA