नपा ने ध्यान नहीं दिया तो जानलेवा गढ्ढे को जनभागीदारी से बनवाया, शहर में सड़को की हालत दयनीय, न तो नेताजी और ना प्रशासन ले रहा सुध

बालाघाट. ग्रीन शहर, क्लीन शहर, स्वच्छ शहर के नाम पर शहर की जनता से वादो करने वाले बड़े-बड़े जनप्रतिनिधियों के वादो की हकीकत से शहर की हालत कहीं ज्यादा खराब है, स्वच्छता के नाम पर लाखो रूपये फूंकने के बाद भी गलियों, चौक, चौराहो पर कचरे का ढेर आसानी से देखा जा सकता है. ग्रीन शहर के नाम पर शहर में किये गये पौधारोपण की हालत किसी से छिपी नहीं है, पौधे ऐसे लापता हो गये है जैसे गधे के सिर से सिंग. उस पर शहर की सौन्द्रर्यता पर दाग लगाते सड़को पर बने गढ्ढे. एसी और बड़े वाहन से गुजरने वालो जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को भले ही गढ्ढो का अनुभव नहीं होता है, लेकिन सायकिल और दुपहिया वाहनों से चलने वाले आम नागरिक और छात्र, छात्राओं को सड़को पर बने गढ्ढो के बीच से वाहन चलाकर सुरक्षित बच निकलना कितना जोखिम भरा है, यह आम लोगों से पूछे तो पता चले.  

बालाघाट शहर की चुनिंदा सड़को की बात करें तो रेलवे स्टेशन मार्ग, पूरे गौरव पथ मार्ग गढ्ढो में ऐसी तब्दील है कि सड़क और गढ्ढे एकदूसरे से मिले नजर आते है. जिस पर सायकिल या दुपहिया वाहन चलाते समय कब दुर्घटना हो जाये, कहा नहीं जा सकता. आलम यह है कि नगरपालिका कुछ सुनने तैयार नहीं है और ठेकेदार के पास काम करवाने के लिए पैसा नहीं है. जिसका भुगतमान शहर की जनता भुगत रही है, वही शहर की पहचान भी गढ्ढो वाले शहर के रूप में होने लगी है. जैसे ही कोई बाहरी व्यक्ति रेलवे स्टेशन पर उतरकर शहर की ओर बढ़ता है तो उसका सबसे पहले सामने खराब सड़क से होता है, जिससे ही उसके मन में शहर की पहचान कायम हो जाती है.

जब सड़को को लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधि और प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया तो लोगों ने जनभागीदारी से आंखो के सामने गढ्ढो से होती दुर्घटनाओं को देखते हुए सड़क में बन गये गढ्ढो को भरने का काम किया. पूर्व पार्षद विनय जायसवाल ने बताया कि हनुमान चौक में सड़क पर बन आये जानलेवा गढ्ढो के बारे में नपा सीएमओ को अवगत कराया, लेकिन उनकी ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने से दुर्घटना का कारण बन रहे हनुमान चौक के गढ्ढो को जनभागीदारी से भरवाया गया है. फिर भी ऐसे कुछ गढ्ढे है, जो जानलेवा है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशन मार्ग की सड़क का टेंडर हो गया है लेकिन ठेकेदार कहता है कि राशि नहीं है.  

इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले को विकास के नाम से पैसो की कमी नहीं होने देंगे की बात करने वाले शहर की सड़को पर बन आये गढ्ढो के लिए राशि उपलब्ध नहीं करवा पा रहे है और जनभागीदारी से सड़को में बने गढ्ढो को भरने का का किया जा रहा है तो आखिर हमारा नेतृत्व कैसा है. बहरहाल सुलभ आवागमन और सुविधाजनक आवागमन हर नागरिक को देना शासन, प्रशासन का कर्तव्य है, जिन्हें नहीं भुलना चाहिये, यह मानव अधिकार का भी मामला है और यदि कोई घटना कारित होती है तो इसके लिए संबंधित विभाग सीधे जिम्मेदार होता है. जो नहीं भुलना चाहिये.


Web Title : IF NAPPA DID NOT PAY HEED, THE DEADLY FORT WAS BUILT WITH PEOPLES PARTICIPATION, THE CONDITION OF ROADS IN THE CITY WAS PATHETIC, NEITHER NETAJI NOR THE ADMINISTRATION WAS TAKING CARE OF IT.