नदी और सरोवरो में किया गया गौर का विसर्जन, हरितालिका तीज व्रतधारी महिलाओं ने मांगा मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद

बालाघाट. पति की दीर्घायु और मनोवांछित वर पाने महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा 1 सितंबर को रखा गया हरितालिका व्रत को आज गौर विसर्जन के बाद छोड़ा गया और निर्जला व्रत कर रही महिलाओं ने जल ग्रहण किया. भगवान शिव और म माता पार्वती के पूजन के इस पर्व पर व्रतधारी महिलाओं ने तीज माता से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद हासिल किया. जागपुर घाट में नदी को संरक्षित करने पूजन सामग्री को डॉ. गाड़े के सहयोगियों ने निवेदन से एकत्रित किया, ताकि नदी में पूजन सामग्री डालने से हो रहे प्रदूषण को रोका जा सकें.                       

हालांकि पंचांगो में अंतर के कारण इस बार दो तिथियों में हरितालिका तीज का व्रत मनाया जा रहा है. भाद्रमास, शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाये जाने वाले इस पर्व को लेकर पंचांग में अंतर के कारण इस पर्व को जहां कुछ महिलाओं द्वारा 1 सितंबर को हरितालिका तीज मनाया गया. आज 2 सितंबर को भी कुछ महिलाओं द्वारा हरितालिका तीज पर्व मनाया जायेगा.

गौर विसर्जन करने नदी और सरोवरो में लगी महिलाओं की भीड़

1 सितंबर को मनाये गये हरितालिका तीज के दूसरे दिन आज 2 सितंबर को गौर विसर्जन करने नदी और सरोवरो में प्रातः से ही महिलाओं का पहुंचना प्रारंभ हो गया था. जहां उन्होंने पावन जल मंे गौर विसर्जन कर तीज माता को विदाई दी. गौरतलब हो कि पति की दीर्घायु और मनोवांछित वर पाने के लिए सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा इस व्रत को निर्जला रूप में किया जाता है. यह व्रत वर्ष में एक बार आने वाला कठिन व्रत है, व्रत सभी सौभाग्यवती स्त्रियां निर्जला निराहार रहकर करती है, यह सबसे लंबी अवधि का व्रत माना गया है. जो सूर्योदय से शुरू होकर दूसरे दिन सूर्योदय तक उपासक निराहार निर्जला रहकर व्रत करते हैं रात्रि में जागरण कर चार पहर की पूजा होती है यह व्रत पति की लंबी आयु प्राप्त करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा कुंवारी युवतियां भी मनोवांछित वर की मनोकामना लिए यह व्रत करती है. व्रतधारी महिलायों निर्जला व्रत रखती है और रात मंे पूजन कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगती है.  

रात में व्रतधारी महिलाओं के घरो में किया गया पूजन

1 सितंबर को मनाये गये हरितालिका तीज व्रत करने वाली महिलाओं ने प्रातः गौरपूजन किया. जिसके बाद घरो में सुंदर मंडप के नीचे गौर को विराजित कर उसका विधि, विधान से पूजन किया. रात में महिलाओं ने पांच प्रकार के व्यंजन अर्पित कर रेत से भगवान शंकर और पार्वती के अक्श को हल्दी, कुमकुम, चंदन, बेलपत्र और भगवान शंकर एवं माता पार्वती को चढ़ने वाले फल एवं सुहाग की सामग्री चढ़ाई गई.  

पुलिस सुरक्षा रही नदारद

बालाघाट जिले सहित मुख्यालय में बड़ी संख्या में हिन्दु महिलाओं और युवतियों द्वारा इस व्रत का पूजन किया जाता है और पूजन के दूसरे दिन इसका विसर्जन नदी और सरोवरो में किया जाता है. वर्तमान समय में तेज बारिश के कारण नदियों, सरोवरों और नहरो में पानी का जलस्तर ज्यादा है, जहां विसर्जन के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किया जाता है, लेकिन इस वर्ष न तो जागपुर घाट और न ही मोती तालाब में कोई पुलिस सुरक्षा नजर नहीं आई. जिसको लेकर धर्मप्रेमी लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि कोई घटना घटित हो जायें तो उसे बचाने वाला कौन होगा.


Web Title : IMMERSION OF GAUR IN RIVER AND SAROVAR, HARITIKA TEEJ VRATDHARI WOMEN BLESSED WITH MANGA MANA FULFILLMENT