ओवरब्रिज के पास प्रशासन ने रोका तो पौनियां में रोकी ट्रेन, रेल रोको आंदोलन हुआ असफल, 3 घंटे किया चक्काजाम कामगार कांग्रेस नेता आशुतोष सहित अन्य आधा दर्जन लोग गिरफ्तार

कटंगी. कटंगी से तिरोड़ी ब्राडगेज के लिए भूमि देने वाले किसान परिवार, नियमानुसार परिवार के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी की मांग कर रहे है लेकिन सालों से रेलवे प्रशासन, किसानों की सुध नहीं ले रहा है, जिससे नाराज किसानों परिवारो ने 11 अप्रैल को रेलरोको आंदोलन का आव्हान किया था. जहां कटंगी बायपास के पास रेलवे ब्रिज पर पुलिस और प्रशासन ने उन्हें रेल रोकने से रोक दिया तो आक्रोशित युवाओं ने पौनियां में रेलरोककर अपने आंदोलन को सफल कर दिया. वहीं इस मामले में रेल रोकने और चक्काजाम करने में पुलिस ने कांग्रेस कामगार नेता आशुतोष बिसेन सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, वहीं 6 युवाओं पर मामला दर्ज किया है. जिन्हें भी पुलिस अपने साथ लेकर गई है.

तिरोड़ी-कटंगी बाडग्रेज रेल परियोजना के लिए जिन किसानों से रेल प्रशासन ने भूमि ली है उन किसान परिवार के एक सदस्य को अब तक शर्त अनुसार रेलवे में नौकरी प्रदान नहीं की गई है. जिसके चलते इन पीड़ित किसानों एवं उनके परिवार वालों ने सोमवार को कटंगी में बायपास के पास रेलवे ओवरब्रिज में रेल रोको आंदोलन करते हुए रेल रोकने की कोशिश की पंरतु प्रशासन और पुलिस की दखलअंदाजी के चलते वह ऐसा करने में सफल नहीं हो सके. जिसके बाद सभी ने कटंगी-तुमसर मुख्य सड़क मार्ग पर करीब 3 घंटे तक चक्काजाम किया. किसानों को इस प्रदर्शन को मध्यप्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष बिसेन, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती केसर बिसेन, मुलकराज आंनद, प्रशांत मेश्राम ने भी अपना समर्थन दिया. यह सभी किसानों के साथ चक्काजाम करने सड़क पर बैठे थे.

पुलिस लगातार इन प्रदर्शनकारियों को समझाईस देने की कोशिश करती रहीं, लेकिन पुलिस की समझाईस का उन पर कोई असर नहीं हो सका. वहीं पुलिस ने चक्काजाम करने वाले करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया. जिसमें प्रमुख रूप से आशुतोष बिसेन, मुलकराज आनंद सहित कुछ अन्य किसान थे. पूर्व से ही रेल रोको आंदोलन की सूचना मिलने पर एसडीएम, एसडीओपी, तहसीलदार, कटंगी, तिरोड़ी और खैरजांली थाने महकेपार चौकी की पुलिस सुबह 6 बजे ही मौके पर डटी हुई थी. इसके अलावा रेलवे पुलिस बल भी यहां एक दिन पहले ही आ चुका था. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि रेलवे उन्हें नौकरी देने की बजाए गुमराह कर रहा है. बता दें कि इसके पूर्व भी किसान और परिजन कई बार आंदोलन कर चुके है पंरतु इन सभी आंदोलनों के बाद रेलवे केवल कार्रवाई होने की बात करते रहा है. किसान इस मामले को न्यायालय की शरण में गए हुए थे. न्यायालय ने रेलवे को 2 माह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, जब रेलवे ने 2019 में लागू नियम की बात का हवाला देते हुए नौकरी देने से इंकार कर दिया.

पौनियां स्टेशन पर 15 मिनट रोकी ट्रेन

पुलिस ने जब कटंगी में रेल रोको आंदोलन को असफल किया तो इसके बाद सभी किसान और उनके परिवार के सभी सदस्य योजनाबृद्ध तरीके से अपने घर को लौट गये. जिससे पुलिस कुछ देर के लिए निश्ंिचत हो गई लेकिन पुलिस को मुखबिर तंत्र से सूचना मिली की पौनियां स्टेशन में रेल रोकने की तैयारी है. जिसके बाद पुलिस दोबारा हरकत में आई और पौनियां स्टेशन में डट गई. इसके अलावा पुरा प्रशासनिक अमला भी पहुंच गया. 3. 20 पर जैसे ही रेलगाड़ी स्टेशन पर पहुंची सभी प्रदर्शनकारी यहां ट्रेन के सामने एकत्रित होकर प्रदर्शन करने लगे. जिन्हें पुलिस ने रेलवे ट्रेक से हटाकर ट्रेन को तिरोड़ी की ओर रवाना किया. करीब 15 मिनट तक ट्रेन स्टेशन में खड़ी रही. वहीं प्रदर्शनकारी पुनः इस तरह से ट्रेन ना रोक दे, इसे देखते हुए पुलिस और पूरा प्रशासन पौनियां स्टेशन में रहा, जब पुनः ट्रेन तिरोड़ी से पौनियां होकर कटंगी की तरफ रवाना नहीं हुई.

आधा दर्जन युवकों को उठा ले गई पुलिस

पौनियां में रेल रोके जाने की घटना के बाद पुलिस ने पहचान कर करीब आधा दर्जन से अधिक युवकों को उठाया है. जिनमें आलोक चौधरी, सोनू भगत, पिंकेश पटले, नरेन्द्र मात्रे सहित अन्य युवा शामिल है. वहीं पुलिस देर शाम तक गांव में अन्य युवाओं की भी तलाश करती रही. बता दें कि जिन युवकों को पुलिस ने उठाकर लेकर गई है. यह सभी वह युवक ह,ै जिन्होनें जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन कर रहा है और नौकरी नहीं मिलने पर आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे है. जिन्हें रेलवे द्वारा नौकरी देने की बजाए अब षड़यंत्र पूर्वक कानूनी कार्रवाईयों में उलझाया जा रहा है. करीब आधा दर्जन युवकों पर 107/116, 151 की कार्रवाई की गई.

2015 में की गई भूमि अधिग्रहित

गौरतलब हो कि तिरोड़ी-कटंगी रेल परियोजना के लिए राजस्व ने रेलवे के लिए वर्ष 2015 में 214 किसानों से भूमि अधिग्रहित की. जिन किसानों से भूमि का अधिग्रहण किया गया. उन किसानों को मुआवजा प्रदान किया गया. जबकि मात्र 42 किसान परिवार के एक सदस्य को नौकरी गई. इसके बाद जितने आवेदक थे उन्हें लगातार रेलवे द्वारा गुमराह किया जाता रहा. आवेदक अपनी ओर से डीआरएम, जीएम और केन्द्रीय रेल मंत्री से मुलाकात करते हुए उन्हें बार-बार शिकायत पत्र सौंपते रहे. यह बार कार्रवाई प्रगति में होने की बात आवेदकों को बताई गई. बीते वर्ष जनवरी माह में जब आवेदकों ने भूख हड़ताल की तो शीघ्र ही कार्रवाई होने और अगर रेलवे पर विश्वास ना हो तो न्यायालय में जाने की बात कहकर भूख हड़ताल को समाप्त करवाया गया. इसके बाद आवेदकों ने न्यायालय की शरण ली. जहां रेलवे ने 2019 के नियमों का हवाला दिया है. इस अधिनियम के मुताबिक केवल प्रभावित किसानों को मुआवजा देना है नौकरी का प्रावधान नहीं है पंरतु उक्त रेल परियोजना के लिए 2015 में भूमि अधिग्रहित की गई है. जिस पर 2019 का नियम लागू नहीं होता है.

सांसद बने मौनी बाबा

रेलवे में नौकरी से जुड़े इस मामले को लेकर आवेदक बालाघाट-सिवनी सांसद डॉ. ढालसिंह बिसेन से भी मुलाकात कर चुके है किन्तु उनकी ओर से आवेदकों के लिए कोई ठोस कदम शायद नहीं उठाए गये. जिसके चलते आवेदकों का सांसद से भी विश्वास उठ चुका है. तब से सांसद भी इस मामले में मौनी बाबा बने है. वह आवेदकों को रेलवे के उस अधिनियम को समझा रहे है जो 2019 में लागू हुआ है. सांसद आवेदकों के उस पक्ष को शायद नहीं समझ पाए है जिसमें आवेदकों के द्वारा बताया जा रहा है कि उनकी भूमि साल 2015 में अधिग्रहित की गई है. खैर, रेलवे और जनप्रतिनिधि किसानों और उनकी संतानों को लगातार 4 वर्षों से गुमराह कर रहे है. अगर रेलवे में भूमि के बदले नौकरी का प्रावधान नहीं था तो फिर 214 आवेदकों में 42 आवेदकों को नौकरी किस नियम या प्रावधान के तहत प्रदान की गई रेलवे को यह स्पष्ट करके मामले का समाधान करना चाहिये.  


Web Title : WHEN THE ADMINISTRATION STOPPED NEAR THE OVERBRIDGE, THE TRAIN STOPPED AT PAONIAN, THE RAIL ROKO AGITATION FAILED, THE CHAKKAJAM WORKERS WERE ARRESTED FOR 3 HOURS, INCLUDING CONGRESS LEADER ASHUTOSH