पोला और नारबोद पर्व को शांतिमय तरीके से मनाये-श्रीमती भारती ठाकुर

बालाघाट. भारत देश कृषि प्रधान देश है, यहाँ कृषि को अच्छा बनाने में पशुधन का भी विशेष महत्व होता है. देश में पशुधन की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्ही में से एक है, जिस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते है. यह पोला का त्यौहार विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है. नगर पालिका परिषद अध्यक्ष श्रीमती भारती सुरजीत सिंह ठाकुर ने कहा कि, पंरपरा में खासतौर पर बालाघाट जिले मे पोला के दिन किसान और अन्य लोग पशुओं की विशेष रूप से बैल की पूजा-अर्चना कर उन्हें अच्छे से सजाते है.  

पशुधन की पूजा आराधना

श्रीमती ठाकुर ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. भारत, जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसान पशुधन की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्यौहार को मनाते है. नपाध्यक्ष भारती ठाकुर ने ऐसे पावन पर्व की नगर वासियों को बधाई देते हुए अपील की है कि अन्याय पर न्याय की जीत को लेकर मनाई जाने वाली नारबोद को रीति-रिवाज रिवाज पूर्ण शांतिमय तरीके से मनाये.


Web Title : CELEBRATE POLA AND NARBOD FESTIVALS PEACEFULLY: SMT. BHARTI THAKUR