बालाघाट. वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है. भारत में भी इस बीमारी के दस्तक देने के बाद जहां लाखो लोग इससे प्रभावित है, वहीं लगातार इसकी बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, लॉक डाउन खत्म होने के बाद लोगों की आवाजाही बढ़ने और लगातार संपर्क में आने से इसका खतरा और बढ़ गया है.
लाईलाज इस महामारी से बचाव के लिए नियमों का पालन ही एकमात्र उपाय है. जिसके लिए 6 गज की दूरी और मॉस्क एक अनिवार्य सावधानी है, जिसको लेकर देश के प्रधानमंत्री ने भी देशवासियो से बीमारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने और मॉस्क पहनने को आदत में शामिल करने की बात कही है.
कोविड-19 से बचाव के लिए मॉस्क नहीं खरीदने वाले लोगों को कई समाजसेवी, मॉस्क का वितरण कर रहे है. मासूम अमृता पारधी भी गरीब और जरूरतमंद लोगों को मॉस्क का वितरण कर रही है, जिसका सेवा कार्य लोगों के लिए एक प्रेरणा है. खास बात यह है कि मासूम अमृता पारधी, गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए मॉस्क स्वयं बना रही है. वह स्वयं सिलाई मशीन में बैठकर इस मॉस्क को तैयार करती है, जिसके बाद वह इन मॉस्क को विभिन्न जगह काम करने वाले गरीब लोगों को प्रदाय करती है. परिवार की सहायता और अपनी गुल्लक के पैसो से कपड़ा खरीदकर मासुम अमृता, घर में ही मॉस्क तैयार करती है और उसे गरीब और जरूरतमंदों को वितरित करती है, जो सिलसिला आज भी अनवरत रूप से जारी है.
वारासिवनी निवासी अतुल पारधी की सुपुत्री अमृता को गरीब और जरूरतमंदो की सेवा की प्रेरणा अपनी मां से मिली. जिले के प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान माउंट लिट्रा जी स्कुल में चौथी कक्षा की छात्रा मासूम पारधी ने मां से गरीब लोगों की सेवा की मिली प्रेरणा से पहला काम कोविड-19 के दौरान मॉस्क की कमी से जूझते गरीब और जरूरतमंद लोगांे को मॉस्क भेंटकर की. उनका कहना है कि यदि हमारे पास जो है और यदि उसे औरो में बांटने से हमें खुशी और आत्मिक शांति मिलती है तो हमें लोगों की सेवा करने के लिए आगे आना चाहिये.
मासूम अमृता ने बताया कि कोविड-19 के दौरान लोगों को बीमारी से बचाव के लिए मॉस्क बनाकर वितरण करने का सुझाव, मम्मी से मिला. जिसके बाद परिवार और गुल्लक की राशि से उसने मॉस्क बनाने के लिए कपड़े खरीदे और घर में सिलाई मशीन के माध्यम से मॉस्क तैयार किया. मॉस्क बनने के बाद उसने घर के आसपास और ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाले गरीब और जरूरतमंद लोगों को मॉस्क का वितरण किया. मासुम अमृता के इस प्रयास को परिवारवालों का भी अच्छा सहयोग मिला. बेटी के इस सेवाभावी कार्य को देखकर परिवारवालों ने भी उसे प्रोत्साहित किया. जिसके चलते आज अमृता, लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई है.