बालाघाट. भारत सहित पूरी दुनिया में इमाम अहमद रजा खान आला हजरत का 105 वां सालाना उर्स जिले में पूरे शानौ-शौकत और अकीदत के साथ मनाया गया. गौरतलब हो कि आला हजरत एक महान सूफी शख्सियत थे. जिनके बारे में बताया जाता है कि उनका बताया गया रास्ता ही सच्चा इस्लाम है. आला हजरत इमाम अहमद रजा खान का जन्म 1856 को भारत के बरेली शरीफ में हुआ था. जिनके जन्म के समय भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी. अंग्रेज अपने फरेब से कौमों को आपस में लड़ाकर, कमजोर और भ्रमित करने का काम कर रहे थे. दौलत और शोहरत की खातिर बड़े-बड़े नामचीन, अंग्रेजों के गुलाम बनकर, इस्लाम और कौम के खिलाफ काम कर रहे थे. ऐसे वक्त में आला हजरत ने अपने इल्म, शिक्षा और उपदेशो से इस्लाम की सच्चाई को लोगों के सामने लाकर धर्म और इंसानियत को बचाया. जिन्होंने पूरी दुनिया के इस्लाम अनुयायियों पर एहसान भी किया. इस्लाम की सच्चाई के लिए ‘‘हुस्सामुलहरमैन’’, ‘‘फतावा रज्विया’’ और ‘‘अलदौलतुल मक्कियां’’ जैसी अनेक किताबों के अलावा कुरआन का अनुवाद कंजुल ईमान के रूप में देकर पूरी दुनिया को अल्लाह, उसके रसुल और वलियों की पहचान कराते हुए इस्लाम के अमन एवं शांति के संदेश को सही तरीके से साबित किया.
देश में सुन्नीयत के केन्द्र बरेली शरीफ से उर्स की तारीख के ऐलान के बाद सूफी धर्मगुरू हम्माद रजा कादरी के निर्देशानुसार, बालाघाट जिले सहित मुख्यालय की जामा मस्जिद, दिगर मस्जिदों और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में 11 सितंबर 13 सितंबर तक उर्से आला हजरत के तहत विविध कार्यक्रमो का आयोजन किया गया. जिसमें 11 एवं 12 सितंबर को उर्स पर आयोजित अन्य कार्यक्रमो के अलावा जमात-रजा-मुस्तफा महिला संगठनांे द्वारा नातखानी, दरूदखानी और कुरानखानी का आयोजन किया गया. वहीं 13 सितंबर को शहर की जामा मस्जिद में इमाम मुद्स्सिररजा कादरी द्वारा आला हजरत की जीवनी पर तकरीर दी गई. वहीं जमात-रजा-मुस्तफा महिला संगठन द्वारा अंजुमन शादी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में महिला धर्मगुरू मुफ्तिया संदल हबीबा, हज्जन असमा फातिमा और गुलशन फातिमा के आगमन पर उनका स्वागत किया गया. यहां महिला धर्मगुरूओं द्वारा आला हजरत की जीवनी पर तकरीर दी और उनके बताये गये मार्गो पर चलने की नसीहत दी गई. इस दौरान इकरा एजुकेशन इंस्टीट्यूट की छात्राओं द्वारा आला हजरत की शान में बेहतरीन अंदाज में कलाम पेश किया. इसी दौरान छात्राओं द्वारा अपने गुरूओं का स्मृति चिन्ह भंेट कर सम्मान किया गया. जिसके बाद आम लंगर का आयोजन किया गया. जिसमंे शहर की मुस्लिम महिलायें बड़ी तादाद में मौजूद रही. वहीं तिरोड़ी में उर्से पर आयोजित कार्यक्रम में मुफ्ती वफाउल मुस्तफा कादरी द्वारा तकरीर देते आला हजरत के बताये गये रास्ते पर चलने की ताकीद की. इनके अलावा लालबर्रा, परसवाड़ा, बैहर, कटंगी सहित पूरे जिले मंे उर्से आला हजरत पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये.