विधान समापन पर दिगंबर जैन मंदिर से निकली भगवान श्रीजी की शोभायात्रा

वारासिवनी. महामुनिराज 108 आचार्य गुरुवर विद्यासागर महाराज एवं् 108 आचार्य आर्जव सागर जी महाराज के आशीर्वाद और 105 आर्यिका रत्न प्रतिभामति एवं 105 सुयोगमति माताजी और बीना से पधारे प्रतिष्ठासचार्य प्रदीप जी शास्त्री के सानिध्य में दिगंबर जैन पंचायत कमेटी के तत्वाधान में 1008 लोक कल्यााण महामंडल विधान एवं विश्व शांति महामंडल यज्ञ का आयोजन विगत 27 दिसम्बार से 02 जनवरी तक दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित किया गया था. विधान के पश्चात पूरे शहर में इंद्र इंद्राणी बाजे गाजे के साथ भगवान श्रीजी भव्य शोभायात्रा निकाली गई.

दिगंबर जैन पंचायत कमेंटी के अध्यक्ष संजय कासल ने बताया कि यह विधान का आयोजन माताजी के मार्गदर्शन में किया गया. बोलियों द्वारा पात्रों का चयन किया गया. इसमें सौधर्म इन्द्रन, राजीव भारील, कुबेर इन्द्र, आकाश सिंघई, ध्वयजारोहणकर्ता संजय कासल, महायज्ञ नायक रितेश भारिल, ईशन इन्द्र अमन मॉडल, सानत इन्द्रर विवेक जैन, महेन्द्र इन्द्रण सुनील जैन, ब्रम्हञ इन्द्र संजय जैन, ब्रहमोत्तमर इन्द्रन राजेश सिंघई, बाहुबली इन्द्रड निर्दोष मॉडल एवं चक्रवर्ती निर्मित सिंघई यह सभी इंद्र के रूप में चयन किये गये थे.

इस विधान में पूरे समाज के सदस्य, शुद्र एवं पीले वस्त्रों में सभी महिलाओं ने एवं पुरुष वर्ग ने बालिका वर्ग ने अष्ट कुमारी बनकर हिस्सा लिया. रोज रात्रि में महाआरती की बोली लगाकर भगवान की बड़े उत्सााह के साथ संजय कासल, आकाश सिंघई, प्रखर सिंघई, मुकेश मॉडल, राकेश मॉडल द्वारा रोज आरती की गई. ध्वाजारोहण से विधान की शुरुआत की गई. प्रतिदिन सुबह भगवान का अभिषेक शांतिधारा की गई. उसके पश्चाात विधान शुरु किया गया. लगभग रोज 60-70 संगीत के साथ अर्ग चढ़ाये गये. पंचायत कमेटी के उपाध्यक्ष आकाश सिंघई ने बताया कि माताजी के आशीर्वाद से विधान का कार्यक्रम अच्छे से आयोजित किया गया. जिसमें सभी समाज में विधान को लेकर बहुत उत्साह दिखा. लगभग 30 महिने बाद भगवान की शोभायात्रा निकालने का सौभाग्य मिला. दिगंबर जैन धर्मावलंबियों द्वारा निकाली गई श्रीजी के साथ भगवान जी की शोभायात्रा के दौरान खनिज विकास निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने जनसंपर्क कार्यालय के सामने शोभायात्रा में शामिल जैनियों को जलपान कराकर आशीर्वाद लिया.


Web Title : LORD SRIJIS PROCESSION FROM DIGAMBAR JAIN TEMPLE AT THE CONCLUSION OF LEGISLATION