जिन लाडली बहनो ने सरकार बनाई वही लाडली बहना हो रही परेशान, स्वसहायता समूह को धान खरीदी की मंजूरी देने रखी गई बड़ी डिमांड

बालाघाट. प्रदेश में नई सरकार बनने को भले ही समय हो, लेकिन नई सरकार फिर भाजपा की होगी, यह निर्णय लाडली बहनों ने कर दिया है, लाडली बहनों ने सरकार तो बना दी लेकिन उनकी समस्या, भाई शिवराज के राज में अब भी बनी है, हम बात कर रहे स्वसहायता समूह की लाडली बहनों की, जो अपने हाथो को काम चाहती है, लेकिन उन्हें काम देने जो डिमांड रखी गई है, वह उन्हें भारी और तकलीफदेह साबित हो रही है. जिसके कारण उन्हें हर कदम पर संघषर्् करना पड़ रहा है.

प्रदेश की शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने स्वसहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से बीते वर्षो में, धान खरीदी करवाई थी और समूह द्वारा अच्छे से धान खरीदी की गई थी लेकिन इस वर्ष धान खरीदी केन्द्र निर्धारण में स्वसहायता समूह को छोड़ दिया गया. जिसको लेकर जब समूह की महिलाआंे ने आवाज बुलंद की तो धान खरीदी प्रारंभ होने के बाद उन्हें धान खरीदी केन्द्र देने की स्वीकृति के लिए 10 लाख रूपए जैसी भारी राशि का डिपाजिट किए जाने की बड़ी शर्ते लगा दी गई. जिसको लेकर समूह की महिलाएं फिर विरोध मंे खड़ी हो गई है और उनकी मांगो को नहीं माने जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

जिसको लेकर कई स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 05 दिसंबर को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर 10 लाख रूपए की राशि के डिपाजिट की जगह, बीते वर्ष की तरह दो लाख रूपए राशि किए जाने की मांग की है. जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि मुकेश माहुले के साथ स्वसहायता समूह की महिलाओं ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और मांग के त्वरित निराकरण की मांग की.

जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि मुकेश माहुले ने बताया कि बीते वर्ष धान खरीदी करने वाली महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को इस बार धान खरीदी करने में शामिल नहीं किया गया. जिसका समूह की महिलाओं द्वारा विरोध किए जाने पर नए निर्देश जारी किए गए, जिसमें समूह की महिलाओं को धान खरीदी सेंटर के लिए 10 लाख रूपए की राशि डिपाजिट के तौर पर मांगी जा रही है. यदि इतनी राशि समूह की महिलाओं के पास होती तो वह धान खरीदी जैसे जटिल कार्य को करती ही क्यों? अपना खुद का व्यवसाय करती. यदि वाकई में सरकार महिला हितैषी है तो समूह की महिलाओं की समस्या को समझे और उसका निराकरण करें. इतने बड़े डिपाजिट के स्थान पर महिला सम्मान के प्रति सहद्रयता दिखाते हुए शासन, प्रशासन बीते वर्ष की तरह ही समूह से राशि जमा कराए ताकि समूह से जुड़ी महिलाओं को लाभ हो सके.

निर्मला आजीविका स्वसहायता समूह की महिला आरती साठे का कहना है कि पहले खरीदी में शामिल नहीं किया गया और जब हमने विरोध किया तो अब शामिल करने के लिए 10 लाख रूपए की एफडी मांगी जा रही है, लेकिन इतनी बड़ी एफडी की वजह नहीं बताई जा रही है, कोई बात करने तैयार नहीं है. दो बार हमने ज्ञापन दे चुके है, हमारी मांग है कि प्रोसेस के तहत पूर्व की तरह 02 लाख रूपए की एफडी जमा कराकर हमें केन्द्र चलाने की अनुमति प्रदान की जाए, ताकि किसानों को राहत के साथ ही हम भी काम कर सके.

दुर्गा स्वसहायता समूह महकेपार प्रतिनिधि रविंद्र सोनवाने ने बताया कि विगत 2 वर्ष से महिला स्वसहायता समूह के द्वारा धान खरीदी का कार्य किया जा रहा है लेकिन इस वर्ष सभी महिला समूह को बोला जा रहा है कि 10 लाख रुपए की एफडी करना होगा तभी आपको उपार्जन का कार्य दिया जाएगा. अगर कोई समूह 10 लाख की एचडी करने में सक्षम होती तो वह धान खरीदी का क्यों करती. वह खुद का अपना व्यवसाय कर लेती. उन्होंने कहा कि सोसायटियो से धान खरीदी में साल्टेज और अनियमितता किए जाने के बावजूद उनसे कोई एफडी जमा नहीं कराई जा रही है और केवल समूह को ही एफडी जमा करने कहा जा रहा है, जो न्यायसंगत नहीं है और यदि समूह की महिलाओं की मांग पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो वह आंदोलन करेगी.


Web Title : THE SAME LADLI SISTERS WHO FORMED THE GOVERNMENT ARE GETTING UPSET, C

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